Sunday, January 5

24 साल बाद पंजाब की जालंधर सीट पर कांग्रेस साफ हो गई है। सुशील कुमार रिंकू जालंधर लोकसभा उपचुनाव जीत गए हैं। इसी के साथ लोकसभा में पंजाब से फिर आम आदमी पार्टी (आआपा) का खाता खुल गया है। पहले भगवंत मान इकलौते सांसद थे, अब रिंकू बनेंगे। 1999 से जालंधर सीट पर कांग्रेस का कब्जा था।

पंजाब में क्या फिर अकाली दल-BJP का गठबंधन होगा? यह सवाल फिर से राज्य की सियासत में तेजी से उठ रहा है। इसकी वजह जालंधर लोकसभा उपचुनाव में दोनों पार्टियों की हार है। अकाली दल ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा।

भाजपा अकेले मैदान में थी। दोनों दलों की वोटें दूसरे नंबर पर आई कांग्रेस से ज्यादा रही। वहीं सीट जीतने वाली आम आदमी पार्टी (आआपा) से कुछ हजार ही कम थी। सीट पर हार-जीत स्पष्ट न भी हो तो गठबंधन की तरफ से यहां मुकाबला कड़ा होता।

यह एक फैक्टर है। 21 साल 2 पार्टियों ने गठबंधन में काम किया। 3 सरकारें इकट्‌ठी बनाई। बहुत सारे विधानसभा सीटें हैं, जहां एक-दूसरे पर निर्भरता हो चुकी थी। जालंधर की बात करें तो 3 सीटों BJP कमांड करती थी। वहां हमारे संगठन पर इफेक्ट हुआ। वहां गठबंधन का दूसरा सहयोगी रहा तो वर्कर कमजोर होता है।

अगर आप आज भी दोनों के वोट का टोटल कर लो तो अकाली दल और भाजपा जीत की तरफ होती। जिस स्थिति में इलेक्शन लड़ा, 10 दिन पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के निधन से कैंपेन नहीं हो पाई।

देखो, यह एक पंजाब का बड़ा नेचुरल गठबंधन था। सामाजिक रिश्ते के तौर पर पंजाब के लिए ये गठजोड़ सांझा संदेश देता था। गठबंधन के कई फायदे और कई नुकसान भी होते हैं।

अकाली दल ने किसान आंदोलन के वक्त भाजपा से गठबंधन तोड़ा था। केंद्र में अकाली कोटे से मंत्री हरसिमरत बादल ने इस्तीफा दे दिया था।

अकाली दल-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. सुखविंदर सुक्खी को 1 लाख 58 हजार 445 यानी 17.85% वोट मिले। सुक्खी तीसरे नंबर पर रहे। चौथे नंबर पर रहे भाजपा के इंदर इकबाल सिंह अटवाल को 1 लाख 34 हजार 800 यानी 15.19% वोट मिले।


जालंधर लोकसभा सीट पर आम आदमी पार्टी (आआपा) के उम्मीदवार सुशील रिंकू 58 हजार 691 वोटों से जीते। उन्हें कुल 3 लाख 02 हजार 097 वोट मिले। अगर अकाली दल और भाजपा के वोट जोड़े जाएं तो यह 2 लाख 93 हजार 151 हैं। फिर भी वह AAP के रिंकू से 8 हजार 946 वोट कम रहते।

हालांकि दूसरे नंबर पर 2 लाख 43 हजार 450 वोट पाने वाली कांग्रेस की कर्मजीत कौर चौधरी से गठबंधन 49 हजार 701 वोटों से आगे रहता। यही बात गठबंधन के दोबारा होने की तरफ इशारा करती है। गठबंधन का जीतने वाले उम्मीदवार से अंतर बहुत कम है और दूसरे नंबर वाले से काफी ज्यादा, ऐसे में गठबंधन मुकाबले में जरूर रहता।

हालांकि यहां यह भी अहम है कि अकाली दल अकेले नहीं बल्कि बसपा भी उसके साथ मिलकर लड़ी थी। बसपा का दलित वोटर बाहुल्य सीट होने से जालंधर में अच्छा आधार है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सारे शेड्यूल रद्द कर चंडीगढ़ में पूर्व CM बादल के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने सारे शेड्यूल रद्द कर चंडीगढ़ में पूर्व CM बादल के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे थे।

अकाली दल की तरफ से भाजपा से गठबंधन को लेकर पहले भी आवाजें उठती रहीं हैं। पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल के निधन के वक्त भी विरसा सिंह वल्टोहा और प्रेम सिंह चंदूमाजरा जैसे नेताओं ने इशारों में इसकी पैरवी की थी।

पंजाब के भाजपा नेता भले ही गठबंधन के खिलाफ हों लेकिन हाईकमान का अकाली दल के प्रति नरम रूख है। यही वजह है कि पूर्व CM बादल के निधन पर पहले पीएम नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ अंतिम दर्शन करने आए। अंतिम संस्कार के दिन राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा गांव बादल पहुंचे। अंतिम अरदास के दिन गृह मंत्री अमित शाह आए। ऐसे में गठबंधन को लेकर गुंजाइश को हर बार बरकरार माना जाता है।