पूर्व CM प्रकाश सिंह बादल का निधन वह 95 वर्ष के थे
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का 95 साल की उम्र में निधन हो गया है. वे काफी समय से बीमार थे. प्रकाश सिंह बादल ने चंडीगढ़ के फोर्टिस हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली.प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में राजनीति में पदार्पण किया था। 1957 में पहला विधानसभा चुनाव जीता था। 1969 में प्रकाश सिंह बादल दोबारा विधायक बने थे। वहीं प्रकाश सिंह बादल 1970–71, 1977–80, 1997–2002 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे। वहीं 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष भी रहे थे। प्रकाश सिंह बादल सांसद भी रह चुके हैं। केंद्र में मंत्री भी रह चुके थे। एक मार्च 2007 से 2017 उन्होंने दो बार मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला था।
अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 25 अप्रैल :
पंजाब के पांच बार के सीएम रहे मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हें कुछ दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। प्रकाश सिंह बादल का जन्म आठ दिसंबर 1927 को पंजाब के छोटे से गांव अबुल खुराना के जाट सिख परिवार में हुआ था। प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का भी देहांत हो चुका है। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल उनके बेटे हैं।
शुक्रवार सुबह तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मोहाली के प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वे 5 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे।
जून 2022 में भी सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। कुछ समय बाद अस्पताल से उनकी छुट्टी हो गई थी। सितंबर 2022 में फिर सेहत बिगड़ने के बाद उन्हें PGI चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया था।
बादल 2022 में पंजाब विधानसभा का चुनाव हार गए थे। यह उनके राजनीतिक करियर की पहली हार थी। अधिक उम्र के कारण वे चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन बेटे सुखबीर बादल के कहने और पंजाब में अकाली दल की दयनीय स्थिति को देखते हुए प्रकाश सिंह बादल चुनावी मैदान में उतरे थे।
सबसे कम उम्र के सरपंच और सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार
प्रकाश सिंह बादल ने साल 1947 में राजनीति शुरू की थी। उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब वे सबसे कम उम्र के सरपंच बने थे। 1957 में उन्होंने पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 1969-70 तक वे पंचायत राज, पशु पालन, डेयरी आदि मंत्रालयों के मंत्री रहे।
इसके अलावा वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वे सांसद भी चुने गए। 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने के बाद वे सबसे अधिक उम्र के उम्मीदवार भी बने।