राजस्थान चुनाव से पहले वसुंधरा राजे का बड़ा दांव, क्या नेता विपक्ष का पद खोलेगा CM बनने का दरवाजा?
गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद राजस्थान में विपक्ष के नेता के खाली पद को लेकर बीजेपी नेताओं के बीच धक्का-मुक्की जारी है। उनकी पुरानी प्रतिद्वंद्वी वसुंधरा राजे ने भी इस ओर अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। बीजेपी के लिए भी अंदरुनी कलह बड़ी बाधा है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच तकरार की खबरें अक्सर सुर्खियों में रहती है। ऐसे में बीजेपी के लिए राजस्थान की सत्ता को हासिल करना उतना आसान नहीं होगा और कांग्रेस को भी आपसी कलह के समस्या क्या तोड़ निकालना पड़ेगा। राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 101 सीटें चाहिए। यहां पिछले 6 चुनाव से बीजेपी और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में आती है। ये सिलसिला 1993 से जारी है। 1993 से यहां कोई भी पार्टी लगातार दो बार चुनाव नहीं जीत सकी है।
- राजस्थान बीजेपी में भी गुटबाजी हावी है। वसुंधरा राजे, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया और गुलाबचंद कटारिया खेमे के बीच आपसी खींचतान चलती रहती है
- राजस्थान में बीजेपी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रभाव से बाहर निकालने की कोशिश में लगी है। यहीं कारण पार्टी के अंदर राजे के समर्थक और विरोधी खेमे के बीच टकराव ने पार्टी की चिंता बढ़ाई हुई है
- पिछले दो दशक से वसुंधरा राजे बीजेपी पार्टी की एकछत्र नेता है। लेकिन पिछले पांच सालों में बीजेपी ने राज्य में नए नेताओं को उभारने की काफी कोशिश की है। हालांकि वसुंधरा राजे के सामने ये कोशिश कुछ खास असर नहीं कर पाई
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, राजस्थान – 28 फरवरी :
पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने बीजेपी के सीनियर लीडर गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने पर सम्मान में जयपुर में सिविल लाइंस स्थित अपने सरकारी निवास पर टी-ब्रेकफास्ट प्रोग्राम रखा। सियासी गलियारों में इसे वसुंधरा राजे की ब्रेकफास्ट डिप्लोमेसी के तौर पर देखा जा रहा है। चुनावी साल में कटारिया के अभिनंदन के साथ ही बीजेपी विधायकों से मेलजोल करने और सबसे मुलाकात करने के लिए राजे ने यह कार्यक्रम रखा। वसुंधरा राजे ने भगवान की प्रतिमा और गुलाबी फूलों का सुंदर गुलदस्ता गुलाबचंद कटारिया को भेंट किया और शॉल ओढ़ाकर कटारिया का अभिनंदन किया। इस मौके पर राजे ने राजस्थान के सभी बीजेपी विधायकों को निवास पर नाश्ते पर आमंत्रित किया। वसुंधरा राजे ने सभी विधानसभा सदस्यों के साथ वार्ता की और कटारिया को राज्यपाल पद की जिम्मेदारी के लिए अग्रिम शुभकामनाएं दीं। कई पूर्व विधायक भी कार्यक्रम में पहुंचे।
भारतीय जनता पार्टी में दरकिनार कर दी गईं राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले सियासी दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि राजस्थान में विपक्ष के नेता का पद (LoP) सीएम चेहरा बनने की दिशा में उनका पहला कदम है। गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद राजस्थान में विपक्ष के नेता के खाली पद को लेकर बीजेपी नेताओं के बीच धक्का-मुक्की जारी है। उनकी पुरानी प्रतिद्वंद्वी वसुंधरा राजे ने भी इस ओर अपना पहला कदम बढ़ा दिया है।
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक वसुंधरा राजे के अलावा विपक्ष के नेता पद के लिए कई दावेदार हैं। इनमें विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़, खुद सतीश पूनिया और आरएसएस के करीबी माने जाने वाले पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी भी शामिल हैं। वसुंधरा राजे गुट का मानना है कि अगर उन्हें नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया जाता है तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत से उनके मुख्यमंत्री बनने की संभावना काफी बढ़ जाएगी। दो बार के सीएम को हाल के दिनों में सतीश पूनिया के नेतृत्व वाले राज्य नेतृत्व द्वारा पार्टी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज से अलग कर दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी को एक और याद दिलाने के लिए कि राज्य में किसी भी राजनीतिक युद्धाभ्यास में उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, वसुंधरा राजे ने चूरू जिले के सालासर धाम में 4 मार्च को बड़े पैमाने पर शक्ति प्रदर्शन की घोषणा की है। जाहिर तौर पर यह वसुंधरा राजे के 70 साल पूरे होने की याद में मनाया जाने वाला समारोह है। हालांकि, उनका जन्मदिन 8 मार्च को है, लेकिन इस बार होली उस दिन ही पड़ रही है, इसलिए एडवांस में ही समारोह आयोजित किया जा रहा है।
सालासर धाम राजस्थान के सबसे बड़े तीर्थ स्थलों में से एक है। चूरू सतीश पूनिया का गृह जिला भी है। पूनिया और वसुंधरा राजे प्रतिद्वंद्वी और सीएम पद के साथी दावेदार हैं। राजस्थान भाजपा अध्यक्ष के रूप में पूनिया का तीन साल का कार्यकाल पिछले साल समाप्त हो गया था, लेकिन वह पद पर बने हुए हैं। क्योंकि पार्टी ने अभी तक एक नया अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया है। दरअसल, पूनिया ने पिछले साल कहा था कि यह उनकी निजी राय है कि नेताओं को 70 साल की उम्र में रिटायर हो जाना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी ने भी साल 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए इस बार राजस्थान में गुजरात मॉडल लागू किया है। बीजेपी का मानना है कि इसी मॉडल के दम पर पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2001 से 2013 तक सत्ता में बने रहे। ऐसे में उसी मॉडल पर राजस्थान में पहली बार चुनाव लड़ने पर पार्टी को फायदा मिल सकता है।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि हम हमारा फोकस है कि इस बार सत्ता में हम संगठन के ताकत के बूते पर आएं। इस चुनाव में हमने संगठन की योजनाओं को फोकस किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र की तरफ से भी हमें यही निर्देश मिला है कि हमारा बूथ सशक्त हो।