सिसोदिया पर CBI का एक और शिकंजा, सिसोदिया पर अब विरोधियों की जासूसी का मामला
CBI का दावा है कि गैरकानूनी तरीके से फीडबैक यूनिट को बनाने और चलाने से सरकारी खजाने को 36 लाख रुपए का घाटा हुआ है। इस यूनिट पर विरोधी पार्टी के नेताओं, अधिकारियों और ज्यूडिशयरी मेंबर्स की जासूसी का भी आरोप है। फीडबैक यूनिट केजरीवाल सरकार ने 2015 में सत्ता में आने के बाद बनाई थी। 2016 में विजिलेंस डिपार्टमेंट के एक अधिकारी केसी मीणा ने FBU को लेकर शिकायत की थी जिसके बाद मामले में जांच शुरू हुई थी। पिछले महीने ही गृह मंत्रालय ने CBI को इस मामले में मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की परमिशन दी थी। CBI का कहना है कि यूनिट राजनीतिक जानकारियां इकट्ठी करती थी। यूनिट की 40% रिपोर्ट इन्हीं जानकारियों के बारे में थीं।
- सिसोदिया पर विपक्षी नेताओं की जासूसी कराने का आरोप लगा था
- इस मामले में CBI ने गृह मंत्रालय से केस चलाने की अनुमति मांगी थी
- गृह मंत्रालय के इस फैसले से मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं
अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़/नई दिल्ली – 16 मार्च :
शराब नीति पर घिरे दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। गृह मंत्रालय ने ‘फीडबैक यूनिट’ जासूसी मामले में मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। गृह मंत्रालय ने सीबीआई को फीडबैक यूनिट के जरिए जासूसी कराने के आरोपों पर मनीष सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज करने और जांच करने के आदेश दिए हैं। सीबीआई ने हाल ही में दिल्ली सरकार की ‘फीडबैक यूनिट’ पर जासूसी का आरोप लगाते हुए डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और अन्य अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति मांगी थी।
इस मामले में सिसोदिया के अलावा तत्कालीन विजिलेंस सेक्रेटरी सुकेश कुमार जैन, CISF के रिटायर्ड DIG राकेश कुमार सिन्हा, इंटेलिजेंस ब्यूरो के रिटायर्ड जॉइंट डिप्टी डायरेक्टर प्रदीप कुमार पुंज, CISF के रिटायर्ड असिस्टेंट कमांडेंट सतीश खेत्रपाल और गोपाल मोहन के खिलाफ भी प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
आरोपियों पर संपत्ति का दुरुपयोग, आपराधिक साजिश और धोखा देने के लिए जालसाजी करने समेत कई आरोप लगाए गए हैं। भाजपा ने इस मामले में अरविंद केजरीवाल को भी आरोपी बनाने की मांग की है। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि ये आतंरिक सुरक्षा का मामला है और इसमें UAPA ( अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) लगाया जाना चाहिए।
दिल्ली भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि ये गंभीर मुद्दा है और एजेंसी को इसमें देशद्रोह के एंगल से भी जांच करनी चाहिए। ये भी देखना चाहिए कि क्या FBU को विदेशों से फंडिंग मिल रही थी।
दिल्ली कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट अली मेंहदी ने कहा- हम पिछले 6 महीने से इस मुद्दे को उठा रहे हैं। किसी राज्य सरकार के पास ऐसी जासूसी यूनिट नहीं हो सकती। जासूसी यूनिट रखने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास होता है।
ये यूनिट दिल्ली सरकार के विजिलेंस डिपार्टमेंट के तहत बनाई गई थी। उस समय विजिलेंस डिपार्टमेंट मनीष सिसोदिया के जिम्मे था। इस यूनिट को दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सरकारी विभागों और संस्थाओं के बारे में जानकारी और फीडबैक जुटाने के लिए बनाया गया था। इसके कामों में स्टिंग ऑपरेशन करना और सरकारी अधिकारियों को रंगे हाथों पकड़ना भी शामिल था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस यूनिट पर सीएम केजरीवाल का सीधा कंट्रोल था। इसमें काम करने वाले ज्यादातर लोग इंटेलिजेंस ब्यूरो और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के रिटायर्ड अधिकारी थे।