- रैगिंग से दूर रहकर भविष्य पर ध्यान केंद्रित करें विद्यार्थी : एस.के कटारिया
सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 22 फरवरी :
डीएवी डेंटल कॉलेज यमुनानगर में एंटी रैगिंग को लेकर छात्र-छात्राओं को जागरूक करने के लिए एक सेमिनार का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में डीसीआई के सीनियर मेंबर एवं प्रोफेसर विभागध्यक्ष एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा डॉक्टर एसके कटारिया व पंडित भगवत दयाल शर्मा यूनिवर्सिटी रोहतक के डीन एवं डीसीआई के मेंबर डॉक्टर संजय तिवारी, प्रोफेसर एवं और हिमाचल इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस पांवटा साहिब के प्रिंसिपल डॉक्टर राजन गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। पुलिस विभाग की ओर से डीएसपी हेडक्वार्टर कंवलजीत सिंह ने भी रैगिंग को लेकर बने कानूनी प्रक्रिया के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी दी। सेमिनार की अध्यक्षता डीएवी डेंटल कॉलेज प्रिंसिपल डॉक्टर आईके पंडित द्वारा की गई।
विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए डॉक्टर एसके कटारिया ने कहा कि जब वे कॉलेज में थे तो तब रैगिंग बहुत खतरनाक हुआ करती थी । सीनियर स्टूडेंट्स जूनियर को पीटते थे । लेकिन अब ऐसा नहीं है । हालांकि उन्होंने बताया कि कुछ कॉलेज से अभी भी रैगिंग की शिकायतें आती हैं । जिस पर वे जांच करने जाते हैं । कॉलेज में जूनियर को पीटना या धमकाना ही रैगिंग नहीं है, उसके रंग, पहनावे और चलने के स्टाइल पर कमेंट करना भी रैगिंग के दायरे में आता है । इसी प्रकार किसी भी स्टूडेंट को उसकी क्षेत्रीयता, भाषा या जाति के आधार पर अपमानजनक शब्द बोलकर पुकारना और प्रताड़ित करना रैगिंग माना जाता है।
किसी भी स्टूडेंट की नस्ल या पारिवारिक अतीत या आर्थिक पृष्ठभूमि को लेकर लज्जित करना और उसका अपमान करना भी रैगिंग माना जाएगा। उन्होंने कहा कि रैगिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट व यूजीसी बहुत सख्त है और इसके खिलाफ कई प्रकार की सजा का प्रावधान किया गया है। रैगिंग करने से न केवल छात्र-छात्रा अपना भविष्य खराब करता है बल्कि अपने अभिभावकों के सपनों को भी तोड़ने का काम करता है । इसलिए किसी भी छात्र- छात्रा को रैगिंग नहीं करनी चाहिए।
एसके कटारिया ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में रैगिंग वर्तमान में भी हो रही है परंतु या तो उसे छुपाया जाता है या अन्य किन्हीं कारणों से घटनाएं सामने नहीं आती। उन्होंने कहा कि रैगिंग जैसी घटनाओं की जानकारी के लिए मीडिया व आमजन का सहयोग लिया जाता है। रैगिंग को लेकर यदि पीड़ित विद्यार्थी के द्वारा लिखित शिकायत नहीं भी की जाती तो उसके बाद भी तथ्यों के आधार पर केस दर्ज किया जा सकता है।
कटारिया ने बताया कि आज से लगभग 20 वर्ष पहले शारीरिक शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने को ही रैगिंग माना जाता था परंतु 2009 से डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा रैगिंग को कई श्रेणियों में विभाजित किया गया है। जिनमें विशेष रूप से शारिरिक, मानसिक, एकेडमिक साइक्लोजिकल पॉलीटिकल इकोनॉमिकल और वर्तमान में सोशल मीडिया रैगिंग भी की जाती है जिसमें पीड़ित को सोशल मीडिया के माध्यम से अपमानित करके प्रताड़ित किया जाना भी रैगिंग की श्रेणी में आता है और इस अवस्था में रैगिंग करने वाले के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही का प्रावधान रखा गया है।
डॉक्टर कटारिया ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि जो व्यवहार हम अपने घर में अपने माता-पिता भाई-बहन के साथ करते हैं वही व्यवहार अपने विद्यार्थी जीवन में भी करें ताकि इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।डीएसपी कंवलजीत सिंह ने कहा कि रैगिंग अपराध है । इसलिए स्टूडेंट्स ये अपराध न करें । डीएवी डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर आईके पंडित ने कहा कि निगरानी के लिए कॉलेज में एंटी-रैगिंग कमेटी का गठन किया हुआ है। कमेटी छात्रों को रैगिंग के दुष्परिणामों और दुष्परिणामों के बारे में भी समय समय पर जागरूक करती है।सेमिनार में रैगिंग के खिलाफ पुस्तिका का भी विमोचन किया गया और छात्र छात्राओं को जागरूक करने को लेकर एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई।
इस अवसर पर डॉक्टर तिवारी ने कहा कि स्टूडेंट्स को रैगिंग जैसे गलत काम छोड़कर अपना पूरा ध्यान अपनी शिक्षा पर देना चाहिए और स्वंम व देश के विकास के लिए समर्पित होना होगा। उन्होंने कहा कि यमुनानगर का डीएवी डेंटल कॉलेज ऐसा कॉलेज है जहाँ रैगिंग का आज तक कोई केस नहीं आया औऱ यह संस्थान व विद्यार्थियों के लिए गर्व की बात है। उन्होंने बताया कि हालांकि देश भर में रैगिंग के केस कम हुए हैं परन्तु कही न कही अभी भी रैंगिग को लेकर समाज में धारणा बनी हुई है। उनका कहना है कि इस बुराई को जड़मूल से समाप्त करने के लिए शिक्षण संस्थानों में जागरूकता कार्यक्रम होने चाहिए।