Friday, December 27

करणी दान सिंह राजपूत , डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, सूरतगढ़ – 21 मार्च :

राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर आमरण अनशन शुरू कर प्राण न्योछावर करने वाले शहीद गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधू पूजा छाबड़ा ने आज सूरतगढ़ को जिला बनाओ मांग को लेकर महाराणा प्रताप चौक पर आमरण अनशन शुरू किया। इससे पहले आज सुबह पूजा छाबड़ा ने शहीद गुरूशरण छाबड़ा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर आमरण अनशन का निर्णय का आशीर्वाद लिया। 

आमरण अनशन मरण व्रत शुरू करने के वक्त गुरुशरण छाबड़ा के आंदोलनों में साथी रहे करणी दान सिंह राजपूत बलराम वर्मा बाबू सिंह खीची और अनेक लोग विभिन्न पार्टियों के नेता सामाजिक संगठनों के नेता मौजूद थे।

* पूजा छाबड़ा राजस्थान में शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सूरतगढ़ क्षेत्र में सीमा क्षेत्र में शराबबंदी को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन शुरू कर रखा है। यह आंदोलन गुरुशरण छाबड़ा की जयंती 9 जून 2022 को शुरू हुआ था जो निरंतर चल रहा है।

* सूरतगढ़ जिला बनाओ आंदोलन काफी समय से शुरू है। सन 1970 से गुरुशरण छाबड़ा करणीदानसिंह राजपूत आदि अनेक लोगों ने यह आंदोलन शुरू किया था।  जब रिकॉर्ड आदि रखने की सुविधाएं नहीं थी। मांगपत्र लिखते और  सरकार को पोस्ट कर देते।उसके बाद यह आंदोलन सूरतगढ़ जिला बनाओ मांग पकड़ता रहा। राजस्थान में मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के काल में जनता पार्टी की सरकार 1977 में बनी। तब सूरतगढ़ को जिला बनाओ की मांग फिर उठी।  मुख्यमंत्री को मांग पत्र आदि दिए गए थे।

*सन 1978 में इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में श्रीगंगानगर जिले के विभाजन करते हुए नया जिला बनाने की एक कमेटी बनाई गई। कमेटी में बात तो यह रखी गई थी कि इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में जिधर विकास और आबादी विस्तार हो उधर जिला बनाया जाए। सूरतगढ़ उस समय महत्वपूर्ण केंद्र था लेकिन यह बात सुनी नहीं गई और जिला नहीं बना। सन् 1987 के आसपास फिर बात उठी जोर-शोर से उठी। उस समय भी पत्राचार हुआ मांगे रखी गई। (यह रिकॉर्ड उपलब्ध है)

उसके बाद मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत के कार्यकाल में जब जिला बनाने की मांग आई तो हनुमानगढ़ को जिला बना दिया गया और सूरतगढ़ वंचित रह गया। सूरतगढ के विधायक अमरचंद मिढा थे जो भैरोंसिंह शेखावत की बात को टाल नहीं सके।

उसके बाद लगातार सूरतगढ़ को जिला बनाने की मांग उठती रही है। अब विश्वास था कि सूरतगढ़ को जिला बना दिया जाएगा लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा में 19 जिलों में सूरतगढ़ का नाम नहीं था जिससे सूरतगढ़ के लोगों को आंदोलन की ओर कदम बढ़ाने पड़े हैं। 

👍 पूजा छाबड़ा के मरण व्रत शुरू होने से एक बार फिर सूरतगढ़ के अंदर जोश खरोश पैदा हुआ है और यह आंदोलन जिले की मांग को लेकर चला है तो जिला बना करके ही अब पूरा होगा।  मुख्यमंत्री को लगातार ज्ञापन आदि दिए जाते रहे हैं सूरतगढ़ 20 मार्च को संपूर्ण बंद रहा था 21 मार्च को उपखंड कार्यालय का घेराव किया गया। वहां पर सभा हुई। वहीं यह घोषणा हुई कि शहीद गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधू पूजा छाबड़ा ने मरण व्रत शुरू करने की ठान ली है और यह मरण व्रत जिला बनाने की मांग को लेकर है।

 पूजा छाबड़ा को जुलूस के रूप में महाराणा प्रताप चौक पर लाया गया। अनेक कार्यकर्ताओं ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा को नमन करते हुए पूजा छाबड़ा को माल्यार्पण कर जय घोष करके आमरण अनशन पर बिठाया। नगरपालिका की पूर्व अध्यक्ष आरती शर्मा एडवोकेट पूनम शर्मा और अनेक लोग इस अवसर पर थे।

👍👍 आमरण अनशन स्थल पर बहुत भीड़ है और लोगों का आना-जाना शुरू हो गया है। लोगों को ज्यों ज्यों मालुम हो रहा है कि पूजा छाबड़ा ने मरणव्रत शुरू किया है तो लोग महाराणा प्रताप चौक पर पहुंचने लगे हैं।

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विदित रहे कि गुरुशरण छाबड़ा ने अपने विद्यार्थी जीवन से ही आंदोलन शुरू किए थे और उनके कुछ आंदोलन सूरतगढ़ शहर को लेकर के थे जो सफल हुए।

 सूरतगढ़ में खारे पानी की सप्लाई हो रही थी 12 साल से लोग पानी पी रहे थे। तब गुरुशरण छाबड़ा के नेतृत्व में भयानक गर्मी के दिनों में श्रीमती राजेश सिडाना ने आमरण अनशन शुरू किया था। उसमें सफलता मिली और इंदिरा गांधी नहर से पानी मिलना शुरू हुआ।

गुरूशरण छाबड़ा के नेतृत्व में ही यहां सन 1972 में राजकीय महाविद्यालय खुलवाने का आंदोलन चला था। आज सूरतगढ़ के अंदर राजकीय महाविद्यालय है और वह गुरूशरण छाबड़ा के नाम से है।

 अनेक आंदोलन गुरूशरण छाबड़ा ने यहां संचालित किए। सन उन्नीस सौ 1968- 69 का किसानों का आंदोलन भूमि नीलामी रोकने का आंदोलन मोहनलाल सुखाड़िया के कार्यकाल में हुआ था उसमें गुरूशरण छाबड़ा ने भी भाग लिया और  जेल में गए थे।

 आपातकाल लागू होने के पहले ही दिन 26 जून 1975 को पहली आमसभा आपातकाल के विरुद्ध गुरूशरण छाबड़ा के नेतृत्व में सुभाष चौक पर हुई थी। 

**अनेक आंदोलनों के गुरूशरण छाबड़ा साक्षी रहे राजस्थान में शराबबंदी को लेकर गुरूशरण छाबड़ा ने चार पांच बार आमरण अनशन किया और उसके बाद में एक बार मरण व्रत निश्चित कर लिया। आमरण अनशन पर जयपुर में बैठे और आखिर 3 नवंबर 2015 को उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।