· सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने स्पेशल गिरदावरी कराकर कम से कम ₹25000/ एकड़ मुआवजा देने की उठाई मांग
· मुआवजे की राशि उन किसानों को भी दी जाए जिन्होंने फसलों का बीमा नहीं करवाया है – दीपेन्द्र हुड्डा
· बर्बादी के बाद बची गेहूं की फसल में नमी तथा रंग बदलने का बहाना बनाकर खरीद में आनाकानी न करे सरकार, तुरंत खरीद शुरू हो – दीपेन्द्र हुड्डा
· प्रजातन्त्र के इतिहास में पहली बार ऐसा है जब सत्तापक्ष संसद को चलने नहीं दे रहा – दीपेन्द्र हुड्डा
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 03 अप्रैल :
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा देने की मांग को लेकर संसद में ध्यान आकर्षण प्रस्ताव का नोटिस दिया और किसानों को हुए नुकसान की समयबद्ध ढंग से स्पेशल गिरदावरी कराकर कम से कम ₹25000/ एकड़ मुआवजा देने की मांग की और साथ ही मुआवजे की राशि उन किसानों को भी देने की मांग रखी जिन्होंने फसलों का बीमा नहीं करवाया है। उन्होंने सरकार से ये भी मांग करी कि बर्बादी के बाद जो थोड़ी फसल बची है विशेष कर गेहूं की फसल, सरकार नमी तथा रंग बदलने का बहाना बनाकर गेहूं की खरीद में आनाकानी न करे। गेहूं की खरीद तुरंत शुरू की जाए, क्योंकि किसान पहले ही भारी परेशानी में हैं। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि वो चौथी बार सांसद बने हैं लेकिन प्रजातन्त्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब सत्तापक्ष संसद को चलने नहीं दे रहा है। इसके कारण जनहित से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है। पहले ऐसा तो होता रहा है कि जब सरकार जनता की आवाज़ नहीं सुनती थी तो विपक्ष जनहित के मुद्दे संसद में उठाकर कार्यवाही को रोकने की मांग करता था। लेकिन अब तो खुद सत्ता पक्ष ही संसद को चलने नहीं देना चाहता।
देश के किसानों से जुड़े अतिमहत्त्वपूर्ण विषय पर नियम 180 के तहत अपने नोटिस में सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पिछले दिनों हरियाणा समेत पूरे उत्तर भारत में हुई बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के चलते किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इसके चलते गेहूं, सरसों, फल, सब्जियों समेत खेत में खड़ी तमाम फसलों और कई जगह खलिहान में काटकर रखी गई फसल को भी भारी नुकसान हुआ है। किसान अपनी तरफ से तमाम लागत लगा चुका था। उसे उम्मीद थी कि इस बार अच्छी फसल होगी और थोड़ा मुनाफा होगा। लेकिन कुदरत की मार ने उसकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। किसानों को इस समय मदद की सख्त जरुरत है। किसान को आर्थिक संकट से उबारने के लिए सरकार को फौरन आगे आना चाहिए।
उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री से मांग करी कि किसानों पर आये इस संकट को देखते हुए केंद्र सरकार की पहल पर हरियाणा के प्रत्येक ज़िले के गाँवों में किसानों के हक में और किसान की सहमति के हिसाब से एक-एक इंच कृषि भूमि की समयबद्ध स्पेशल गिरदावरी हो और नुकसान के आकलन का परिणाम सार्वजनिक रूप से घोषित करके गांव की चौपाल में प्रत्येक किसान को बताया जाए कि उसे कितना नुकसान हुआ है और साथ ही साथ मुआवजे का भुगतान भी सुनिश्चित कराया जाए। गिरदावरी का नतीजा सार्वजनिक रूप से घोषित करने से कागजी गिरदावरी व धांधली की संभावना न के बराबर हो जाती है।
दीपेन्द्र हुड्डा ने यह भी कहा कि इससे पहले भी लगातार किसान प्रकृति की मार और सरकारी अनदेखी झेलते आ रहे हैं। हरियाणा में पिछले कई सीजन से सरकार ने फसल खराबा का कोई मुआवजा नहीं दिया। हरियाणा में सरकार ने किसानों को न खरीफ सीजन में हुए नुकसान का मुआवजा दिया और ना ही रबी सीजन में हुए खराबे की पूरी गिरदावरी करवाई। किसान आज तक मुआवजे की राह देख रहे हैं।