- पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन आज हिमाचल के नाहन स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर में जलाभिषेक करने पहुँचे (कहते हैं कि पौड़ीवाला स्थित इस शिवमंदिर में साक्षात शिव शंकर भगवान वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।)
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकुला – 07 अप्रैल :
शक्तिशाली होने के बावजूद रावण अमरता चाहता था। घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उसे अमर होने का राज बताया जिसके बाद रावण ने यहां चमत्कारी सीढ़ी बना दी। मगर फिर भी उसका सपना पूरा नहीं हो पाया। आइए जानते हैं पूरी कहानी
अमरता पाने के लिए रावण ने यहां बनाई थी ‘चमत्कारी सीढ़ी
हिमाचल के नाहन स्थित इस शिव मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के साथ जोड़ा जाता है। कहा जाता है की रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। कहते हैं ये कहानी उस समय की है जब श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे।
उसी दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की। ये कोई आम शिवलिंग नहीं है। इसका आकार अब भी हर साल एक से दो इंच तक बढ़ जाता है।
रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव शंकर भगवान प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा। रावण ने अमरता का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने उसे अमर होने की तरकीब बताई।
ये तरकीब आसान नहीं थी। भगवान शिव ने कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होंगी। इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा।
रावण ने अमरता पाने के लिए अपना काम शुरू कर दिया। रावण ने पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी, दूसरी पौड़ी (सीढ़ी)यहां पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चुड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई।
मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गयी। जब वह जागा तो अगली सुबह हो गयी थी। ऐसे में उसे अमरता नहीं मिल पाई। पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है। साथ ही वह बावड़ी भी है जहां से रावण पानी भरता था।
कहते हैं कि पौड़ीवाला स्थित इस शिवमंदिर में साक्षात शिव शंकर भगवान वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।
यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला भी लगता है जिसमें दूर दूर से श्रद्घालु पहुंचते हैं।साथ में ज़िला युथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जैलदार आदर्श यादव व वरिष्ठ कांग्रेस नेता संदीप जलौली व अन्य भी साथ थे