पंचांग, 29 मार्च 2023
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा को अपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 29 मार्च 2023 :
नोटः श्रीदुर्गाष्टमी व्रत है। भवान्युत्पत्ति, बुधाष्टमी और अशोकाष्टमी व्रत है। तथा मेला बाहूफोर्ट (जम्मू)- कॉगड़ा देवी, नैनादेवी (हिमाचल प्रदेश) और अन्नपूर्णा पूजन है।
आज आठवाँ चैत्र नवरात्र है : नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं। नवरात्रि मुख्य रूप से शक्ति की आरधना करने के दिन होते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा धरती पर विचरण करती हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करती हैं। नवरात्रि के पावन दिनों में नियम और निष्ठा के साथ मां आदिशक्ति के नौं स्वरूपों का पूजन करने से मनुष्य के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। वहीं नवरात्रि के नौं दिनों के दौरान पड़ने वाली अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी या फिर महाअष्टमी कहा जाता है। अष्टमी तिथि को मां के आठवें स्वरूप मां महागौरी के पूजन का विधान है। 03 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि है।
बुधाष्टमी व्रत है।हिंदू धर्म में बताया गया है कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा पूर्वक बुध अष्टमी का व्रत करता है उसे मृत्यु के पश्चात नरक नहीं जाना पड़ता है। लोक कथाओं के अनुसार बुध अष्टमी का उपवास करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। हमारे शास्त्रों में अष्टमी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। जिस बुधवार के दिन अष्टमी तिथि पड़ती है उसे बुध अष्टमी कहा जाता है। बुध अष्टमी के दिन सभी लोग विधिवत बुद्धदेव और सूर्य देव की पूजा अर्चना करते हैं। मान्यताओं के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में बुध कमजोर होता है उनके लिए बुध अष्टमी का व्रत बहुत ही फलदाई होता है।
अशोकाष्टमी व्रत है : इस व्रत को करने से मनुष्य सदैव शोकमुक्त रहता है। इस व्रत के सम्बन्ध में एक प्राचीन कथा है कि रावण की नगरी लंका में अशोक वाटिका के नीचे निवास करने वाली जानकी माता को इसी दिन हनुमानजी द्वारा श्रीराम का संदेश एवं मुद्रिका प्राप्त हुई थी। जिस कारण इस दिन अशोक वृक्ष के नीचे माता जानकी तथा हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजन करना चाहिए। हनुमानजी द्वारा सीता माता की खोज की कथा रामायण से सुननी चाहिए। ऐसा करने से स्त्रियों का सौभाग्य अचल होता है। इस दिन अशोक वृक्ष की कलिकाओं का रस निकालकर पीना चाहिए, जिससे शरीर के रोग विकास का समूल नाश हो जाता है।
अन्नपूर्णा पूजन है: जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूरे घर और रसोई, चूल्हे की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। खाने के चूल्हे पर हल्दी, कुमकुम, चावल पुष्प अर्पित करें। धूप दीप प्रज्वलित करें।
विक्रमी संवत्ः 2080,
शक संवत्ः 1945,
मासः चैत्र,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः अष्टमी रात्रि कालः 09.08 तक है,
वारः बुधवार,
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः आर्द्रा रात्रि काल 08.07 तक है,
योगः शोभन रात्रि काल 12.12 तक,
करणः विष्टि,
सूर्य राशिः मीन, चंद्र राशिः मिथुन,
राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 06.19, सूर्यास्तः 06.33 बजे।