नगरपालिका में कालवा राज के भ्रष्टाचारों पर मील की ढुलमुल नीति:चुनाव में क्या होगा?
करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सुल्तानपुर – 25 जनवरी :
- 👍जनता से हाथ से हाथ जोड़ो और कालवा का हाथ थामे रखो 👌
- 👍 सवाल दर सवाल और सवालों के घेरे में कौन कौन? 👌
मील की 24 जनवरी 2023 की पत्रकार वार्ता में दिए गए दो पृष्ठों के विकास संबंधी टाईप नोट में नगरपालिका को गायब रखा गया। नगरपालिका में विकास का झांसा चला और कांग्रेस के बोर्ड एवं ओमप्रकाश कालवा के राज में भ्रष्टाचार की नदी बही। शायद इस विषय को मील छुपाना चाहते थे मगर नगरपालिका के भ्रष्टाचार पर सवाल उठ ही गये।
नगरपालिका के अतिक्रमण व भ्रष्टाचार पर उठे सवालों पर मील विचलित हुए। ऐसा लगा कि वे पालिका पर सुनने के मूड में नहीं है।
वार्तालाप में यह महसूस हो रहा था कि पालिका में भ्रष्टाचार पर वे सुनने के ईच्छुक नहीं। क्या मील भ्रष्टाचारों के आरोपों में ओमप्रकाश कालवा पर दयालु हो गये? दयालु होने के क्या कारण हो सकते हैं। क्या कालवा पर अब कोई आरोप नहीं रहा। कालवा की नगरपालिका में अब ईमानदारी हो गई।
* मीलों ने पिछली पत्रकार वार्ता में कहा था कि हमारे पर अतिक्रण का आरोप लगाया जा रहा है तो वे सारे अतिक्रण तोड़ दिए जाएं। क्या पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने ऐसा कोई वक्तव्य दिया कि नगरपालिका में किसी भी काम के लिए कोई राशि किसी के नाम से न दें कोई पैसा नहीं, कोई रिश्वत नहींं मैं कोई पैसे नहीं लेता,इसलिए मेरे नाम से कोई मांगे तो कोई राशि नहीं दें। कालवा ने अभी तक ऐसा नहीं कहा।
(नगरपालिका भ्रष्टाचार पर सवाल उठे और आधे से अधिक पत्रकार ही खिसक गये।)
नगरपालिका पर सवाल हुए जवाब विचलित से दिए गए उनसे महसूस हुआ कि मील ओमप्रकाश कालवा पर मेहरबान हो रहे हैं। गंगाजल मील साहेब ने कहा कि पार्टी के लोगों में आपस में कोई गिला शिकवा है तो वह मिल बैठ कर दूर करेंगे। सीवरेज में एक करोड़ 48 लाख का भुगतान का आरोप लगाया और मुकदमा जो कांग्रेस के ही पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारीलाल ने
किया है वह गिलाशिकवा है? यह मुकदमा मील गिलाशिकवा मानकर दूर नहीं कर सकते।
* नगरपालिका भ्रष्टाचार और अतिक्रमण तोड़ने बाबत मुद्दे पर सवाल गंभीर थे जिन पर मील जवाब देने पर विचलित थे। अतिक्रण तोड़ने के मुद्दे पर राजेंद्र उपाध्याय ने सवाल किया कि जो अतिक्रमण टूटे हैं उनमें अतिक्रण व हिस्सेदारी में आपकी पार्टी के लोगों के नाम आए हैं। राजेंद्र उपाध्याय ने अपने सवाल में जोर डाला और आपकी पार्टी ( कांग्रेस) शब्द का इस्तेमाल किया। गंगाजल मील विचलित से हुए मगर तुरंत उत्तर देने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
मील ने उत्तर दिया कि जो करेंगे वे भुगतेंगे। गंगाजल मील ने कहा कि वार्ड नं 9 और 10 में गिरोह है जो अतिक्रमण हटाते ही विरोध करते हैं और कुछ नेता कहलवाने वाले उनके बचाव में खड़े हो जाते हैं। उन्होंने कुछ के नाम भी लिए जिनमें कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भी नाम थे। एक कॉलोनी निर्माता का नाम भी लिया और उसके साथ ही एक विधायक पुत्र सहित कुछ नाम लिए।
नगरपालिका द्वारा अभी कुछ दिन के अभियान में करीब 100 बीघा जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कार्यवाही की बात आई। यह जमीन न थोड़ी है न मामूली है। कई करोड़ की है और इसमें नेशनल हाईवे के पास की भी है।
राजेंद्र जैन पटावरी ने अतिक्रमण तोड़ने का अभियान देरी से शुरू करने का सवाल किया।
* यह सवाल भी आया कि ये अतिक्रमण तो आपके कालवा राज में ही हुएऔर ये क्यों होते रहे?
नगरपालिका में भ्रष्टाचारों पर बड़ी बड़ी रकमों के सवालों पर गंगाजल मील विचलित हुए और कहा कि करेगा सो भरेगा। हनुमान मील ने नगरपालिका में लेनदेन के आरोप भ्रष्टाचार पर कहा कि लोग सामने आएं और बताएं तो कुछ हो,अफवाहें ज्यादा होती है। मीलों ने यह कहते गेंद जनता के पाले में फेंकने की असफल कोशिश करते हुए कहा कि आपके सामने कोई मामला आए तो हमें बताएं।
करणीदानसिंह राजपूत ने कहा आपको क्यों बताएं,हमारे सामने आते ही छापेंगे अभी भी छाप रहे हैं। एक तो अभी भी छापा है। सिंह ने कहा कि अभी भी बहुत से अतिक्रमण पड़े हैं। वार्ड नं 26 जो चैयरमैन का वार्ड है उसमें बड़े बड़े नोहरे हैं अतिक्रमण के जहां ताले हैं और कोई रहता नहीं है। पट्टे बनाने में नामांतरण में तेजी नहीं है।
* हनुमान मील यंग हैं और पुनः चुनाव लड़ने में नाम है तो वे भी खुफिया तौर पर व्यक्तिगत खोज करें कि भ्रष्टाचारों की रकमें और कौन हिस्सेदार हैं। वे यह खोज करने के बजाय जनता से खुले पूछ रहे हैं। कभी खुले में कोई बताता है? नहीं बताता। कानून से हट कर काम हो तो कराने वाला बड़ी रकम देता है और उससे क ई गुना अधिक रकम की जमीन आदि हड़प भी लेता है। वह तो नहीं बताएगा मगर सरकार को तो हानि होगी।
* इस पत्रकार वार्ता में हेतराम मील नहीं थे जो भ्रष्टाचारों के मामले में अतिक्रमण मामलों में सख्त माने गए हैं। वे पिछली पत्रकार वार्ता में थे।
* कांग्रेस एक तरफ तो हाथ से हाथ जोड़ने का अभियान चलाने वाली है मगर नगरपालिका भ्रष्टाचारों पर जनपक्ष के साथ हाथ जोड़ने से दूर भागना चाहती है।
** मील परिवार व कांग्रेस नगरपालिका भ्रष्टाचारों को अफवाहें अधिक बताकर कालवा पर सख्त कार्यवाही नहीं कर सख्त निर्देश नहीं देते हुए विधानसभा चुनाव 2023 लड़ना चाहते हैं। सूरतगढ़ में कालवा राज में कांग्रेस की छवि मैली हुई और मील भी सवालों के कटघरे में रहे और अभी भी लोगों को मील परिवार पर कालवा मामलों में डाउट है कि वे नगरपालिका भ्रष्टाचारों के मामले में कुछ भी नहीं करेंगे। जनता कुछ समय का नाटक मान रही है। विधानसभा चुनाव से पहले ही अपना चुनाव परिणाम लिखना बहुत बड़ी सदा के लिए आउट होने की गलती होगी।
( पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष परसराम भाटिया जो पार्षद है और कालवा पर भ्रष्टाचारों के आरोप महीनों से लगाते रहे हैं वे कुछ मील की हां मिलाने में रहे।)
* मील परिवार नगरपालिका और कालवा के राज से पार्टी के उच्च नेताओं को जिले के प्रभारी मंत्री को अवगत कराते रहना चाहिए या ठंडे बस्ते में डालते रहना चाहिए?
👍 क्या गंगाजल मील यहां अपने पुत्र महेन्द्र मील को स्थापित करना चाहते हैं? अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के साथ नगरपालिका पर भ्रष्टाचार के आरोप तेज होने के बाद मील दरबार में कालवा का पहुचना बंद हो गया था। महेंद्र मील के आने और कुछ दिन रुकने के साथ ही कालवा दरबार में फिर से पहुचने लगे। गंगाजल में परिवर्तन में यह परिवर्तन इसके बाद आया। महेंद्र मील कालवा के नजदीक समझे जाते हैं।
👍 गंगाजल मील कालवा राज पर राजी हैं तो क्लीन चिट दें और खुला कहें कि भ्रष्टाचार नहीं हुआ। करेगा वही भरेगा करेगा वही जिम्मेदार होगा कहने से काम नहीं चलेगा और 2023 के चुनाव में भी कांग्रेस के लिए हितकारी नहीं होगा।
कालवा को साथ खड़ा रख कर कांग्रेस वोट मांगेगी तब आंखें खुलेगी। इससे पहले शहर में उठ रही आवाज और कांग्रेस पार्षदों की आवाज कनस्तर बजाने की आवाज से आंखें नहीं खोलना किसका हितसाधक रवैया माना जाएगा।
👍 👍सबसे बड़ा सवाल है की जनता से हाथ से हाथ जोड़ो और कालवा का हाथ थामे रखो की नीति कितनी चल पाएगी। इसका निर्णय तो अब पांच सात दिन में ही करना मील परिवार और कांग्रेस दोनों के लिए अच्छा रह सकता है।