मुख्यमंत्री द्वारा राज्य में जल और पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यापक लोक लहर शुरु करने का न्योता
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय समागम की अध्यक्षता की
पर्यावरण और लोगों से सम्बन्धित मसलों को अनदेखा करने के लिए पिछली राज्य सरकारों को घेरा
नॉलेज सिटी में नयी बनी पी. बी. टी. आई. बिल्डिंग लोगों को की समर्पित
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ (राकेश शाह) : राज्य में आने वाली नस्लों को चिरस्थायी और स्वच्छ पर्यावरण मुहैया करवाने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को राज्य में जल और पर्यावरण की संरक्षण के लिए लोक लहर शुरु करने का न्योता दिया।
मुख्यमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर राज्य स्तरीय समागम की अध्यक्षता करते हुये राज्य में भूजल के घट रहे स्तर और दूषित हो रहे पर्यावरण पर गहरी चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ जल जैसे अनमोल और दुर्लभ कुदरती स्त्रोत को बचाने के लिए तत्काल और उचित कदम उठाना पंजाब की प्राथमिकता है। भगवंत मान ने कहा कि यह कार्य केवल सरकार के यत्नों से संभव नहीं हो सकता, बल्कि लोगों को इसके बारे जागरूक करने के लिए एक सशक्त जन जागरूकता मुहिम चला कर लोगों की भागीदारी भी अनिर्वाय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब महान गुरूओं और संतों की पवित्र धरती है, जिन्होंने पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमारा मार्गदर्शन किया है। उन्होंने गुरबानी का हवाला देते हुए कहा कि ‘पवन गुरू, पानी पिता, माता धरती महतु’ की तुक बताती है कि कैसे हमारे महान गुरूओं ने हवा ( पवन) को गुरू के साथ, जल को पिता के साथ और धरती को माता के साथ उदाहरण दी है। उन्होंने कहा कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हमने महान गुरूओं की वाणी का सम्मान नहीं किया क्योंकि हमने इन तीनों अनमोल बख्शीशों को दूषित कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें राज्य की शान बहाल करने के लिए गुरबानी की शिक्षाओं को यथावत अपनाना चाहिए। पर्यावरण के मसलों को अनदेखा करने के लिए विरोधी पार्टियों की निंदा करते हुये उन्होंने कहा कि जल, वायु और धरती की कोई वोट नहीं है, इसलिए इन नेताओं ने इनको नजरअन्दाज किया है। भगवंत मान ने कहा कि इस कारण इन कुदरती स्त्रोतों का बड़े स्तर पर प्रदूषण हो रहा है, जिससे समाज को अपूर्णीय क्षति हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य में ‘ आप’ की सरकार बनने के बाद पर्यावरण को बचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
तेज़ी से घटते जा रहे जल के स्तर के बाद जल की गंभीर स्थिति पर गहरी चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जहाँ तक भूजल का सम्बन्ध है, राज्य के लगभग सभी ब्लाक डार्क जोन में हैं। भगवंत मान ने कहा कि ऐसी स्थिति तभी पैदा हुई क्योंकि हमने भूजल को खेतों में सिंचाई के लिए बड़े ग़ैर-जिम्मेदारान ढंग से इस्तेमाल किया है। भगवंत मान ने कहा कि लापरवाही के इस रुझान को तुरंत रोकने की ज़रूरत है जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को जल के लिए जूझना न पड़े।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार भूजल को बचाने के लिए नहरी जल के अधिकतम और सुयोग्य प्रयोग के लिए बड़े कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि इस समय पर पंजाब अपने नहरी जल का सिर्फ़ 33-34 प्रतिशत ही इस्तेमाल कर रहा है और आने वाले दिनों में इसमें और विस्तार किया जायेगा। भगवंत मान ने आशा अभिव्यक्त की कि यदि पंजाब पहले पड़ाव में नहरी जल के प्रयोग को 60 फीसद तक बढ़ा लेता है तो कुल 14 लाख ट्यूबवैलों में से लगभग चार लाख ट्यूबवैल बंद हो सकते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में जल की बचत करने में मदद मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण के लिए तेलंगाना की उदाहरण देते हुये कहा कि यह एक क्रांतिकारी माडल है जिसका मंतव्य भूजल को संपूर्ण रूप में रिचार्ज़ करना है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना सरकार ने राज्य भर में भूजल के उचित संरक्षण के लिए गाँवों में छोटे-छोटे डैम बनाऐ हैं। भगवंत मान ने कहा कि इसके नतीजे के तौर पर गाँवों में भूजल का स्तर चार मीटर तक बढ़ गया है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने नॉलेज सिटी में पंजाब बायोटैक्नालोजी इनक्यूबेटर (पी. बी. टी. आई.) को विश्व स्तरीय उपकरणों वाली नयी बनी अत्याधुनिक इमारत लोगों को समर्पित की। उन्होंने बताया कि इस विलक्षण सुविधा का प्रयोग भोजन, खेती, जल, पर्यावरण और सेहत क्षेत्रों में कीटनाशकों के अवशेष, भारी धातुओं, खाद्य पदार्थों/ मिलावट आदि की जांच के लिए की जायेगी। इसके साथ ही भगवंत मान ने मिशन तंदुरुस्त पंजाब के अंतर्गत पी. बी. टी. आई. द्वारा तैयार किये भोजन और जल के नमूनों की जांच करने वाली मोबाइल वैन को हरी झंडी देकर रवाना भी किया।
इसके इलावा, मुख्यमंत्री द्वारा पर्यावरण संरक्षण के अलग-अलग कामों के लिए 50 करोड़ रुपए की राशि भी अलॉट की गई है जिसके अंतर्गत स्थानीय निकाय विभाग (45.45 करोड़ रुपए), ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग (3. 92 करोड़ रुपए) और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड विभाग ( 63 लाख रुपए) को यह राशि दी गई है। उन्होंने पुष्पा गुजराल साईंस सिटी, कपूरथला में इलेक्ट्रानिक गैलरी और पंजाब स्टेट कौंसिल फार साईंस एंड टैक्नोलोजी (पीएससीएसटी) की तकनीकी और वित्तीय सहायता के साथ तैयार किये धान की पराली आधारित पैलेटाईज़ेशन यूनिट (पटियाला) का भी उद्घाटन किया।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने आज शहीद भगत सिंह पंजाब राज्य सालाना पर्यावरण पुरुस्कार के पहले ऐडीशन में चार संस्थाओं को सम्मानित किया, जिसके अंतर्गत “ग्राम पंचायत“ की श्रेणी में ग्राम पंचायत, गाँव बल्लो, ज़िला बठिंडा, “संस्था“ की श्रेणी में गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, “उद्योग“ की श्रेणी में आई. टी. सी. लिमटिड (फूड डिवीज़न), कपूरथला और “एन. जी. ओ. / सामाजिक संगठन“ की श्रेणी में खेत विरासत मिशन, जैतो, ज़िला फरीदकोट शामिल हैं।
इस पुरस्कार में हर विजेता संस्था को एक लाख रुपए का नकद इनाम, प्रशंसा पत्र और सिलवर प्लेट मोमैंटो दिया गया है। भगवंत मान ने कम लागत वाली स्वदेशी तकनीकें और प्रक्रियाओं के विकास में शामिल छह ज़मीनी स्तर के इनोवेटरों को भी उनकी रचनात्मक सोच और तकनीकी जानकारी के लिए सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने पीबीटीआइ की इंटरनशिप स्कीम के अंतर्गत नवीनतम उच्च तकनीकों और उपकरण सहूलतों में लाईफ़ साईंस स्ट्रीम के विद्यार्थियों को हुनरमंद बनाने के लिए और पीबीटीआइ की इनक्यूबेशन स्कीम के अंतर्गत लाईफ़ साईंस, बायोटैक्नोलोजी और सहायक क्षेत्रों में स्टारटअप ईकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए अलाटमैंट पत्र भी बाँटे जिससे उनके विचारों को व्यापारिक तौर पर व्यावहारिक हलों में तबदील किया जा सके।
इस मौके पर कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर, राज्य सभा मैंबर बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल और अन्य भी उपस्थित थे।