Sunday, December 22

अंग्रेजी, पंजाबी (गुरुमुखी) और पंजाबी (शाहमुखी) डॉक्युमेंट्री के 6.5 लाख से अधिक व्यूवरशिप  की शानदार सफलता के बाद अब इस  डॉक्युमेंट्री का हिंदी संस्करण दर्शकों में अपनी छाप छोड़ने लिए तैयार।

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 01 मार्च : 

भारत ,पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, इराक, सऊदी अरब, तिब्बत, बांग्लादेश, औरश्रीलंका की सुदूर भूमि में गुरु नानक की प्रतिष्ठित यात्राओं पर अंग्रेजी और पंजाबी डॉक्यूमेंट्री का हिंदी संस्करण आज यहां सिंगापुर में रहने वाले युगल अमरदीप सिंह और विनिंदर कौर द्वारा जारी किया गया। 

गुरु नानक की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए, इस युगल जोड़ी ने 9 देशों की यात्रा की और ‘रूपक: गुरु नानक के कदमों की रूहानी छाप’  नामक हिंदी डॉक्यूमेंट्री जारी किया, जो आध्यात्मिक संवादों के लिए गुरु नानक के द्वारा भ्रमण किये गए बहुविश्वास स्थलों के विशाल विस्तार की पेशकश है। इस सीरीज को निःशुल्क रूप से https://thegurunanak.com पर उपलब्ध किया गया है।

इस डॉक्यूमेंट्री का अंग्रेजी संस्करण सितंबर 2021 में ‘एलेगरी, ए टेपेस्ट्री ऑफ गुरु नानक ट्रेवल्स’ शीर्षक के तहत जारी किया गया था और इस डॉक्यूमेंट्री के गुरुमुखी और शाहमुखी में पंजाबी संस्करण जून 2022 में ‘सैनत, गुरु नानक दे पेंडेयान दी रूहानी छाप’ शीर्षक के तहत जारी किया गया था। अंग्रेजी, गुरुमुखी और शाहमुखी सीरीज को भी निःशुल्क रूप से https://thegurunanak.com पर उपलब्ध किया गया है।

गुरु नानक पर 24 एपिसोड की यह डॉक्यूमेंट्री सिंगापुर स्थित प्रोडक्शन हाउस ‘लॉस्ट हेरिटेज प्रोडक्शंस’ और यू.एस.ए स्थित ‘सिखलेंस प्रोडक्शंस’ का संयुक्त उत्पादन है। इसे 9 देशों में 150 से अधिक बहुविश्वास (मल्टी-फेथ) स्थलों में फिल्माया गया है जहां गुरु नानक ने 15वीं शताब्दी में 22 साल की लंबी आध्यात्मिक यात्रा की थी।

डॉक्युमेंट्री के डायरेक्टर व एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर अमरदीप सिंह को नवंबर 2022 में हॉफस्ट्रा यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क द्वारा 8वें द्विवाषिक ‘गुरु नानक इंटरफेथ अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।  इन्होंने एकता के संदेश के उत्पति प्रयासों का नेतृत्व किया है। तिब्बत के परम पावन, 14वें दलाई लामा, तेनज़िन ग्यात्सो, 2008 में इस पुरस्कार से सम्मानित किए गए थे। तब से, केवल आठ व्यक्तियों और संगठनों को यह पुरस्कार दिया गया है।

हॉफस्ट्रा कॉलेज ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड साइंसेज के एक्टिंग डीन डेनियल सीबोल्ड ने कहा, “फैकल्टी और एडमिनिस्ट्रेटर्स की एक कमेटी ने सर्वसम्मति से 18 नामांकितों में से अमरदीप सिंह को चुना।

सीबोल्ड ने आगे कहा, “विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच सार्वभौमिक भाईचारे की तलाश में गुरु नानक की रुचि के बारे में अमरदीप सिंह और विनिंदर कौर के काम से यूनिवर्सिटी कमेटी बहुत प्रभावित हुई।” सदस्यों ने कई योग्य संगठनों पर विचार किया, जिनका काम बड़े पैमाने पर है, लेकिन तय किया कि श्री सिंह इस पुरस्कार के योग्य पात्र हैं।

अमरदीप ने कहा कि दुनिया को यह समझने की जरूरत है कि गुरु नानक ने अपने अनुभवात्मक ज्ञान को साझा करने और मानव जाति की एकता का प्रचार करने के लिए 22 साल की यात्रा की। इस डॉक्युमेंट्री की सामग्री के बारे में विस्तार से बताते हुए, विनिंदर कौर ने साझा किया कि गुरु नानक के 260 से अधिक सबदों को रागों में महत्वपूर्ण सोच का आह्वान करने के लिए प्रस्तुत किया गया है, जो इस डॉक्युमेंट्री की नींव है।

 इसके अलावा, उप-महाद्वीप के 14 संतों, गुरु नानक के समकालीन और पूर्ववर्तियों के आख्यान, जिनके सबद गुरु ग्रंथ साहिब में निहित हैं, उनको डॉक्यूमेंट्री में प्रस्तुत किया गया है।

सबसे पुरानी ‘जनमसाखियों’ (गुरु नानक की जीवनी) के विश्लेषणात्मक अध्ययन द्वारा सहायता प्राप्त और गुरु नानक के सबदों में अलंकारिक संदेशों द्वारा समर्थित, टीम ने गुरु नानक द्वारा दौरा किए गए भौगोलिक क्षेत्रों में सभी बहुविश्वास स्थलों को अनुसंधान और फिल्माने में तीन साल से अधिक समय बिताया। इसके बाद, 24-एपिसोड की डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए डेटा को संपादित करने में उन्हें दो साल से अधिक का समय लगा।

अमरदीप और विनिंदर के लिए गुरु नानक के पदचिन्हों पर चलने वाला हर पल दार्शनिक रूप से मुक्तिदायक रहा है। इसने उन्हें अपनी स्वयं की सोच को चुनौती देने और विविधता में एकता की सुंदरता को आत्म-निरीक्षण करने के लिए प्रोत्साहित किया।

अमरदीप ने कहा कि हम दुनिया भर में सकारात्मकता और सद्भाव का संदेश फैलाने के लिए समान विचारधारा वाले लोगों के साथ सहयोग करना चाहते हैं। इस अभियान की एक झलक प्रदान करते हुए, अमरदीप ने कहा, “हमने सऊदी अरब में मक्का के रेगिस्तान से तिब्बत में कैलाश पर्वत तक की यात्रा की, अस्थिर अफगानिस्तान के दूर दराज के क्षेत्रों मे खोज की, इराक में चिल-चिलाती गर्मी का अनुभव किया, पाकिस्तान में शुष्क बलूची पहाड़ों को नापा, श्रीलंका में उतरने के लिए हिंद महासागर को पार किया। इतना ही नहीं, हम ईरान में फ़ारसी संस्कृति से भी घुलमिल गए। बांग्लादेश में डेल्टा क्षेत्र को पारकिया और भारत में चारों दिशाओं का भ्रमण किया।”

वर्तमान मे, गुरु नानक की व्यापक यात्राओं के दस्तावेजीकरण के दौरान, भूराजनीतिक और सांस्कृतिक प्रतिबंधों को पराजित करना, अमरदीप और विनिंदर के लिए आसान नहीं था। प्रतिकूलताओं से ना विचलित हो कर, गुरु नानक देव की भावना में दृढ़ता के परिणाम स्वरूप, यह अमूल्य दस्तावेज, आने वाली पीढ़ियों के लिए तैयार किये गये हैं।