पी.ए.यू. में दूसरी सरकार किसान मिलनी में पंजाब भर से किसान शामिल हुए
पंजाब की चुनौतियों के हल के लिए खेती को लाभप्रद पेशा बनाना अनिवार्य: कृषि मंत्री
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ (राकेश शाह) : आज पी.ए.यू. में दूसरी सरकार किसान मिलनी करवाई गई। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरपरस्ती अधीन हुई इस मिलनी की अध्यक्षता कृषि, किसान कल्याण और प्रवासी मामलों के मंत्री स. कुलदीप सिंह धालीवाल ने की। पंजाब के पशु पालन मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर इस समारोह में विशेष मेहमान के तौर पर शामिल थे। पीएयू के वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह गोसल इस मिलनी में मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल थे। श्री सुमेर सिंह गुर्जर, प्रमुख सचिव कृषि, किसान कल्याण आयोग के चेयरमैन डॉ. सुखपाल सिंह, पनसीड के चेयरमैन महिन्दर सिंह सिद्धू, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर बीएस घूम्मन, गडवासू के वाइस चांसलर डॉ. इन्दरजीत सिंह, पूर्व निदेशक बाग़बानी डॉ. गुरकंवल सिंह विशेष तौर पर मौजूद रहे।
इस मिलनी का उद्देश्य आने वाले समय में कृषि नीति बनाने के लिए पंजाब के किसानों के साथ सलाह-परामर्श करना और उनकी राय को जानना था। इस मिलनी में पंजाब भर से हज़ारें की संख्या में किसान शामिल हुए। दर्जनों स्टॉलें और किसानों ने अपनी रूचि के अनुसार फ़सल की बिजाई और अन्य मुद्दों संबंधी माहिरों के साथ सलाह-परामर्श किया। सलाह-परामर्श हॉल में कृषि मंत्री ने हर स्टॉल पर रुककर किसानों के साथ बातचीत की, उनकी शिकायतें सुनी और उनके सुझाव एवं समस्याओं के हल के बारे में किसानों के नज़रिए को जाना। बाद में मुख्य पंडाल में पहुँचकर उन्होंने किसानों को संबोधित किया।
कृषि मंत्री स. कुलदीप सिंह धालीवाल ने इस मौके पर बोलते हुए कहा कि इस मिलनी के दो उद्देश्य हैं। पहला रिवायती फ़सलीय चक्र में से किसानों को बाहर निकालने के लिए किसानों की राय और सुझावों को जानना और दूसरा इन सुझावों के आधार पर पंजाब की नई कृषि नीति को बनाना। कृषि मंत्री ने पिछले समय के दौरान मौजूदा सरकार द्वारा कृषि की बेहतरी के लिए की गई सभी कोशिशों का विशेष जि़क्र किया। उन्होंने कहा कि फ़सल खरीद की तत्काल और पारदर्शी नीति बनाई गई है। सरकार ने गन्ने का बकाया किसानों को अदा कर दिया है और साथ ही गन्ने की कीमत में वृद्धि की गई है। उन्होंने कहा कि कृषि चुनौतियों का ही नहीं बल्कि पंजाब की समस्याओं के हल के लिए खेती को लाभप्रद पेशा बनाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि आने वाली 30 जून को लागू होने जा रही कृषि नीति में किसानों के सुझाव शामिल किए जाएंगे। उन्होंने विदेशी किसानों के शामिल होने का स्वागत किया और उनके तजुर्बों को पंजाब के किसानों के साथ साझे करने के लिए प्रेरित किया। कृषि मंत्री ने कहा कि पानी के सुचारू हल के लिए सरकार वचनबद्ध है। 97 प्रतिशत कपास पट्टी में नहरी पानी को ठीक समय पर पहुँचाना सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा पानी, बिजली, बीजों के वितरण को पारदर्शी बनाना सरकार का मुख्य मंतव्य है। कृषि मंत्री ने पराली के प्रबंधन को पीएयू की सिफारिशों के अनुसार करने की अपील की। स. धालीवाल ने गेहूँ धान के फ़सलीय चक्र में से निकालकर कृषि विविधता के तौर पर सब्जियाँ, फलों और मक्का आदि की कृषि, मंडीकरण और प्रोसेसिंग के लिए योग्य नीति बनाने की तरफ सरकारी पहल का हवाला दिया। स. धालीवाल ने कम पानी के उपभोग वाली धान की किस्मों पीआर-126 और बासमती की कृषि पर विशेष ज़ोर दिया। कृषि मंत्री ने कहा कि मौजूदा सरकार का सपना पंजाब की कृषि को फिर से शिखर की ओर लेकर जाने के लिए हर संभव कोशिश करना है।
पशु पालन मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर ने कहा कि सरकार की यह पहल किसानों के तजुर्बों को सम्मान देने वाली है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में पशु पालकों के साथ भी ऐसी मिलनी का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि पशु पालन संबंधी अच्छी नीति बनाकर और सहायक धंधे प्रफुलित किए जाएंगे, ताकि विदेश जाने के रुझान को खत्म किया जा सके। उन्होंने दूध की घरेलू ज़रूरत की पूर्ति के लिए पशु पालन पर ज़ोर दिया।
पी.ए.यू. के वाइस चांसलर डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने इस मौके पर स्वागती शब्द बोलते हुए कहा कि पी.ए.यू. के परिसर में यह नवीन मिलनी दूसरी बार हो रही है, जिसमें पूरे पंजाब से किसान शामिल हो रहे हैं। डॉ. गोसल ने बताया कि 12 फरवरी को हुई पहली मिलनी में 15 हज़ार के करीब किसान शामिल हुए थे, इस बार यह संख्या पहले की अपेक्षा कहीं अधिक है। पहली मिलनी से प्राप्त किसानों के सुझावों के अनुसार पीएयू अपनी कृषि अनुसंधान और प्रसार को नए दिशा-निर्देश दे रही है। उन्होंने प्रवासी किसानों का स्वागत करते हुए बताया कि पाँच देशों से पंद्रह प्रगतिशील किसानों का इस मिलनी और किसान सम्मेलन में जुडऩा हमारा हौसला बढ़ाने के लिए कारगर कदम है। डॉ. गोसल ने कहा कि यूनिवर्सिटी ने आने वाले खरीफ की फ़सल सीजन के लिए कम पानी का उपभोग करने वाली किस्मों की सिफारिश की है। साथ ही उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का मंतव्य किसानों की आमदन में वृद्धि करना और पर्यावरण समर्थकीय कृषि को प्रोत्साहित करना है।
इस मौके पर प्रवासी किसान केवल सिंह बासी, मिंटू बराड़, आश्राकार सिंह गरेवाल, राजिन्दर सिंह मंड, अमनदीप सिंह सिद्धू, रुमेल सिंह तूर, डॉ. बिक्रम सिंह गिल, गुररीत बराड़, हरदीप सिंह, गुरराज सिंह ढिल्लों, डॉ. इन्दर मान, गुरिन्दर सिंह औजला, जगबीर सिंह शेरगिल को सम्मानित किया गया।
कृषि मंत्री और पशु पालन मंत्री को यूनिवर्सिटी द्वारा सम्मान चिह्न से नवाज़ा गया।
इस मौके पर दो किताबें जारी की गईं। इनमें डॉ. तेजिन्दर सिंह रियाड़, मिस शीतल चावला और कुलबीर कौर की कॉफी टेबल किताब किसानों और कृषि वैज्ञानिकों का अटूट रिश्ता और डॉ. शीतल थापर, डॉ. नरिन्दरपाल सिंह, डॉ. विशाल बैकटर और डॉ. आशु तूर की किताब ‘द रूट्स ऑफ प्रोसपैरेटी’ जारी की गई।
अंत में धन्यवाद की जि़म्मेदारी डॉ. गुरविन्दर सिंह, निदेशक कृषि ने निभाई।