Sunday, December 22

हिसार/पवन सैनी

स्वामी दीप्तानंद अवधूत आश्रम खरड़ अलिपुर में सतगुरु बंदी छोड़ हरिहरानंद जी महाराज का आठवां निर्वाण महोत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सतगुरु बंदी छोड़ घीसा संत जी महाराज की वाणी के 31 अखंड पाठो का संपूर्ण भोग लगाया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों की संख्या में भारत के हर कोने से संत महापुरुषों ने पहुंचकर महाराजश्री के चरणो में श्रद्धा सुमन अर्पित किए। स्वामी जीतवानंद जी ऐलनाबाद,देवेंद्रानंद गिरी बहादुरगढ़, स्वामी रामानंद खांडा, स्वामी रामानंद जी गोपालपुर, स्वामी ईश्वरदास सोनीपत, साध्वी मंजू कुराड, डॉक्टर परमानंद रोहतक, स्वामी राजेंद्र दास जटिला धाम, स्वामी सोमप्रकाश, अनिल प्रकाश सिसाना, स्वामी सदानंद, स्वामी दिव्यानंद फतेहाबाद, विद्यानंद ढाणी कुतुबपुर, सूर्यानंद सरस्वती इगरा धाम, सत्यवीरानंद पांडू पिंडारा, स्वामी प्रकाशानंद, रजनीश माजरा पंजाब, हरिपाल पंजाब, महामंडलेश्वर योगिनी राधा सरस्वती जी धाम वृंदावन, श्री सिद्ध बाबा नीलगिरी धाना धाम जूना अखाड़ा हरिद्वार श्री गीता मनीषी, संजय ब्रह्मचारी, स्वामी अमृतानंद, स्वामी जितेंद्रानंद, स्वामी ब्रह्मानंद, स्वामी सुख देवानंद सभी संतो ने अपनी वाणी के द्वारा साध संगत को ज्ञान अमृत की वर्षा की। इस अवसर पर स्वामी श्री कृष्णानंद ने बताया कि बंदी छोड़ दीप्तानंद जी की शरणागत रहते हुए हरिहरानंद जी महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन संतों की सेवा व साध संगत को राम नाम से जोड़कर परमार्थ करने के लिए प्रेरित करते हुए बिताया। जो सतगुरु संतो के चरणों में शरणागत रहता है। उसके बताए अनुसार कार्य करता है। संसार सागर से पार हो जाता है। गुरु जी हमें पीठ मत दे देना, करोत दे देना। यानी अगर सतगुरु परमात्मा हमें त्याग देते हैं, तो जीव डूब जाता है। और सतगुरु के शरणागत रहते हैं तो पार हो जाते हैं। जिस प्रकार भगवान राम ने जो पत्थर समुद्र पर पुल बांधने के लिए छोड़े, वह डूब गए। जिन पर राम का नाम लिखकर छोड़ा वह सभी तर गए। अर्थात कहने का भाव यह है कि राम से बड़ा राम का नाम। अंत में निकला यही परिणाम महाराज श्री हरिहरानंद जी का कान्हा के साथ उनका विशेष प्रेम था। ईसी लिए एक रात निधिवन वृंदावन में ठहर कर पूरी रात रासलीला का दर्शन किया। वहां रात्रि को कोई भी नहीं ठहर सकता। यदि ठहर जाता है, तो मर जाता है या पागल हो जाते हैं। उनके दर्शन वही कर पाता है जिसमें उनको देखने की दृष्टि हो। ऐसे थे सतगुरु बंदी छोड़ हरिहरानंद जी महाराज। जो सदा सबको इस विशाल समाधि के द्वारा सबके प्रेरणा पुंज बने रहेंगे। जो उनके आचरण का स्मरण करेगा उनका जन्म जीवन धन्य हो जाएगा। इस अवसर पर स्वामी दीप्तानंद अवधूत मैमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा “जनकल्याण सामग्री का वितरण” संतो महापुरुषों के द्वारा कराया गया। जिससे जरूरतमंद व्यक्ति के जीवन स्तर को और बेहतर किया जा सके। इस कार्य को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाहने का संकल्प  ट्रस्ट द्वारा लिया गया है। जो समय-समय पर दी जाएगी। इस कार्य में सहयोग के लिए निम्न कीमत पर सामान उपलब्ध करवाने के लिए पारले जी बिस्कुट, युनिलीवर, मैरिको पैराशूट तेल कम्पनी के साथ और भी सभी सहयोगियों का धन्यावाद करते हैं। और आशा करते हैं कि यह सहयोग आगे भी निरंतर इसी प्रकार मिलता रहे और यह कार्य आगे भी इसी प्रकार चलता रहे।