सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, पंचकूला :
जल्दी कर करोना काल में मरने वालों के दाह संस्कार घोटाले के मामले में विजिलेंस ब्यूरो पंचकूला ने नगर निगम के 6 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में नामजद व्यक्तियों मदन लाल (सीएसआई), अजय सूद (ए एसआई), सतवीर (ए एसआई), सोनू (स्वीपर) ,प्रवेश (स्वीपर), गुलाब (स्वीपर)। इन सभी व्यक्तियों पर भारतीय दंड संहिता 1807 के अंतर्गत 120 बी ,406, 409, 420, 465, 488 ,471 और प्रीवेंशन आफ करप्शन एक्ट 1988 के अंतर्गत 13( 1) ए , और धारा 7 के तहत दर्ज किया गया है।
विकास मंच के सदस्यों द्वारा विजिलेंस ब्यूरो शिकायत दी थी की करो ना संक्रमित शवों के दाह संस्कार के नाम पर नगर निगम कर्मचारियों को फर्जी भुगतान किया गया है तत्कालीन नगर निगम के संयुक्त आयुक्त विनेश कुमार ने जांच की थी और सेक्टर हेल्थ सर्विसेज ने भी अपने आंकड़े दिए थे लेकिन इस जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया परंतु डेमोक्रेटिक फ्रंट द्वारा इस बारे में जांच अधिकारियों से बातचीत की जिसके बाद स्पर्श विस्तृत जानकारी छापी गई इस पर बात करते हुए पंचकूला विकास मंच के राकेश अग्रवाल ने बताया कि इस प्राथमिकी में केवल छह व्यक्तियों को नामजद किया गया है जबकि इसमें बाकी लोग भी सेलेक्ट हैं एक अधिकारी जोक की आज 31 मार्च 2023 को अपनी सेवानिवृत्ति प्राप्त करेगा के कार्यकाल के दौरान हैं यह घोटाला हुआ था। देवराज शर्मा ने कहा की विजिलेंस अधिकारियों ने निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्य निभाते हुए कार्यवाही की रॉकी सराहनीय है उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि की तफ्तीश तथ्य सामने आएंगे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी सही नहीं है।
देवराज शर्मा और राकेश अग्रवाल ने बताया उस समय संबंधित विभाग से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार कोरोना से पीड़ित मृतकों का अंतिम संस्कार करने वाले कर्मचारियों को प्रति ₹2000 दिए जाने थे । श्मशान घाट का रिकॉर्ड देखा जाए तो कोरोना से 550 से 600 के बीच संस्कार हुए हैं नगर निगम यह आंकड़ा 980 से ऊपर का बताता है और उसी के अनुसार पैसा भी दिए जा रहे थे ।स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सिविल सर्जन राजीव नरवाल की रिपोर्ट के अनुसार 11 अक्टूबर 2021 तक पंचकूला करो ना से पीड़ित इसको की संख्या 378 है।
शर्मा ने नगर निगम कमिश्नर आयुक्त को शिकायत में लिखा है मदनलाल , अजय सूद और परवेश को कोई भी पैसा देना नहीं बनता। क्योंकि रिकॉर्ड में कहीं भी इन चार व्यक्तियों का नाम नहीं लिखा गया। संस्कार करने वालों का ही नाम लिखा गया है। उन्होंने यह सवाल भी किया कि बताया जाए इन व्यक्तियों जिनमें से एक सी एसआई दो ए एस आई और एक सुपरवाइजर है, को किस प्रावधान के तहत पैसे दिए गए ।
मौत का आंकड़ा एमसी के माध्यम से कुछ और बता कर इंसेंटिव का पैसा गबन करने की कोशिश की जा रही है जहां पर हरियाणा सरकार के निर्देशानुसार और यूएलबी की गाइडलाइंस के मुताबिक ₹2000 ग्राउंड स्टाफ को इंसेंटिव देना बनता था पर एमसी के द्वारा सी एस आई एस आई को भी पेमेंट दी जा रही थी। सवाल यह उठता है कि अधिकारियों को अगर पेमेंट दी जा रही है तो सभी अधिकारियों को मिले नहीं तो निर्देश के अनुसार सिर्फ ग्राउंड स्टाफ को पेमेंट बननी चाहिए जहां पर मौत का आंकड़ा भी उपर नीचे हो रहा है सरकारी आंकड़ों की बात करें तो पंचकूला के अंदर 378 लोगों की मौत हुई है, जोकि पंचकूला के रहने वाले हैं यह बात राजीव निरवाल द्वारा बताई गई है। परंतु उनका यह भी कहना है कि जो एमसी द्वारा क्रीमेशन ग्राउंड में कोरोनावायरस से हुई मौत पर बॉडी जलाई गई है वह आंकड़ा एमसी द्वारा तब तक जारी ही नहीं किया गया था। यह बात साफ जाहिर होती है की एमसी अपने ही आंकड़े देगा परंतु ओरिजिनल वालों का यह भी कहना है की ग्राउंड स्टाफ यानी कि 5 की टीम बनाकर जो लोग लाशों को दफनाने या जलाने का काम कर रहे थे उनको पैसे मिलने चाहिए परंतु अधिकारियों को भी पैसे बांटे जा रहे थे।
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कमिश्नर द्वारा बताया गया था कि हम इसकी जांच करेंगे और अधिकारियों को पेमेंट नहीं करेंगे लगभग 40 लाख की पेमेंट हो चुकी थी 60 लाख की पेमेंट बकाया हैसवाल यह उठता है कि अगर विरोध ना किया जाता तो सबकी जेबे भर जाती, परंतु विरोध करने के बाद जांच की गई इसका मतलब क्या एमसी के पास क्रॉस एडिट की कोई तरकीब नहीं है।
उन्होंने बताया यह संख्या केवल पंचकूला की है आसपास के क्षेत्रों के निकायों से संबंधित क्षेत्र के आंकड़े मंगवाए गए हैं । उन्होंने भी माना की पैसा केवल संस्कार करने वाले कर्मियों को ही दिया जाना चाहिए अन्य किसी कर्मचारी या अधिकारी को अगर यह राशि दी जाती है तो यह सही नहीं