Sunday, December 22

सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 10 फरवरी :

                        डीएवी गल्र्स काॅलेज के हिंदी व संस्कृत विभाग की ओर से स्वामी दयानंद जी की 200वीं जयंती के अवसर पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। आर्य केंद्रीय सभा करनाल के सदस्य एवं निफ्फा के मुख्य संरक्षक डाॅ लाजपत राय तथा राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल छछरौली से सेवानिवृत प्राचार्य डाॅ बीआर कालिया मुख्य वक्ता रहे। काॅलेज प्राचार्या डाॅ मीनू जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। हिंदी विभाग अध्यक्ष डाॅ विश्वप्रभा तथा संस्कृत विभाग अध्यक्ष डाॅ मुकेश शर्मा की देखरेख में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 

                        डाॅ लाजपत राय ने कहा कि भारत भूमि में जन्म लेने वाले भारतीय धन्य है। जहां स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महापुरूष पैदा हुए है। आर्य समाज के संस्थापक दयानंद जी ने सृष्टि को सूचारू रूप से चलाने के लिए हमें वेदों का ज्ञान दिया। और कहा कि दुनिया का कोई ऐसा ज्ञान नहीं है, जो वेदों में न हो। आजादी में दयानंद जी का योगदान अतुल्नीय है। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने, हमारी शिक्षा को बढावा देने में उनकी बहुत बडी भूमिका है। स्त्री जाति को मातृशक्ति कहकर उन्होंने सम्मानित किया गया है। विदेशी शासन के दौरान भारतीय जनता में मूर्ति  पूजा, बाहरी आंडबरों आदि के प्रति जागरूक करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। 

                        डाॅ बीआर कालिया ने दयानंद जी के जीवन से संबंधित लघु कहानियों द्वारा सभी को उनके जीवन से प्रेरणा एवं उनका अनुशरण करने का अनुरोध किया। 

                        प्रिंसिपल डाॅ मीनू जैन ने कहा कि वह धरती पवित्र होती है, जहां दयानंद जी जैसे महापुरूषों का जन्म होता है। अज्ञानता से वैदिक प्रकाश की ओर ले जाने वाले दयानंद जी के मन में नारी जाति के लिए असीम वेदना थी। उन्होंने अपने समस्त सुखों को ठुकराकर मानव हित का रास्ता चुना था। उनका योगदान अवस्मणिय है। हिंदी विभाग अध्यक्ष डाॅ विश्वप्रभा ने दयानंद जी के जीवन को प्रेरणा स्त्रोत मानते हुए सभी को उनके बता हुए मार्ग का अनुशरण करने का आग्रह किया।