अब और क्या बाकी रह गया इस्तीफा देने में, तूफान आने से पहले
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, करणीदानसिंह राजपूत, सूरतगढ़ – 10मई :
नगर पालिका सूरतगढ के अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा के घोटाले पर घोटाले बड़े घोटाले आ गए हैं अब इस्तीफा देने में क्या कुछ बाकी रह गया है? दबे मामले सामने आने और पुलिस के मुकदमे होने के बाद हालात और अधिक गंभीर होंगे। विभाग और पुलिस की खोज से भी बहुत आगे तो विरोधी लोग निकले हुए हैं जो पक्की खोज करके प्रमाणिक मामले सामने ला रहे हैं।
- भाजपा अभी भी नहीं बचा रही और कभी बचाएगी भी नहीं। भाजपा द्वारा लेना और भाजपा में जाने में भी बड़ा अंतर है।
भाजपा गुलदस्ते फूल मालाएं तो पहना सकती है वह स्वागत हो चुका। तूफान की भनक लगते ही
भाजपा तो पार्टी से निकालने का आदेश ही जारी करेगी।
समझदारी इसी में है कि पालिका अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दे ताकि जो और तूफान से मामले आएंगे वे सारी बगिया को एकदम से लू लगा देंगे। अभी बहुत कुछ ढका हुआ पर्दे में पड़ा है। नगर पालिका में नया-नया और नया मामला सामने आए,कोई नया मुकदमा बने उससे पहले अभी वक्त है त्यागपत्र देने का। बाद में तो देना मजबूरी होगी। त्यागपत्र देने से पहले ही बहुत सी कार्रवाई हो जाएगी।
- जब आचरण में व्यवहार में भ्रष्ट विचार घुस जाएं तब केवल दुष्ट कार्य करने का ही मन करता है।
👍 अध्यक्ष और लेखाकार सुनील एक विचार होकर तूफान लाने वाले भ्रष्ट काम करें और सोचें कि कुछ नहीं होगा? नौकरी के डर से कोई मुंह नहीं खोलेगा। मामले सामने भी नहीं आएंगे। कोई सवाल नहीं करेगा? लेकिन मामला सामने आ रहा है। कर्मचारी मुंह बंद क्यों रखेंगे? कर्मचारियों से कैसा सलूक किया?
पुलिस में एक मुकदमा है और नया होते देर नहीं लगती।
- कौन फाइलें देखेगा? किसको फाइल में देखने की फुर्सत है। सूरतगढ़ में कौन है जो इतना रिकॉर्ड खंगालेगा? एक एक कर्मचारी से बात करेगा भ्रष्टाचार और कार्यों के बारे में खोजबीन कर लेगा? मामले दबाए जाते हैं। दबाने के लिए व्यक्ति बहुत कुछ करता है लेकिन मामले एक न एक दिन सामने आ जाते हैं।
- ओमप्रकाश कालवा नगर पालिका अध्यक्ष जो खुद को मास्टर जी प्रसिद्ध करना चाहते थे वे एक एक मामला सामने आने से अब मास्टर जी नाम से प्रसिद्ध नहीं हो पा रहे हैं।
- नगर पालिका अध्यक्ष और सुनील लेखाकार के विरुद्ध जो मामले सामने आ रहे हैं बे बहुत गंभीर हैं और तूफान बनने वाले हैं।
- हो सकता है कि पालिका अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने से यही तक बात रहे और आगे की कोई खोजबीन भी न करें। क्योंकि पद पर रहता है आदमी तब तक उसकी खोजबीन होती है। पद छोड़ने के बाद में कोई कोशिश नहीं करता।
- ओम प्रकाश कालवा यदि इस्तीफा नहीं देते हैं तो मामले तो बर्बाद करने वाले हैं। सरकार की ओर से एक के बाद एक कार्यवाही होने मुकदमें से जब सस्पेंशन का आदेश होगा तो वह बहुत बुरा होगा।
- सीवरेज घोटाले के सामने आने के बाद भी ओमप्रकाश कालवा लेखाकार रहे सुनील के गलत काम और अधिशासी अधिकारी रहे विजय प्रताप सिंह के भ्रष्टाचार खुल रहे हैं।