चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस से लीज पर ली गई दुकानों के किराए में नियमों की अनदेखी, 9 करोड़ का नुकसान: कैग
चंडीगढ़ एस्टेट ऑफिस से लीज पर ली गई दुकानों के किराए के नियमों की अनदेखी के कारण 9 करोड़ से अधिक का नुकसान पहुंचा है. आखिर किस तरह से नियमों की अनदेखी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, यूटी प्रशासन ने 1960 और 1970 के दशक में पांच साल के लिए विभिन्न दुकानों/एससीओ/बूथों को पट्टे पर दिया था और किराए में 20% की वृद्धि के साथ हर पांच साल में लीज का नवीकरण किया जाता था। 1992 में, किराया बढ़ाकर ₹14,000 प्रति माह कर दिया गया।
कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 14 मार्च :
लेखापरीक्षा से पता चलता है कि एस्टेट कार्यालय चंडीगढ़ प्रशासन की 2000 योजना द्वारा निर्धारित दुकानों के किराए में वार्षिक वृद्धि का पालन करने में विफल रहा। यूटी प्रशासन के विभागों के कामकाज में और अधिक अनियमितताओं की ओर इशारा करते हुए, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) द्वारा लेखापरीक्षा से पता चला है कि संपत्ति कार्यालय पट्टे की दुकानों के किराए में वृद्धि के लिए निर्धारित चरणों का पालन करने में विफल रहा, जिससे ₹9.37 का नुकसान हुआ। सरकारी खजाने को करोड़ों का नुकसान हुआ।
इस ऑडिट के जवाब में विभाग ने किराया तय करने को लेकर कमियों को स्वीकार किया। 18 SCOs और 5 बूथों का मार्च, 1992 से मई, 2022 तक विस्तृत रिव्यू किया गया था। एस्टेट ऑफिस से ऑडिट के बाद मई, 2022 में आउटस्टेंडिंग ड्यू को लेकर 3 किराएदारों को डिमांड नोटिस जारी किया था। वहीं बाकियों को भी यह नोटिस जारी किए जाने की बात कही गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया कि प्रशासन ने सेक्टर 17-ई में सरकारी दुकानें (SCOs)/बूथ पांच सालों के लिए लीज पर दिए थे। इस लीज को हर पांच साल बाद आगे बढ़ाया गया था वहीं 20 प्रतिशत किराया बढ़ाया गया था। वर्ष 1992 में SCOs का यह किराया 14 हजार रुपए था। वहीं पांच बूथों का किराया तीन SCOs में से निकाला गया था जो प्रो राटा आधार पर तय किया गया था। हालांकि इसे दुकानदारों ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1999 में आदेश दिया था कि SCO/बूथों का किराया बिना नियम तय किए नहीं बढ़ाया जाएगा।
कोर्ट के आदेशों के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने लीजिंग आउट ऑफ गवर्नमेंट बिल्ट-अप शॉप्स/बूथ ऑन मंथली रेंट बेसिस इन चंडीगढ़ स्कीम, 2000 के नाम से नियम तय किए। इसके बाद 1 मार्च, 1992 से किराया तय किया जाना था। ऐसे में SCOs का किराया 14 हजार रुपए प्रति माह कर दिया गया।
एस्टेट ऑफिस के वर्ष 2018-19 के रिकॉर्ड्स की छंटनी के दौरान ऑडिट में सामने आया कि 18 शॉप्स और 5 बूथों के संबंध में जब किराए का पुन: मूल्यांकन किया गया था तो एस्टेट ऑफिस ने शॉप्स और बूथों का किराया स्कीम के क्लॉज 9 और 10 में दिए गए निर्देशों की उल्लंघना कर तय किया। इसमें किराया बढ़ाने के तय स्तरों को नजरअंदाज किया गया। वहीं लीज रेंट सीधे तौर पर बेस रेंट(14 हजार रुपए) में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर संशोधित कर दिया गया।