Sunday, December 22

                        पत्रकारों से बात करते हुए जगदानंद सिंह ने एक बार फिर से चंद्रशेखर के बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सभी समाजवादी आपके साथ हैं। उन्होंने राममनोहर लोहिया के हवाले से कहा कि रामचरितमानस में हीरा-मोती भी है और कूड़ा-कचरा भी है, इसलिए हम कूड़ा साफ करेंगे और हीरा-मोती को रखेंगे। इसके पहले उन्होंने चंद्रशेखर के विवादित बयान का समर्थन करते हुए कहा था कि पूरी राजद उनके साथ खड़ी है। जगदानंद सिंह ने कहा था कि ‘राष्ट्रीय जनता दल’ कमंडल के आगे कभी मंडल को हारने नहीं देगा। लेकिन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने साफ कहा है कि जदयू के लिए सभी धर्म एक समान है और वह राजद के राम या रामचरितमानस पर दिए बयान के साथ नहीं है। जदयू के संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि राजद के इस स्टैंड का फायदा भाजपा को मिलेगा।

जगदानंद सिंह, चंद्रशेखर यादव
रामचरितमानस पर राजद में दो फाड़, प्रदेश अध्यक्ष ने फिर किया अपमान
  • शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर राजद में भी एकमत नहीं
  • जगदानंद सिंह ने किया समर्थन तो शिवानंद तिवारी विरोध में खड़े हुए
  • जदयू और राजद के बीच भी रामचरितानस विवाद पर अलग-अलग सुर

डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटना ब्यूरो – 14 जनवरी :

                        बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस  पर दिए गए ‘ज्ञान’ ने देश में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। चंद्रशेखर के विवादित बयान से लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बुरी तरह फंस गई है। विरोधी दलों के अलावा बिहार की सत्ता में सहयोगी पार्टी जनता दल युनाइटेड भी चंद्रशेखर के बयान की निंदा कर रही है। इतना ही नहीं, अब राजद के अंदर भी शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर  को लेकर दो फाड़ हो गई है। कुछ नेता चंद्रशेखर के साथ खड़े हो गए हैं तो कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में अब राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने भी चंद्रशेखर के बयान पर आपत्ति जताई है।

                        रिपब्लिक भारत से खास बातचीत में राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि ‘चंद्रशेखर ने जो कुछ कहा है, उससे हम सहमति नहीं रखते हैं। हमने उन्होंने कहा भी कि आपको वहां रामचरितमानस पर बोलने की क्या जरूरत थी। आप जिस वैचारिक धरातल तक खड़े हैं, उससे आप अलग होना चाह रहे हैं। राजद हो या जदयू हो, इन दोनों की एक ही वैचारिक धारा है।’

                        इसी बीच चंद्रशेखर को जगदानंद सिंह के समर्थन पर भी शिवानंद तिवारी ने करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं जगदानंद सिंह के बयान से असहमत हूं कि पार्टी चंद्रशेखर के बयान के साथ खड़ी है। प्रदेश अध्यक्ष ऐसा फैसला कैसे ले सकते हैं। मैं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हूं। मैं इस पर तेजस्वी यादव से बात करूंगा कि चंद्रशेखर द्वारा दिया गया बयान पार्टी के हित में नहीं है। मैं उस बैठक का हिस्सा नहीं था, जिसमें रामचरित मानस पर चंद्रशेखर के बयान का समर्थन करने का फैसला लिया गया था।’ शिवानंद तिवारी ने आगे कहा, 

“जगदानंद सिंह ने शायद यह बयान इसलिए दिया है क्योंकि वह अपने बेटे को नीतीश कैबिनेट से बाहर किए जाने से नाराज हैं।”, शिवानंद तिवारी

                        उल्लेखनीय है कि बीते दिन बिहार आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने चंद्रशेखर के विवादित बयान का समर्थन करते हुए कहा था कि पूरी राजद उनके साथ खड़ी है। जगदानंद सिंह ने कहा था कि ‘राष्ट्रीय जनता दल कमंडल के आगे कभी मंडल को हारने नहीं देगा, जो हमारी सामजिक न्याय और समाजवाद की धारा है, जो डॉ. राममनोहर लोहिया से सीख हमको मिली है, उसके लिए कर्पूरी ठाकुर मृत्यु तक लड़ते रहे।’ उन्होंने आगे कहा था, 

जो राह समाजवादियों ने हमें बताई है उस पर आज भी चलने का ये (चंद्रशेखर) काम कर रहे हैं। मैं इस विषय पर ज्यादा नहीं कहना चाहता पर एक बात जरूर कहूंगा कि चंद्रशेखर आप आश्वस्त रहिए, पूरी राष्ट्रीय जनता दल आपके साथ और कमंडलवादियों के खिलाफ आपके साथ खड़ी है।

                        दरअसल, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर हाल ही में एक कार्यक्रम में पहुंचे थे, जहां उन्होंने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को ‘नफरती ग्रंथ’ बताया था। इसके बाद रिपब्लिक भारत से खास बातचीत में भी शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने अपने बयान को दोहराया। उन्होंने कहा, ‘उस ग्रंथ में नफरत का अंश है। मैं सीधी बात कहता हूं कि रामचरितमानस हो या मनुस्मृति हो इसमे जातियों के लेकर जो विषमता दिखाई गई है उसे हटाना चाहिए।’

                   इस मामले के तूल पकड़ने के बावजूद चंद्रशेखर गलती मानने की बजाय अपने बयान पर आज भी कायम हैं। ऐसे में उनको विपक्ष की आलोचना के साथ अपने सहयोगी दलों, यहां तक की अपनी ही पार्टी के नेताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। चंद्रशेखर के विवादित बयान से महागठबंधन सरकार में साथी कांग्रेस और जेडीयू किनारा कर गए हैं।