देश के महान क्रांतिकारी अमर शहीद सरदार भगत सिंह जी शिवराम हरि राजगुरु सुखदेव जी को सादर नमन : शुक्ला
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, अंबाला – 23 मार्च :
हरियाणा प्रदेश स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार जन कल्याण समिति के प्रदेशाध्यक्ष आंनद मोहन शुक्ला ने कहा कि जिन महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की लाशों पर चलकर यह आजादी आई है ।उन महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की याद पुरानी फिर आज हमने दोहराई है ।
सरदार भगत सिह शिवराम हरि राजगुरु क्रान्तिकारी सुखदेव ने अपने बलिदान से देश की जनता मे आजादी की जो तड़प उत्पन्न की देश भक्ति की जो आग फैलाई वह आज भी लोगों के हृदय तरंगों को झक झोरती हैं ।
अपने बलिदान से इन महान क्रांतिकारियो /स्वतंत्रता सेनानियों ने एक एेसी क्रांति की लहर शुरू की थी जिसके परिणाम स्वरुप देश का हर व्यक्ति आजादी की लड़ाई लड़ने के लिये बलिदान होने के लिये कन्धे से कन्धा मिलाकर आगे आने लगा ।क्रांति की जो चिंगारी स्वतंत्रता सेनानियों ने पेैदा की उसकी तपन आज भी देश वासी महसूस करते हैं ।
क्रांति इन्कलाब का मतलब अनिवार्य रुप से सशस्त्र अन्दोलन नहीं होता ।’,,,,,,,,,,विद्रोह को क्रांति नहीं कहा जा सकता यद्यपि यह हो सकता है कि विद्रोह का अन्तिम परिणाम क्रांति हो ।सन 1930 मे संपादक माडर्न रिव्यू के नाम से सरदार भगत सिह जी ने एक पत्र लिखा था जो भगत सिह सुखदेव राजगुरु के दस्तावेज के नाम मे संकलित हैं ।इस पत्र मे उन्होने क्रांति के प्रति अपना दृस्टि कोण की व्याख्या की है ।
महात्मा गाँधी जी के दार्शन से महत्वपूर्ण मतभेद रखते हुए भी कांग्रेस द्वारा संचालित जन अन्दोलन के प्रति भगत सिंह का दृस्टि कोण सकारत्मक था ।इतिहास के इस निर्णायक छण मे उनकी मंशा यही थी कि नौजवान बम पिस्तौल छोड़ अन्दोलन के प्रचार प्रसार मे लग जायें ।
अन्दोलन किसका है उसका नेत्रत्व कौन कर रहा है आदि अना वस्यक सवालो को उन्होने महत्व नही दिया । उनके लिये अन्दोलन महत्वपूर्ण था उनका सन्देश जन जन तक खासकर गरीबो तक पहुंचाना था ।उन्हे पता था कि जन अन्दोलन को जब व्यापकता मिलेगी तब स्वतः क्रांति हो जायेगी ।
सरदार भगत सिह राजगुरु सुखदेव की सम्पूर्ण जिन्दगी क्रान्तिकारी रणनीतियो को लेकर दुह साहसिक प्रयोगो से भरी हुई थी ।वे भारत माता के सच्चे सपूत थे ।
आज उनकी इस जायँती 23 मार्च पर उनके बलिदान को याद करते हुए हम सभी देश वासी उनके आगे नतमस्तक हैं ।और उन्हे हृदय से स्मरण करते हैं ।
इनका बलिदान आज सरकारो को भले ही मिथ्या व अवास्तविक जान पड़ें किन्तु प्राणॉ को झकझोर देने वाले बलिदान की अर्थवत्ता से इन्कार नही किया जा सकता ।क्योकी अब वेसे बलिदानियों की परम्पराएं देश मे विरल हो गई हैं ।
आज भले ही अमर शहीदो देश के महान स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी परिवारो की उपेक्षा वर्तमान सरकार कर रही है ।स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी शहीदो को भुला दिया जाना किसी की हार नहीं होती ।
कालजयी महान शहीदो एवम स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियो की चंदन गन्ध जेसी रहस्य मयता विस्मृति के बावजूद भी अछरो की वीथियो मे बरकरार रही आती हैं ।
आज जिन महान स्वतन्त्रता सेनानियों की अस्थियो पर स्वतंत्रता की यह भव्य इमारत खड़ी हो सकी है ,,,,,,,, उन्हें शत शत नमन। प्रमोद कुमार, चंद्र शील अरोड़ा, राकेश कुमार, संजीव छिब्बर, दीपक कुमार,