धरा क्या, आसमान तक को छू सकती है नारी
- नारी सशक्तिकरण को दर्शा गया नाटक केसर
- टैगोर थिएटर में किया गया इस नाटक का मंचन
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 25 मई :
चंडीगढ़। नारी सशक्तिकरण का एक शानदार और सशक्त उदाहरण है केसर-नारी का स्वाभिमान। इस नाटक का मंचन चंडीगढ़ के टैगोर थिएटर में किया गया। नाटक केसर, कन्या भ्रूण हत्या और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के साथ शुरू होता है और अंत महिला सशक्तिकरण के साथ होता है। इसका मंचन संवाद थिएटर ग्रुप चंडीगढ़ द्वारा उतर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सहयोग से किया गया I नाटक में मुख्य अथिति के रूप में अमित तलवार, आईएएस, डायरेक्टर स्पोट्र्स एंड यूथ सर्विस पंजाब मौजूद रहे। इस मौके पर चंडीगढ़ कमीशन फार प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स की चेयरमैन बीबी हरजिंदर कौर भी मौजूद रहीं। इस मौके पर नवीन शर्मा, उतर क्षेत्र प्रमुख, संस्कार भारती भी विशेष रूप से उपस्थित रहे।
केसर नाटक का लेखन राजेश आत्रेय ने किया और मुकेश शर्मा के मार्ग दर्शन में रजनी बजाज ने निर्देशित किया।
सुखप्रीत गांव में रहने वाली जागरूक महिला है और उसका पति बलवंत एक संकीर्ण मानसिकता वाला व्यक्ति है। सुखप्रीत एक लड़की को जन्म देती है तो उसका पति मारने या छोड़ आने के लिए कहता है। सुखप्रीत न चाहते हुए भी उस लड़की को बाहर छोड़ देती है। परमजीत की पहले भी एक लड़की है ,जिसका नाम केसर है। परमजीत के पति को उसका यह काम पसंद नहीं आता, परमजीत की जिद के कारण वह कुछ कर नहीं पाता। परमजीत इस लड़की का नाम छोटी रखती है। छोटी को दलवीर उसे उसके असली बाप बलवंत को बेच देता है। बलवंत छोटी का शोषण करने की कोशिश करता है, उसी समय सुखप्रीत वहां पहुंच जाती है। वह बलवंत को एक थप्पड़ मारती है और उसे बताती है कि जिससे वह दुष्कर्म करने की कोशिश कर रहा था वह उसकी अपनी ही बेटी है। यह सुनकर बलवंत सुखप्रीत से माफी मांगता है, लेकिन सुखप्रीत उसे कहती है, तूने एक औरत को धोखा दिया माफ किया, बीवी को धोखा दिया माफ किया। परमजीत छोटी को लेकर अपने घर लौटती है और केसर को इस बात की जानकारी होती है तो केसर अपने बाप दलवीर का कत्ल कर देती है।