पूंजीपति हितैषी भाजपा सरकार को गरीब व आम आदमी से नहीं कोई सरोकार : नाशा
डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता – 03 फरवरी :
पूर्व विधानसभा प्रत्याशी व कांग्रेस नेता गौरव नशा ने कहा की देश में पहले की तरह पिछले 9 सालों में भी केद्र सरकार के बजट आते-जाते रहे, किंतु भाजपा सरकार का हर बजट निराशाजनक रहा,ऐसा ही बजट अबकी बार भी पेश किया गया। बुधवार को पेश किए गए बजट में गांव, गरीब, मजदूर, किसान व छोटे व्यापारी की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। नाशा ने कहा कि पूंजीपति हितैषी भाजपा सरकार को गरीब व आम आदमी से कोई सरोकार नहीं है। यह बजट संविधान से आंखें मूंदकर कुछ खास लोगों द्वारा खास लोगों के लिए बनाया गया बजट है।
उन्होंने कहा कि यह बजट भाजपा सरकार की दूसरी टर्म का अंतिम व चुनावी बजट रहा, जिसमें किसानों किसानों की एमएसपी की बात नहीं की गई, रेलवे को पूरी तरह नजर अंदाज किया गया है, बजट में मनरेगा का कोई जिक्र नहीं था, बेरोजगारी व महंगाई की कोई बात नहीं की गई, युवाओं के रोजगार की कोई बात नहीं की गई। जो कि बेहद निराशाजनक बजट साबित हुआ। नाशा ने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में हर वर्ग के हित को ध्यान में रखकर बजट पेश किया जाता था, जिससे सभी वर्गो का उत्थान हो सकें।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंंद्र सिंह हुड्डा एवं राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा प्रदेश के नेतृत्व में प्रत्येक वर्ग के हित सोच रखते हुए विकास कार्यो को अमलीजामा पहनाया जाता था, लेकिन भाजपा शासनकाल में सिर्फ पूंजीपीतियों के हितों की सोचकर ही योजनाएं लागू की जाती है, पूरा देश आसमान छूती महंगाई एवं निरंतर बढ़ती बेरोजगारी से त्रस्त होने के बावजूद केंद्र सरकार के बजट में महंगाई एवं बेरोजगारी को खत्म करने को लेकर कोई ठोस योजना और विजन नहीं है। दूसरी तरफ शिक्षा के बजट को 2.64 से 2.5%, स्वास्थ्य का 2.2 से 1.98% एवं खेती-किसानी का बजट 3.84 से 3.20% कम कर दिया। सिंचाई योजना एवं मनरेगा जैसी योजनाओं में भारी कटौती की गई है। देश भर में आंदोलनरत कर्मचारियों की ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का फैसला नहीं लिया।
2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार ने MSP की घोषणा न करके, राष्ट्रीय कृषि योजना के बजट में 31%,पीएम किसान सम्मान निधि का 13%, पीएम फसल बीमा योजना का बजट 12% कम करके घोर किसान विरोधी होने का सबूत दिया है। यह बजट दिखावे एवं आंकड़ों की बाजीगरी भर है और इसमें किसानों, युवाओं, छोटे व्यापारियों, कर्मचारियों एवं गरीबों समेत सभी वर्गों की घोर अनदेखी की गई है।