चर्तुग्रही योग में किया जाएगा होलिका दहन : आचार्य राममेहर शास्त्री
पवनसैनी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, हिसार – 01 मार्च :
ऋषि नगर स्थित विश्वकर्मा मंदिर के पुजारी आचार्य राममेहर शास्त्री ने बताया कि अबकी बार होली 7 मार्च 2023 पूर्णिमा तिथि दिन मंगलवार पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और सूर्य चंद्र बुध और शनि ग्रह कुंभ राशि में होने से चर्तुग्रही योग में मनाई जाएगी।
इससे अगले दिन 8 मार्च बुधवार को रंगों की होली खेली जाएगी यानि कि अगले दिन फाग का त्यौहार मनाया जाएगा जिसे कई स्थानों पर धुलंडी भी कहते हैं। होली से 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं जो 27 फरवरी से शुरू हो चुके हैं और 7 मार्च होली के दिन समाप्त होंगे। इन दिनों नकारात्मक ऊर्जा ज्यादा सक्रिय रहती है जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता जैसे भवन निर्माण, गृह प्रवेश विवाह-शादी, मुंडन आदि इसलिए इन दिनों में ज्यादा से ज्यादा ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। अबकी बार होलिका दहन को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। शास्त्रों के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा पहले दिन 6 मार्च 2023 को ही प्रदोष व्यापिनी है। 7 मार्च को तो वह उत्तरी भारत में प्रदोष को बिल्कुल भी स्पर्श नहीं कर रही। 6 मार्च 2023 ईस्वी को प्रदोष काल जोकि लगभग शाम 6 बजकर 25 मिनट से रात्रि 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा और भद्रा निश्चिथ अर्धरात्रि से कहीं आगे जाकर अगले दिन प्रात: 5 बजकर 14 मिनट तक समाप्त हो रही है। प्रतिपदा का मान पूर्णिमा के कुल मान से कम होने के कारण पहले दिन 6 मार्च को प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा में भद्रा मुख पूछ का विचार न करके भद्रा में ही होलिका दहन किया जाएगा। शास्त्रों की मानें तो होलिका दहन 6 मार्च सोमवार को होना चाहिए क्योंकि यहां पर सूर्यास्त 6 बजकर 21 मिनट के बाद होगा। लौकिक परंपरागत लोग 7 मार्च को ही होलिका दहन करेंगे क्योंकि हमारी धारणा है कि फाग से पहले दिन होली मनाई जानी चाहिए इसलिए होली 7 मार्च को ही मनाई जाएगी।
ध्यान रहे भारत के उत्तर पूर्वी प्रदेशों लखनऊ से पूर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वी छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल, असम आदि में जहां पर सूर्यास्त 6 बजकर 10 मिनट से पहले होगा, वहां पर होलिका दहन 7 मार्च 2023 को ही किया जाना चाहिए क्योंकि इन पूर्वी प्रदेशों में पूर्णिमा प्रदोष काल को 6 बजकर 10 मिनट बाद स्पर्श कर रही होगी। फाल्गुन मास की पूर्णिमा साल की सभी पूर्णिमाओं में श्रेष्ठ होती है क्योंकि इसी दिन होलिका दहन किया जाता है और होली मिलन समारोह किए जाते हैं। हिंदू धर्म में होली का बहुत महत्व होता है। हर वर्ष इस दिन का लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। शास्त्री ने बताया कि होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन की पूजा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। होलिका दहन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में किया जाता है।
फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च शाम 4 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो जाएगी। 6 मार्च को ही पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा। इसका समापन 7 मार्च को शाम 6:12 पर होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 31 मिनट से रात्रि 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। होलिका दहन की कुल अवधि 2 घंटे 27 मिनट रहेगी।