वीरेश शांडिल्य पर हमला उन्हें व परिवार को उत्पीड़ित करने की बड़ी साजिश का हिस्सा : सेशन अदालत की हमलावर की जमानत रद्द करते हुए बड़ी टिप्पणी

  • एडिशनल सेशन जज संजय संधीर की कोर्ट ने नकाबपोश हमलावर भेजने वाले प्रवीण चौहान की तीसरी बार नियमित जमानत रद्द की और कहा साजिश का खुलासा होना अभी बाकी

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, अम्बाला – 16मार्च :

अतिरिक्त सेशन जज संजय संधीर ने वीरेश शांडिल्य के दफ्तर पर हत्या की मंशा से सुपारी लेकर नकाबपोश भेजने वाले प्रवीण चौहान की तीसरी बार दायर नियमित जमानत याचिका को रद्द कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि वीरेश शांडिल्य के कार्यालय पर हमला उन्हें व उनके परिवार के सदस्यों को उत्पीड़ित करने की साजिश का बड़ा हिस्सा था जिसका खुलासा होना बाकी है। जिस आधार पर प्रवीण चौहान की जमानत याचिका रद्द कर दी गई।

साहा निवासी प्रवीण चौहान की तरफ से एडवोकेट संदीप कुमार ने कोर्ट को बताया कि प्रवीण चौहान से न केस में कोई रिकवरी होनी है और 12 फरवरी से आरोपी प्रवीण चौहान जेल में बंद है। जबकि एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने अपने केस की पैरवी खुद की और कहा कि यदि आरोपी प्रवीण चौहान नकाबपोश हमलावर न भेजता तो उनके दफ्तर पर हमले की साजिश नहीं हो सकती थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अभी पुलिस जांच भी चल रही है और शांडिल्य ने कोर्ट को लिखित बताया कि अभी 24 फरवरी 2023 को अम्बाला सिटी के थाना प्रभारी रामकुमार लिखित दे चुके हैं कि अभी एक कार की रिकवरी और बिल्ले नाम के आरोपी की गिरफ्तारी बाकी है जो नकाबपोश हमलावरों को छोड़कर आया था और जो बिल्ला मास्टरमाइंड सतपाल उर्फ सत्ता का दोस्त है। वीरेश शांडिल्य ने अतिरिक्त सेशन जज संजय संधीर की अदालत में अनुरोध किया कि प्रवीण चौहान जैसे पेशेवर अपराधी जमानत के हकदार नहीं बल्कि समाज में दहशत फैला रहे हैं। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि चालान पेश होने तक और प्रोसीक्यूशन की गवाहियों तक आरोपियों की जमानत न ली जाएं।

एंटी टेरोरिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने कहा कि उनके ऊपर जो हमला हुआ, वो उनकी हत्या के लिए था। और एक प्लानिंग का हिस्सा था। हमला करवाने वालों को और हमला करने वालों को यह पता था कि वीरेश शांडिल्य की हत्या नकाबपोश करेंगे और नाम आएगा खालिस्तानी आतंकवादियों का। क्योंकि उन्हें लगातार खालिस्तानी धमकी दे रहे हैं। शांडिल्य ने कहा कि जांच अधिकारी हमलावर भेजने वालों के प्रभाव में काम कर रहे हैं जो उनके कानूनी अधिकारों, संवेधानिक अधिकारों का हनन है और निष्पक्ष जांच न कर जांच अधिकारी असली गुनाहगारों को बचा रहे हैं जिन्होंने सतपाल सत्ता को हमला करवाने के लिए तैयार किया। ऐसे व्यक्ति सोसायटी का हिस्सा नहीं हो सकते। ऐसे व्यक्तियों के लिए कानून नाम की कोई चीज नहीं होती।

उन्होंने कहा कि यदि 4 फरवरी को उन्हें पंजाब के राज्यपाल ने न बुलाया होता तो उनकी व उनके बेटे की हत्या तय थी। एडिशनल सेशन जज संजय संधीर की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर नकाबपोश हमलावर भेजने वाले प्रवीण चौहान की जमानत रद्द करने के आदेश दिए।