सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, यमुनानगर – 05 अप्रैल :
डीएवी महाविद्यालय मे स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में मनोविज्ञान विभाग की ओर से हर घर ध्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। युवाओं को मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्वस्थ्य की देखभाल के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सांस्कृतिक मंत्रालय ने आर्ट ऑफ लिविंग के सहयोग से हर घर ध्यान अभियान का शुभारंभ किया गया है। महाविद्यालय के प्रांगण में इस कार्यक्रम का पथ प्रदर्शन कार्यवाहक प्राचार्य डॉ मीनू जैन व संचालन मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष शालिनी छाबड़ा के द्वारा किया गया ! कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आर्ट ऑफ लिविंग के सीनियर मेडिटेशन कोच पोलमी मुखर्जी रहे। डॉ मीनू जैन ने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा के शारीरिक स्वस्थ्य के साथ मानसिक स्वस्थ्य भी जीवन में अहम् भूमिका अदाकर्ता है ध्यान के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य विचारों एवं भावनाओं को संतुलित करने में मदद मिलती है।
पोलमी मुखर्जी जो 20सालो से युवाओं से संबंधित मुद्दों के समाधान की कोशिश में लगे हुए है जैसे नशा मुक्ति ए मानवीय मूल्यों का महत्वए कौशल विकासए रचनात्मक और प्रतिमा के साथ साथ तकनीकी क्षमता को बढ़ावा देना। उनका मानना है कि हमें बुद्धिमत्ता लब्धि और भावनात्मक लब्धि के साथ साथ खुशी लब्धि को प्राप्त करना खुशहाल जीवन का सूचक है। ध्यान और योग प्राचीन भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहे है जिसे हर घर ध्यान अभियान द्वारा सामाजिक व्यवस्था में वापस लाने की कोशिश की जा रही है। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की 1000 छात्रों को ध्यान का अभ्यास करवा गया और दिनचर्या में कैसे शामिल किया जाए उस पर बल दिया और सत्र के अंत में छात्राओं से उनके अनुभव एकत्रित किए गए।
उन्होंने बताया कि सत्र से उन्हें सकारात्मक ऊर्जा ए शांति की अनुभूति प्राप्त हुई। पोलिमी मुखर्जी ने मनोविज्ञान विभाग के परामर्श एवं ध्यान केंद्र का उद्घाटन किया। जहां छात्रों से संबंधित समस्याओं को सुना जाता है और उनके समाधान पर बल दिया जाता है। इस केंद्र का उद्देश्य छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य व्यवहारात्मक, विकासात्मक ए सामाजिक समस्या जैसे रिलेशनशिप संबंधित ए भावनात्मक ए अलगाव ए तनाव ए डिप्रेशन मन न लगना से संबंधित समस्याओं को हल करके छात्राओं को मजबूत ए जागरूक व्यक्ति बनाने और आवश्यकता पड़ने पर ध्यान और योग के माध्यम से उनकी समस्याओं को हल करवाने पर बल दिया जाता है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में प्राध्यापिका डॉ सुमन कुमारी, मीनाक्षी सैनी, और डोली मेहता ने अहम भूमिका निभाई।