गौ माता का दूध पीया, सांडों बछड़ों को लावारिस छोड़ा और मैं जिंदा हूं

करणी दान सिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट,  सूरतगढ़  – 19 जनवरी :                         भयानक सर्दी बदन को चीरती शीतलहर ऊपर से वर्षा और ऐसी स्थिति में असहाय निराश्रित बेसहारा लावारिस छोड़े हुए सांड और बछड़े गौ माता के पुत्र किन परिस्थितियों में जी रहे हैं? कंकड़ पत्थर मलबे में गंदगी में जीना भी कोई जीना होता है। विचार करिए!                         मैंने गौ माता का दूध पीया और गौ माता के पुत्रों को लावारिस छोड़ दिया मैं जिंदा हूं। मेरे जिंदा होते हुए वे लावारिस हो गये। मालिक जीवित है तो वे लावारिस कैसे हो गये? मालिक मरता है तब कोई लावारिस होता है फिर ये लावारिस हो गये। कोई आवारागर्दी नहीं की मगर  लोग आवारा पशु कहने लगे।                         मैं सारे दिन धर्म कर्म की बात करता हूं। कोई भी कथा और प्रवचन सुनने से वंचित नहीं रहता। वहां पर चढावा भी देता हूं। सुबह शाम पूजा पाठ करता हूं।                         गौ माता को पालना गौ माता की सेवा करना प्रवचन सुनता हूं। यह सब कुछ सुनते हुए देखते हुए कोई भी समारोह खाली नहीं छोड़ता। उनमें उपस्थित होता हूं। मेरे धर्म-कर्म में कोई कमी नहीं छोड़ता।                         मैंने गौमाता को पाला। गौ माता का दूध पीया। उसके बाद में मैंने गौ माता के वंशज को बछड़ों और सांडों को लावारिस छोड़ दिया। मैं मालिक जिंदा हूं और वे लावारिस। सांडों की तो बात ही छोड़ो मैंने तो गौ माता के दूध मुहे बछड़ों तक को लावारिस छोड़ दिया।