अब MBBS में पढ़ाया जाएगा आयुर्वेद, एलोपैथी डॉक्टर इसे बताते हैं घास-फूस : स्वास्थ्य मंत्री विज 

                        आयुर्वेद व एलोपैथी इलाज में से कौन ठीक यह पूछे जाने पर विज ने कहा कि जहां आयुर्वेद से इलाज हो वहां इससे हो सकता है, जहां एलोपैथी की जरूरत हो वहां उससे हो सकता है। सभी का अपना-अपना महत्व है। इस पर बेवजह बहस किया जाना ठीक नहीं है। इलाज की यह पद्धतियां एक-दूसरे की विरोधी नहीं बल्कि एक-दूसरे की सहयोगी हैं, इसलिए इस पर बहस ठीक नहीं। यह पूछे जाने पर आप तो खुद कोरोना पेशेंट रहे हैं। इस पर विज ने कहा कि वह रेगुलर आयुर्वेदिक दवाएं लेते हैं, और एलोपैथी भी ली हैं। दोनों का अपना-अपना महत्व है। बाबा रामदेव की पतंजलि योगपीठ से मंगाई गई एक लाख कोरोनिल किट का उपयोग कहां होगा। इस पर विज ने कहा कि प्रदेश में आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां है। वहां आयुर्वेदिक डाक्टर बैठते हैं। वहीं जरूरत के अनुसार इन किटों को भेजा जाएगा।

ऐसा कोई डॉक्टर नहीं जो आयुर्वेदिक मेडिसिन न खाता हो : अनिल विज

कोरल ’पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/अंबाला – 03 फरवरी :

हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्री अनिल विज आयुष को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। स्वास्थ्य मंत्री ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि हिंदुस्तान के प्रतिष्ठित एलोपैथी आयुर्वेद को घास-फूस बता विरोध करते हैं, लेकिन अब MBBS के 5 साल के कोर्स में 1 साल आयुर्वेद को अनिवार्य किया जाएगा।

भावी डॉक्टर 4 साल एलोपैथी की पढ़ाई करेंगे और एक साल आयुर्वेद की। इसके लिए अगर उन्हें किसी से लड़ना पड़ेगा तो लड़ेंगे। कोर्स तैयार करने के लिए टीम बना दी है।

विज ने कहा कि वे आयुष को बढ़वा तो देते, लेकिन इंश्योरेंस कंपनियां आयुर्वेदिक दवाइयों की रिम्बर्समेंट नहीं देते थे। आयुर्वेद की दवाइयों को भी अजमाना चाहिए। विज ने कहा कि पहले सिर्फ ऐलोपैथिक दवाइयों की रिम्बर्समेंट होती थी, लेकिन उन्होंने कल ही फाइल पर साइन किए हैं, अब आयुर्वेदिक दवाइयों की रिम्बर्समेंट होगी।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एलोपैथी, आयुर्वेद और होम्योपैथी में इंटीग्रेशन होनी चाहिए। जो एलोपैथी और आयुर्वेद में खींचतान है, वह खत्म होनी चाहिए। जहां एलोपैथी से काम चल सकता है वहां एलोपैथी से चलाएं और जहां आयुर्वेदिक से चलता है तो वहां आयुर्वेदिक से चलाएं। आपस की लड़ाई क्यों, मरीज को फायदा मिलना चाहिए।

अनिल विज ने कहा कि वह हिंदुस्तान के प्रतिष्ठित डॉक्टरों के सम्मेलन में गए थे। उस मौके पर उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर बता दें जो आयुर्वेदिक मेडिसिन न खाता हो। विज ने कहा कि वहां सभी डॉक्टरों ने उसकी और क्वेश्चन मार्क किया कि क्या कह रहे हो। उन्होंने कहा कि क्या सब्जियों में मसाले नहीं खाते ? मसाले भी आयुर्वेदिक दवाएं हैं। हमारी नस्ल को इन मसालों ने बचा कर रखा हुआ है।

विज ने कहा कि अगर ज्यादा ही दिक्कत है तो जो शास्त्रों में फॉर्मूले लिखे हुए हैं उनकी लैबोरेटरी जांच करानी चाहिए। जैसे एलोपैथिक दवाइयों का टेस्ट होता है, ऐसे ही आयुर्वेदिक का कर लें। अगर साइंस नहीं मानती तो टेस्ट कर लें, जब पास हो जाए तो एलोपैथी के साथ आयुर्वेदिक दवा भी लिखे। अब आयुर्वेदिक दवाइयों को मान्यता मिल रही हैं। हम आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथी को बढ़ावा देना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर मीठा सोडा खाने से पेट ठीक हो सकता है तो इंजेक्शन लगवाना जरूरी है क्या ?

सरकार ने आयुष को बनाया अलग विभाग

सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में आयुष को अलग विभाग बनाने की मान्यता दी है। पहले आयुष विभाग दूसरे स्वास्थ्य विभाग का अंग था और इनके कारण आयुष दूसरे विभागों के सामने दब जाता था। आयुष विभाग के बारे में पूरी तरह से मंथन-चिंतन नहीं होता था। स्वास्थ्य विभाग के दूसरे भागों पर चर्चा होती थी। सरकार ने आयुष को विभाग को दर्जा देकर दूसरे विभागों के बराबर लाकर खड़ा कर दिया है, ताकि अपनी प्लानिंग खुद करें और योग को आगे लेकर जाए।

सरकार ने हरियाणा में योग आयोग बनाया। उन्होंने संकल्प लिया है कि हरियाणा के 6500 गांव में योगशालाएं बनाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सरकार कुरुक्षेत्र में देश की पहली आयुष यूनिवर्सिटी बनाई है, जिसमें डॉक्टर तैयार किए जा रहे हैं।