भाजपा नेताओं के पिलपिले सिर और सामने कांग्रेस प्रशासन की दीवार

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट,सूरतगढ़ – 07   मई  :

नगरपालिका सूरतगढ में भाजपा अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा बेचारा है जिसकी बात ही नहीं चलती तो उसके कहने से कोई काम होता होगा का अनुमान लगाया जा सकता है। अध्यक्ष की नहीं चलती तो भाजपा की भी नहीं चलती। भाजपा भी बेचारी बन कर रह गई है। विधायक नगरपालिका सभा का सदस्य होता है उसकी भी नहीं चलती।विधायक रामप्रताप कासनिया भी नगरपालिका की व्यवस्था में शक्तिहीन बेबस से होकर रह गये हैं। अध्यक्ष और विधायक की हालत बेचारगी वाली हो तब पूर्व विधायकों राजेंद्र सिंह भादू.अशोक नागपाल तो नगरपालिका में कुछ करा ही नहीं सकते। 

भाजपा पूरी दुनियां में सबसे अधिक सदस्य संख्या वाली और 56 ईंची ताकत वाली पार्टी के बड़े नेताओं की नहीं चलती तब शेष पदाधिकारियों की भी नहीं चलती। नेताओं के साथ इनको भी जान लेना चाहिए।

जिला उपाध्यक्ष श्रीमती आरती शर्मा जो स्वयं नगरपालिका अध्यक्ष रह चुकी हैं। जिला मंत्री काजल छाबड़ा जो स्वयं 2014 से 2019 तक नगरपालिका अध्यक्ष रह चुकी हैं।

 जिला पदाधिकारी सरदार शरणपालसिंह मान,नगर मंडल अध्यक्ष सुरेश मिश्रा और महामंत्री लालचंद शर्मा,सुभाष गुप्ता, किसान मोर्चा जिला उपाध्यक्ष  पवन ओझा,पार्षदगण , जगदीश मेघवाल,ओमप्रकाश अठवाल, हंसराज स्वामी,संजय अग्रवाल, हरिप्रसाद, राजीव चौहान,पार्षद प्रतिनिधि गोविन्द नायक ,गुरजंट सिंह ,रिंकू सिद्दीकी ,सत्यनारायण तावणियां , राजेन्द्र ताखर,सत्यनारायण छिम्पा,राजगिरि गोस्वामी, पार्षद सुरेन्द्र गंवारिया,युवा मोर्चा जिला महामंत्री विनोद कु, युवा मोर्चा अध्यक्ष मंयक वशिष्ठ,प्रेम सिंह,आदि। ये सभी शनिवार 6 मई 2023 को अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरविंद कुमार जाखड़ से मिले और नगरपालिका में नहीं चलती का कहा। जनता के काम नहीं होने का कहा। एडीएम सुलझे हुए अनुभवी अधिकारी हैं। उन्होंने जो कहा वो समझना चाहिए। नगरपालिका आपकी चुनी हुई है और वहां व्यवस्था आपको ही करनी है। व्यवस्था में गड़बड़ी का कहा गया था। व्यवस्था चैयरमेन ओमप्रकाश कालवा को करनी चाहिए और विधायक रामप्रताप कासनिया को करवानी चाहिए। इनसे व्यवस्था होती तो एडीएम के पास अवकाश वाले दिन भीड़ रूप में नहीं जाते। इनकी चल नहीं रही और ताकत है नहीं कि सिर भिड़ा लें। सिर पिलपिले हैं और सामने कांग्रेस प्रशासन की दीवार है। सिर पक्का होता तो दीवार से मार लेते। अपने आपको ताकतवर प्रचारित करना और सच्च में ताकतवर होने में बहुत फर्क होता है जो यहां भाजपा में है।

दण्ड चलाना सीखना सिखाना करते हैं और उपयोग नहीं कर पाते। लाठी चलाकर किसी को सीधा करने की बात नहीं न यह करने को कहा जाता है लेकिन कानून नियम से तो रोजाना ही लाठी चलाई जा सकती है। सिर पिलपिले हैं न भिड़ाएं कानून की लाठी तो बहुत मजबूत होती है। इतने बड़े लावलश्कर में एक भी यह लाठी चलानी नहीं जानता।

विधायक रामप्रताप कासनिया,पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह भादू,पूर्व विधायक अशोक नागपाल एक भी ताकतवर नहीं। ये कानून नियम की लाठी चलाने में क्यों डरते हैं? 

👍 सन् 2023 के विधानसभा चुनाव नवम्बर में होंगे। ये टिकट चाहने वालों में हैं। इनके अलावा जो अन्य टिकटार्थी हैं विधायक बनने के ऊंचे सपने ले रहे हैं, अपने नाम और फोटो छपवा कर और छपते देख कर खुश हो रहे हैं, वे भी दीवार से सिर नहीं भिड़ा रहे। उनको भी मालुम है अपने अपने सिर का। टिकट के लिए अनेक तरीके आजमा रहे हैं। महीनों से लगे हुए हैं। बस नगरपालिका में कभी सिर भिड़ाने की कोशिश नहीं की। कानून की लाठी भी नहीं चलाई। 

* हालत यह है कि नगरपालिका में नहीं चल रही और सूरतगढ़ सीट के जीत के दावे करते हैं।

* इतने नेताओं पदाधिकारियों ने तो माना ही है कि नगरपालिका में नहीं चलती। एडीएम के आगे विनती की है। अभी भी कानून की लाठी चलाने के लिए सोचते हैं कि कोई दूसरा ही यह पंगा ले। यह सोच ही कमजोर बना रही है।०0०