बेरोजगार व भूमिहीन युवा मशरूम उत्पादन को स्वरोजगार के रूप में अपनाएं : प्रो. बी.आर. काम्बोज

– हकृवि में मशरूम उत्पादन तकनीक पर व्यावसायिक प्रशिक्षण का समापन हुआ
हिसार/पवन सैनी
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान में मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का समापन किया गया। इस प्रशिक्षण में हरियाणा प्रांत के विभिन्न जिलों जैसे हिसार, फतेहाबाद, जींद, भिवानी, करनाल, पानीपत, रोहतक, रेवाड़ी के प्रशिक्षणार्थियों ने भी भाग लिया।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बताया कि मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जिसे कम से कम लागत में शुरू किया जा सकता है। भूमिहीन, शिक्षित एवं अशिक्षित युवक व युवतियां इसे स्वरोजगार के रूप में अपना सकते है तथा सारा वर्ष भी मशरूम की विभिन्न प्रजातियों जिनमें सफ़ेद बटन मशरूम, ओयस्टर या ढींगरी, मिल्की या दूधिया मशरूम, धान के पुवाल की मशरूम इत्यादि उगाकर सारा साल मौसम के हिसाब से इसका उत्पादन किया जा सकता है। सरकार द्वारा भी किसानों तथा बेरोजगार युवाओं को इसे एक व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसलिए भूमिहीन या बेरोजगार युवा मशरूम उत्पादन को स्व-रोजगार के रूप में अपनाएं। उन्होंने बताया कि मशरूम एक संतुलित आहार है इसमे कई तरह के पौष्टिक तथा औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जिसके फलस्वरूप इसके नियमित सेवन से मनुष्य में रोगों एवं विकारों से बचाव में सहायक होती है। मशरूम उत्पादन के लिए कृषि अवशेषों का इस्तेमाल किया जाता है जिससे खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चिता के साथ-साथ वायु प्रदूषण से भी निजात मिलेगी।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मण्डल ने बताया कि सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान सफ़ेद बटन मशरूम के अलावा दूसरी कई तरह की मशरूम की प्रजातियों को भी बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है।
संस्थान के सह निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने बताया कि अभी हाल ही में हरियाणा प्रान्त में 21500 मैट्रिक टन मशरूम का उत्पादन हुआ, जिसमे लगभग 99 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादन सफेद बटन मशरूम का ही है। दिल्ली, लुधियाना, चंडीगढ़ के इलावा कई अन्य छोटे बड़े शहरों के साथ साथ गावों में भी इसकी मांग बनी रहती है और इसको बेचने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है।
इस प्रशिक्षण के आयोजक डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि हरियाणा मे ज्यादातर किसान केवल सर्दी के मौसम में सफेद बटन खुम्ब की काश्त करते है किन्तु इसके इलावा दूसरी मशरूम जैसे ढींगरी व दूधिया मशरूम का उत्पादन भी लिया जा सकता है किन्तु लोगों में अज्ञानता की वजह से लोग दूसरी खुम्बों का सेवन नहीं करते और खुम्ब उत्पादकों द्वारा इन खुम्बों की बिक्री में दिक्कत महसूस होती है।
इस प्रशिक्षण में विशेषज्ञ डॉ जगदीप सिंह, डॉ. डी के शर्मा, डॉ. राकेश कुमार चुघ, डॉ. विकास कम्बोज, डॉ. अमोघवर्षा, डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. संदीप भाकर, डॉ. सरोज यादव, डॉ भूपेन्द्र सिंह, डॉ. पवित्रा पुनिया सहित अन्य विशेषज्ञों ने अपने-अपने संबंधित विषयों में व्याख्यान दिए।