वेद और संस्कार शिक्षा का आधार विषय पर कार्यशाला का हुआ आयोजन
यमुनानगर हरियाणा
सुशील पंडित
सेंट लारेंस इंटरनेशनल स्कूल, पाबनी रोड, जगाधरी में चेयरपर्सन डॉ रजनी सहगल के दिशानिर्देशन मे संस्कार ही शिक्षा का आधार हैं, विषय पर शिक्षकों व बच्चों के लिये विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता गुरुकुल शादीपुर के प्राचार्य विपिन शास्त्री जी रहे| इस में कक्षा छठी से बाहरवी तक के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यशाला मे प्रिंसिपल रविंदर सिंह वधवा ने मुख्य वक्ता श्री विपिन शास्त्री जी का अभिनन्दन स्वागत भाषण द्वारा किया।विपिन शास्त्री ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कार हमें जीवन जीने का तरीक़ा सिखाते है और भीड़ से अलग करते है| जीवन बेहतर कैसे हो, हमें इस पहलु पर सोचना है जिसके लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं| जैसी हमारी दृष्टि होंगी वैसी ही हमें सृष्टि नजर आएगी| हमें शिक्षक की हर बात को मानना चाहिए। उन्होंने भारत की संस्कृति के बारे में बताते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति व सभ्यता विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व सभ्यता है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने की कला हो, विज्ञान हो या राजनीति का क्षेत्र भारतीय संस्कृति का सदैव विशेष स्थान रहा है। अन्य देशों की संस्कृतियाँ तो समय की धारा के साथ-साथ नष्ट होती रही हैं किंतु भारत की संस्कृति व सभ्यता आदिकाल से ही अपने परंपरागत अस्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है। भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक व्यवस्थित रूप हमें सर्वप्रथम वैदिक युग में प्राप्त होता है। वेद विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ माने जाते हैं। प्रारंभ से ही भारतीय संस्कृति अत्यंत उदात्त, समन्वयवादी, सशक्त एवं जीवंत रही हैं, जिसमें जीवन के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति का अद्भुत समन्वय पाया जाता है।धर्म; किताब में जो ज्ञान हैं उसे पालन करना होता है, सभी के मार्ग अलग-अलग होते हैं, सबके अपने मत/विचार अलग होते है, परंतु धर्म एक ही होता है, विभिन्न महापुरषों के अलग संदेश होते है। विख्यात शिक्षाविद व यमुनानगर-जगाधरी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रधान डा. एम् के सहगल ने गुरुकुल पद्धति की सराहना करते हुए विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी अच्छे गुरुकुल मे रहते हुए अनुशासित व समय प्रबंधन का विशेष ध्यान रखना सीखता है। इसी तरह विद्यार्थी जीवन में परिश्रम, ईमानदारी, सच्चाई, परोपकार, करुणा, सहानुभूति, शील, सम्मान करने की भावना जैसे गुणों भी गुरुकुल मे होता है। गुरुकुल के छात्रों का मनोबल सदैव ऊँचा रहता है तथा वह दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्रोत होता है। अतः भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए विद्यार्थी जीवन से ही चरित्र निर्माण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इसी आवश्यकता को ध्यान मे रखते हुए महर्षि दयानंद सरस्वती जी के जन्म के 200वें वर्ष के उपलक्ष्य में, वैदिक विचारधारा से जुड़े सभी महापुरुषों से प्रेरित होकर श्री सिद्धिविनायक एजुकेशनल ट्रस्ट के द्वारा “गुरुकुल यमुनानगर” की स्थापना महर्षि वेद-व्यास जीं की तपस्थली तथा हिमाचल/उत्तराखंड की तलहटी पर इसी वर्ष से बिलासपुर में की जा रही है| बच्चे हमारे जीवन की सबसे अमूल्य धरोहर है और जो अभिभावक अच्छी शिक्षा के अलावा अपने बच्चों में संस्कार, चरित्र निर्माण व अच्छा स्वास्थ्य भी चाहते हैं, गुरुकुल यमुनानगर के संग उनका भाग्योदय होगा| इस अवसर पर मैनेजिंग डायरेक्टर डा एम् के सहगल, प्रिंसिपल रविन्द्र सिंह वधवा, गगन बजाज, ब्राह्मकांति शर्मा, रजनी बाला एव सभी शिक्षक उपस्थित रहे।