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पवन सैनी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट,  हिसार – 21  अप्रैल :

 एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम से गंभीर रूप से ग्रसित हिसार की 39 वर्षीय महिला मरीज का फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के द क्रिटिकल केयर यूनिट में सफल इलाज किया गया।  फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डायरेक्टर व एचओडी डॉक्टर संदीप दीवान ने इस बारे में बताया, ‘’मरीज को एच3एन2 फ्लू था, साथ ही एआरडीएस की वजह से सांस लेने में बहुत समस्या हो रही थी, लिहाजा उन्हें तुरंत ही आईसीयू में भर्ती किया गया. ईसीएमओ के साथ उन्हें बहुत ही देखभाल के साथ रखा गया, रेगुलर मॉनिटरिंग की गई. उनके इलाज में मल्टी-डिसीप्लिनरी डॉक्टर्स की टीम लगी रही. मरीज की बॉडी की आवश्यकता के हिसाब से ईसीएमओ को एडजस्ट किया जाता रहा. मरीज 5 हफ्ते तक ईसीएमओ पर रहीं, उसके बाद एक हफ्ते के अंदर वेंटिलेटर हटा दिया गया और मरीज को स्थिर हालत में वापस स्थानीय अस्पताल भेज दिया गया. मरीज की गर्दन में ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब लगी थी.’’

क्या है ईसीएमओ?

जब किसी मरीज के गंभीर रूप से फेफड़े फेल हो जाते हैं या हार्ट फेल हो जाता है और मरीज की हालत वेंटिलेटर सपोर्ट से भी कंट्रोल में नहीं आ पाती तब ईसीएमओ ट्रीटमेंट दिया जाता है. ईसीएमओ एक मशीन होती है, जो आर्टिफिशियल फेफड़े और दिल की तरह काम करती है. यानी जब फेफड़े या दिल की कंडीशन सही नहीं होती तो उनके फंक्शन को चलाने के लिए इस मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। 

फोर्टिस गुरुग्राम में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर मुनीष चौहान ने बताया, ‘’कोविड, स्वाइन फ्लू (एच1एन1), ट्रामा, हार्ट अटैक, हार्ट की बीमारी, ड्रग की अधिकता से जुड़े मरीजों के मामले में ईसीएमओ ट्रीटमेंट दिया जाता है. जब कोई मरीज दूर-दराज के इलाके में होता है और उसकी हालत किसी बड़े अस्पताल में शिफ्ट करने की नहीं होती है, वैसी स्थिति में ईसीएमओ का इस्तेमाल किया जाता है, और मोबाइल ईसीएमओ की मदद से तो बिना मशीन के ही ईसीएमओ सेंटर तक मरीज को पहुंचा दिया जाता है.’’

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