डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़ – 12 जून :
विधायक रामप्रताप कासनिया जी भुजिया भाग रहे हैं। नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा जोर-जोर से तेज आवाज में चीखते हुए बोल रहे हैं।आवाज गूंज रही है। एजेंडा नंबर 19 पर चर्चा हो रही है। नगरपालिका की साधारण बैठक 10 जून 2023 का माहौल।
* मामला गंभीर है तो फिर एक एक बात। समझाने वाली भाषा होनी चाहिए और वही गंभीरता होनी चाहिए जो बैठक में नहीं थी। वीडियो सच कह रहे हैं कि कुछ भी सुनाई नहीं पड़ रहा है। जो बैठक में उपस्थित थे क्या उनके समझ में आया? प्रस्ताव नंबर 19 इतना महत्वपूर्ण हुआ कि 22 में से 21 प्रस्ताव पारित हो गए और इस पर चर्चा हुई। हंगामा हुआ।आखिर यह प्रस्ताव है क्या नगर पालिका अध्यक्ष की एक आवाज समझ में आती है। वे बार-बार कहते हैं कि एक ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया।
अध्यक्ष द्वारा पार्षदों को एक एक बात इस प्रस्ताव की समझानी चाहिए थी। यह मामला ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का भ्रष्टाचार का है या नहीं है? आखिर इस प्रस्ताव में क्या है? पार्षदों ने भी पूछा नहीं? वोटिंग हुई प्रस्ताव पारित हो गया यदि प्रस्ताव में भ्रष्टाचार था? नगरपालिका का पैसा लुटाया जा रहा था? तो यह प्रस्ताव बहुमत से भी पारित नहीं होना चाहिएथा।
दस्तखत करोगे सभी फंसोगे फिर भी प्रस्ताव पारित हो गया। इसकी चर्चा हम और करेंगे।
* पहले इस प्रस्ताव नंबर 19 पर चर्चा करें। विचार विमर्श करें कि आखिर इसमें क्या था? पत्रकारों ने भी इसके अंदर घुसने की कोशिश नहीं की। चेयरमैन की बोल की चर्चा हो रही है लेकिन असलियत की नहीं हो रही। असल में मामला साधारण सा है। पत्रकारों ने और स्वयं ओमप्रकाश कालवा ने जो इंटरव्यू दिए उनमें एक ठेकेदार शब्द का उल्लेख किया। आखिर उस एक ठेकेदार का इतना भय क्यों है कि उसका नाम लेने से भी डर लग रहा है? उस ठेकेदार का नाम लेने से ओमप्रकाश कालवा अध्यक्ष को और अन्य को भी भय क्यों लगता है?
उसका नाम बताएं कि प्रिंटिंग प्रेस चलाने वाला स्टेशनरी की सप्लाई करने वाला ठेकेदार कान्ट्रेक्टर राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय है जिसने नगर पालिका के अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा आदि के नाक में दम कर रखा है। यह प्रस्ताव नंबर 19 उसी से संबंधित है। प्रिंटिंग और स्टेशनरी आदि सप्लाई के कांट्रेक्टर कंपनी के मालिक राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय से संबंधित यह प्रस्ताव नंबर 19 आखिर चर्चा में क्यों लाया गया? नगर पालिका अध्यक्ष को बहुत जोर जोर से चिल्ला चिल्ला कर क्यों बोलना पड़ा? यह विचारणीय है। सन् 2022 – 23 तक का एक ठेका 10 लाख रुपए तक का मंजूर हुआ। नगर पालिका इस कांट्रेक्टर कंपनी से काम करवाती रही सप्लाई लेती रही। नया साल शुरू हुआ उससे पहले ही प्रशासन शहरों की ओर अभियान शुरू हो गया।नगर पालिका को प्रिंटिंग और स्टेशनरी का काम बढ़ गया। कांट्रेक्टर से काम लिया जाने लगा आदेश दिए जाने लगे और यह कार्य 10 लाख से ऊपर चला गया। 10 लाख से ऊपर गए हुए बिलों की भरपाई करनी थी और भी काम करवाना था इसलिए ₹5 का अतिरिक्त बजट मंजूर किया जाना था। दिलों का भुगतान हो जाए और आगे भी काम जरूरत के हिसाब से हो जाए। यह एक साधारण सी प्रक्रिया है जिसे तूल दिया गया कि ठेकेदार को लाभ देने के लिए यह प्रस्ताव रखा गया है। अनैतिक लाभ देने का मतलब भ्रष्टाचार होता है लेकिन किसी से काम करवाएं और वह काम तय सीमा से आगे बढ़ जाए। ऐसी परिस्थिति आ जाए की सीमा से आगे काम बढ़ जाए तब ड्यूटी तो नगर पालिका प्रशासन अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी की बनती है।
अध्यक्ष नगरपालिका के ओमप्रकाश कालवा खुद है। यह अतिरिक्त कार्य जो हुआ नगर पालिका प्रशासन ने करवाया इसमें भ्रष्टाचार कैसे हुआ? ठेकेदार ने जो ठेका शुरू में दिया जिस रेट में लिया बढ़ती हुई महंगाई के बावजूद वह सप्लाई और प्रिंटिंग का सारा कार्य उसी रेट पर कर रहा है, जो रेट शुरू में मंजूर हुए थे।
* अखिल तूल क्यों दिया गया? इस प्रकार से प्रचारित किया गया कि एक ठेकेदार को लाभ देने के लिए यह कार्य किया जा रहा है। इस तरीके की शब्दावली इस तरीके के बयान हुए जिससे लोगों को यह लगे कि यह कार्य भ्रष्टाचार का है। तूल देने का कारण केवल ₹5 लाख का बजट स्वीकार करना नहीं है। इसके पीछे कारण और हैं।
इस प्रिंटिंग प्रेस स्वामित्व में राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय है जिसने पिछले लगभग 1 साल से किसी न किसी मामले को लेकर नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। अध्यक्ष के विरुद्ध शिकायतें की। उन शिकायतों की जांच हुई और जांच में अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार साबित हो गए।
भ्रष्टाचार करने वाले नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा अधिशासी अधिकारी विजय प्रताप सिंह उस समय के लेखापाल सुनील कुमार आदि के नाम उजागर हो गए। कोई एक मामला नहीं था। लगातार एक के बाद एक मामले पकड़ में आते रहे और ओमप्रकाश कालवा का नाम उसमें अपराधों आरोपों में जुड़ता रहा।
राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय की शिकायत पर जांच हुई वह जांच भी स्वायत शासन विभाग निदेशालय जयपुर को भिजवाई हुई है। इन पर भी कार्रवाई होगी।
👍 यहां एक महत्वपूर्ण बिंदु और भी है अतिरिक्त कार्य पर अतिरिक्त बजट ₹5 लाख नगर पालिका में एक ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का मामला बताकर चर्चा में लिया जाता है। उस पर वोटिंग होती है। चेयरमैन ओमप्रकाश कालवा इस प्रस्ताव को रुकवाने में सफल नहीं हो पाते। बे चिल्लाते रह जाते हैं लेकिन गौर करने वाली बात है कि 5 लाख का अतिरिक्त भुगतान तो चर्चा में आता है वह भ्रष्टाचार का मामला बनाया जाता है। अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा का जी दोरा होता है,लेकिन आश्चर्य यह है कि ओमप्रकाश कालवा सीवरेज कंपनी मोंटी कार्लो को 1 करोड़ 60 भुगतान आराम से कर देते हैं जो कार्य हुआ ही नहीं था। उस पर और अन्य भ्रष्टाचारों पर नगर पालिका में कोई चर्चा नहीं होती। ओमप्रकाश कालवा से यह कोई नहीं पूछ रहा कि श्रीमान जी आपने 1 करोड़ 60 का भुगतान मोंटी कार्लो कंपनी को बिना कार्य किए हुए दे दिया था, वह रुपए नगरपालिका कोष से गए थे,आपने अपने घर से तो कभी किसी को एक नया पैसा भी नहीं दिया। नगर पालिका कोष से 1 करोड़ 60 का भुगतान कैसे और क्यों कर दिया था? इस रकम को फर्जी दस्तावेज कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर धोखा देकर नगरपालिका से भुगतान किया गया जिसका पुलिस में मुकदमा चल रहा है? पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष बनवारी लाल मेघवाल की शिकायत पर सीवरेज घोटाले की जांच जिला मजिस्ट्रेट श्रीगंगानगर ने करवाई और वह निदेशालय को भेजी गई। उसमें सिफारिश की गई कि दोषियों को दंडित किया जाए और मोंटी कार्लो कंपनी से भुगतान की हुई रकम वसूली जाए। यह कार्रवाई चल रही है।
👍 ओम प्रकाश कालवा पर सस्पेंड होने की अध्यक्षता और सदस्यता जाने की तलवार लटकी हुई है। सीवरेज घोटाले के बाद में नए-नए मामले और उजागर हो रहे हैं और उजागर करने वाला जनता में प्रचारित करने वाला व्यक्ति राजेंद्र प्रसाद उपाध्याय का चेहरा ओमप्रकाश कालवा को परेशान कर रहा है।
👍 इसलिए प्रस्ताव नंबर 19 नगर पालिका बैठक में इस तरीके से पेश किया गया इस तरीके से चर्चा में लाया गया जिससे एक ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का भ्रष्टाचार प्रसारित हो सके। * आश्चर्य यह है कि नगरपालिका के पार्षदों ने जिनमें भारतीय जनता पार्टी के 16 पार्षदों ने प्रस्ताव का विरोध किया और 27 पार्षदों ने प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मंजूर किया उनमें से किसी एक भी पार्षद ने नगर पालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा से इस प्रस्ताव का विवरण नहीं मांगा कि इस प्रस्ताव में आखिर है क्या? अगर यह विवरण मांग लिया जाता तो 2 मिनट के अंदर सारी स्थिति स्पष्ट हो जाती।
- इसके बाद में एक बात और है कि यह प्रस्ताव बहुत गंभीर प्रस्ताव था और विधायक महोदय भी इस प्रस्ताव के विरोध में बोले उन्होंने भी इस प्रस्ताव के विवरण को पूछ लिया होता जान लिया होता तो कम से कम इस प्रस्ताव पर जब अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा चीख और चिल्लाते हुए बोल रहे थे तब विधायक खाद्य सामग्री नहीं फांकते। यह वीडियो प्रसारित हुआ है और हजारों लोगों ने देखा है और मौजूद जो थे उन सब ने तो अपनी आंखों से देखा।
- इसके बाद में अन्य वीडियो ओमप्रकाश कालवा के नाम से इंटरव्यू के नाम से प्रसारित किए गए। पत्रकारों ने भी इसका विवरण जानने की कोशिश नहीं की।ओमप्रकाश कालवा वीडियो में कहते हैं कि एक ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया। वह ठेकेदार का नाम नहीं बता रहे उधर इंटरव्यू रिकॉर्ड करने वाले पत्रकार भी नाम नहीं पूछ रहे कि आखिर उसका नाम क्या है? नाम बताया जाए और विवरण बताया जाए कि आखिर भ्रष्टाचार हुआ कहां कैसे हुआ? बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन हिम्मत नहीं होती एक ठेकेदार का नाम लेने की। उस ठेकेदार से भय खा रहे हैं ओमप्रकाश कालवा और वीडियो रिकॉर्ड करने वाले।आगे देखते रहे अभी सीवरेज का मामला जुलाई में कुछ रंग लाएगा, ऐसी उम्मीद है।