लोगों का मानना है कि यहां रामकिशन दास महाराज को साक्षात रामभक्त हनुमान के दर्शन हुए थे। न केवल दर्शन बल्कि बजरंग बली यहां उनसे बातचीत किया करते थे। उन्होंने ही यहां लंबे समय तक श्रीराम नाम का जाप किया। कहा जाता है कि उनके बाद यहां केवल बाबा सुशील गिरी ही स्थायी रूप से रहे। लोगों की मानें तो बाबा रामकिशन दास के पास जो भी भक्त आता था उन्हें वह यही कहते कि करलो जिन्हें दर्शन करने हैं बजरंगबली यहीं पर विराजमान हैं। वह हर समय यहां श्रीराम नाम का जाप करते थे। यहां से वह पसियाला चले गए थे और वहां भी हनुमान मंदिर की स्थापना की थी।
अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़/अंबाला – 09 मार्च :
200 साल से भक्ति और विश्वास का केंद्र बना है गांव हल्दरी का पंचमुखी श्री हनुमान मंदिर। आज भी यहां चमत्कारी और रहस्यमयी आवाजों के कारण लोगों की श्रद्धा और भक्ति का अटूट केंद्र बना हुआ है। ग्रामीणों की मानें तो पूरा गांव ही बजरंग बली की शरण स्थली रहा है। मंदिर में भक्तजनों को खड़ाऊं व राम नाम जाप करो की आवाजें तो आती ही हैं, साथ ही मंदिर में सो रहे पुजारी की चारपाई भी अक्सर यहां रात को हिलने लगती हैं। दिखाई कोई नहीं देता। यही कारण है कि लंबे समय से मंदिर में कोई स्थायी पुजारी नहीं टिक पाया है। हालांकि यहां पुजारी बहुत आए, लेकिन सवा माह से ज्यादा कोई नहीं टिक पाया।
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट से बातचीत में मंदिर के पुजारी पंडित विशाल शर्मा ने दावा किया कि रात में जो भी शख्स मंदिर में रुका, उसे ब्रह्म मुहूर्त में खड़ाऊ की आवाज सुनाई देती है। कई साल पहले यहां एक-दो बार पुजारी रात में रुके तो कभी उनकी चारपाई हिलने लगती तो कभी ‘राम नाम का जाप करो’ की आवाजें सुनाई देने लगती। उसके बाद कभी कोई पुजारी यहां रात में नहीं रुकता। वह भी शाम के वक्त सिर्फ आरती करने ही मंदिर आते हैं।
इस मंदिर का संचालन करने वाली श्रीबालाजी धाम हल्दरी संस्था के सेक्रेटरी पदम शास्त्री ने बताया कि जब यहां श्रीश्री 108 स्वामी राम किशनदासजी महाराज रामचरितमानस का पाठ करते थे तब पन्ना खत्म होते ही अपने आप पलट जाता था। श्रीश्री सुशील गिरी नागा बाबा महाराज और श्रीश्री 1008 स्वामी प्रह्लाद दास महाराज यहां रुके। उनके बाद कोई संत या पुजारी यहां नहीं रुक पाया।
पदम शास्त्री के अनुसार, कुछ साल पहले यहां एक संत आए थे। वह कुछ दिन रुके, लेकिन उन्हें रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में खड़ाऊ और ‘राम नाम जपो’ की आवाज सुनाई देती थी, इसलिए वह यहां से चले गए।
पंडित विशाल शर्मा ने दावा किया कि जब कोई श्रद्धालु यहां बालाजी की आरती करता है तो उसे कभी अकेलेपन का एहसास नहीं होता। मंदिर के अंदर आरती करते समय हमेशा बाहर से आवाज सुनाई देती रहती हैं।
पंडित विशाल शर्मा के अनुसार, कुछ समय पहले यहां टूंडला से बृजमोहन नामक व्यक्ति अपने परिवार के साथ पूजा करने आए थे। दोपहर में माथा टेकने के दौरान उनके परिवार के तमाम सदस्यों को यहां अलग-अलग आवाजें सुनाई देती रहीं। कभी लगा जैसे कोई राम नाम का जाप कर रहा है तो कभी ऐसा एहसास हुआ मानो दो व्यक्ति आपस में बातें कर रहे हों। हालांकि उस समय यहां कोई नहीं था।
इलाके में मान्यता है कि यहां श्रीश्री रामकिशन दास महाराज को साक्षात हनुमानजी ने दर्शन दिए थे। रामकिशन दास महाराज को मानने वालों का दावा है कि बजरंग बली महाराज से बातचीत भी करते थे। रामकिशन दास यहां आने वाले भक्तों से कहा करते थे कि बजरंग बली यहीं विराजमान हैं। उनके बाद यहां केवल बाबा सुशील गिरी ही रहे।
श्रीबालाजी धाम हल्दरी संस्था के सेक्रेटरी पदम शास्त्री इसे अपना सौभाग्य मानते हैं कि उन्हें इस मंदिर में सेवा करने का मौका मिला। पदम शास्त्री के अनुसार, रामकिशन महाराज के बाद किसी को आज तक यहां स्थायी गद्दी नहीं मिल पाई। जो पुजारी यहां आता है, वह सो नहीं पाता। रात में उनकी चारपाई हिलने लगती हैं। हर समय जाप करो, जाप करो की आवाजें सुनाई देती हैं।