एक्युप्रेशर के जरिए रोगों को ठीक करने की प्राचीन पद्धति आज भी कारगर : डाॅ अमृत

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, यमुनानगर – 18  अप्रैल :

डीएवी गल्र्स काॅलेज के योग विभाग की ओर से दो दिवसीय एक्युप्रेशर पर वर्कशाप का आयोजन किया गया। जिसमें देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ अमृत लाल गुरविंदर मुख्य वक्ता रहे। कॉलेज प्रिंसिपल डॉ मीनू जैन व योग विभाग अध्यक्ष डाॅ रंजना ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम की अध्यक्षता की।

डाॅ अमृतलाल ने स्थूल और सुक्ष्म शरीर के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि चिकित्सा जगत में कई प्रकार से बीमारियों का इलाज किया जाता है। कहीं दवाइयों का उपयोग होता है, तो कहीं पर जड़ी-बूटियों का। वहीं, कुछ लोग शारीरिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए योग करते हैं। बीमारियों और शारीरिक समस्याओं को दूर करने का एक और भी तरीका है, जिसे एक्यूप्रेशर के नाम से जाना जाता है। एक्यूप्रेशर की उत्पत्ति प्राचीन काल में चीन में हुई थी और यह कई बीमारियों को ठीक करने में कारगर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि विजातीय तत्वों की वजह से शरीर में रोग पनपते है। एक्युप्रेशर एक प्राचीन विद्या है। जिसे हम प्रतिदिन दिनचर्या के दौरान जाने- अनजाने में करते रहते है। शरीर के सारे अंग एक दूसरे से संबंधित है। शरीर के सभी प्वाइंट्स हाथों व पावों में है। इन प्वाइंट की चिकित्सा करके अपने रोगों को ठीक कर सकते है। प्रकृति ने हमें जो चीजें दी हैं, वे कहीं न कहीं हमारे शरीर से संबंधित है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने अखोट को दिमाग से संबंधित बताया। वहीं ककडी का आकार छोटी आंत जैसा है। स्वस्थ रहने के लिए हमें प्रकृति से मिलने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए। डाॅ अमृतपाल ने सभी को कलर थेरेपी के बारे में बताया कि अगर किसी को अस्थमा या श्वास की समस्या है, तो हमें हाथों में फेफड़ों के स्थान पर ऑरेंज कलर का प्रयोग करना चाहिए। ऐसा करने से फेफड़े स्वस्थ रहेंगे। यह प्रयोग दिन के समय करना चाहिए।