Monday, December 23
  • राष्ट्रपति ने की चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के 25 वें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता, विद्यार्थियों को प्रदान की डिग्रियां
  • डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में से आधे से अधिक बेटियां, यह गर्व का विषय है कि हमारी बेटियां अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं- राष्ट्रपति
  • हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य – श्रीमती द्रौपदी मुर्मु

मुनीश सलूजा, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, हिसार  – 25   अप्रैल :

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कृषि ‌वैज्ञानिकों का आह्वान करते हुए कहा कि आज कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या, सिकुड़ती कृषि भूमि, गिरते भूजल-स्तर, मिट्टी की घटती उर्वरता, जलवायु परिवर्तन जैसी अनेक चिंताएं हैं, जिनका समाधान खोजना कृषि पेशेवरों, वैज्ञानिकों का दायित्व है। आज ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे हमारी विशाल जनसंख्या को पर्यावरण और जैव-विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके। यह एक चुनौती भी है और अवसर भी। मुझे पूरा विश्वास है कि कृषि पेशेवर अपनी शिक्षा के बल पर इस चुनौती को अवसर में बदल देंगे।  

राष्ट्रपति ने आज चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के 25वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और विद्यार्थियों को डिग्रियां व गोल्ड मेडल प्रदान किये। समारोह में हरियाणा के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जेपी दलाल और विधानसभा उपाध्यक्ष श्री रणबीर ‌गंगवा सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में आधे से अधिक बेटियों की संख्या से गौरवान्वित हुई राष्ट्रपति ने कहा कि आज गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में भी 70 प्रतिशत से अधिक छात्राएं हैं। यह संतोष और गर्व का विषय है कि हमारी बेटियां कृषि एवं संबंद्ध विज्ञान सहित अनेक क्षेत्रों में आगे बढ़ रही हैं।


आज चुनौतियों को स्वीकार करने और अपने सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का अवसर इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दीक्षांत समारोह केवल डिग्री, पुरस्कार या पदक प्रदान करने का ही अवसर नहीं है, बल्कि अर्जित क्षमताओं के माध्यम से चुनौतियों को स्वीकार करना तथा अपने सपनों को साकार करने का संकल्प लेने का अवसर है।

उन्होंने कहा कि आज का दिन विद्यार्थियों के शैक्षणिक जीवन का एक महत्वपूर्ण क्षण है, लेकिन आज शिक्षा संपूर्ण नहीं हुई है, केवल एक हिस्सा पूरा हुआ है। कृषि विज्ञान के विद्यार्थी के रूप में आप सभी ने जो भी सीखा है, उसका व्यावहारिक रूप से उपयोग करने का अवसर जीवन में आएगा। अब आप अन्नदाता किसान के साथ मिलकर कृषि के विकास में अपना योगदान देंगे और कृषि जगत की सेवा करते रहेंगे।
श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने विद्यार्थियों को कहा कि आपको अपने ज्ञान और क्षमताओं के विस्तार के लिए दुनिया भर के नवीनतम नवाचारों से अवगत रहना होगा। आपका यह प्रयास देश को वैभवशाली राष्ट्र बनाने में सार्थक होगा। बड़ी जनसंख्या के बावजूद, आज भारत खाद्यान्न संकटग्रस्त देश से खाद्यान्न निर्यातक देश बन गया है। इसमें हमारे नीति-निर्माताओं, कृषि-वैज्ञानिकों और किसान भाइयों-बहनों का महत्वपूर्ण योगदान है।

हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य

राष्ट्रपति ने कहा कि आज हरियाणा केंद्रीय खाद्यान्न भंडार में दूसरा सबसे बड़ा योगदान देने वाला राज्य है। इस उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय केंद्र और राज्य सरकारों की किसान-हितैषी नीतियों, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की तकनीकी पहल और सबसे बढ़कर यहां के किसानों की नवीनतम कृषि तकनीकों को अपनाने की इच्छा-शक्ति को जाता है। मुझे पूरा विश्वास है कि यहां के मेहनती निवासियों की कुशाग्रता और सामर्थ्य के बल पर हरियाणा का भविष्य और भी उज्ज्वल होगा।

उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय अपने स्थापना के समय से ही कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। हरित क्रांति और श्वेत क्रांति की सफलता में भी इस विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अब तक फसलों की कई किस्मों का विकास किया है। यहां पर विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए प्रतिवर्ष लगभग 18000 क्विंटल उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन होता है। आज जब पूरा विश्व एक-दुसरे से जुड़ा हुआ है और पूरी मानवता ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है तो ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। यह विश्वविद्यालय कई देशों की संस्थाओं के साथ कृषि से जुड़े विषयों पर सहयोग कर रहा है।

जल का मितव्ययता के साथ उपयोग किया जाना समय की मांग

राष्ट्रपति ने कहा कि खेती की लागत को कम करने, उत्पादकता बढ़ाने, उसे पर्यावरण अनुकूल बनाने तथा उसको और अधिक लाभकारी बनाने में तकनीक की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि पानी कृषि का एक अहम घटक है जो सीमित मात्रा में उपलब्ध है। इसलिए यह अत्यंत आवश्यक है कि जल का मितव्ययता के साथ उपयोग किया जाए। सिंचाई में तकनीक का अधिकतम प्रयोग होना चाहिए जिससे जल-संसाधन का दोहन न्यूनतम हो सके। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से प्रतिवर्ष पंजाब, हरियाणा और दिल्ली क्षेत्र में वायु प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। हमें प्रदूषण की समस्या का समाधान न सिर्फ अपने स्वास्थ्य के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य के लिए भी ढूँढना है।

युवा जॉब सीकर की बजाये बने जॉब प्रोवाइडर

श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि भारत एक स्टार्ट-अप हब के रूप में उभरा है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इको सिस्टम आज भारत में है। कृषि और इससे जुड़े कई क्षेत्रों में स्टार्ट-अप की प्रचुर संभावनाएं हैं। इसलिए युवाओं को जॉब सीकर की बजाये जॉब प्रोवाइडर बनना चाहिए।