अध्यक्ष कालवा की नीतियों से पालिका का बंटाधार : मील को भ्रमित किये रखा

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ :

नगर पालिका सूरतगढ़ के अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा ने यह मान लिया है कि उनके कहने पर नगर पालिका के अधिकारी कर्मचारी काम नहीं करते। यह मौखिक नहीं माना गया बल्कि लिखित में माना है।

अध्यक्ष ने अर्जेंट ऑफिस नोट जारी किए हैं उनमें यह लिखा हुआ है जो शहर में चर्चा बने हुए हैं।

  ऑफिस नोट में हवाला दिया गया है कि पट्टे की फाइलें नामांतरण की फाइलें आदि पेंडिंग पड़ी है और शहर में सफाई व्यवस्था चौपट हो गई है। निर्माण कार्यों के टेंडर आदि नहीं हो रहे। लोगों में आक्रोश है।

  अध्यक्ष को 3 साल का कार्यकाल पूरा होने के 1 महीने और ऊपर होने के बाद यह मालूम हुआ कि नगर में सफाई व्यवस्था चौपट है।  पट्टों की और नामांतरण की फाइलें पेंडिंग पड़ी है।

  यह सारा दोष अधिशासी अधिकारी और स्टाफ को देना चाहते हैं। 

  अर्जेंट ऑफिस नोट से यह तो साबित हो ही गया है कि नगर पालिका में चेयरमैन बेबस है लाचार हैं उसके कहने से काम नहीं हो रहे।

  सच्चाई यह है कि जब जनता की नजरों से कोई उतर जाए तब वह कितनी ही सफाई दे जनता उसे स्वीकार नहीं करती बल्कि यह पक्का मान लेती है कि कोई नया व्यक्ति आएगा तो काम हो सकता है, वर्तमान से संभव नहीं है। यह सर्वमान्य बात है और चुने हुए सभी जनप्रतिनिधियों पर मान्य होती है।

   अध्यक्ष के कहने से कोई काम ही नहीं करता। यह स्थिति स्वयं नगर पालिका अध्यक्ष ने की है जिसके कारण वे जनता की नजरों में अब स्थापित नहीं रह सकते। 

  जनता को याद है की आज अध्यक्ष अधिशासी अधिकारी और सफाई निरीक्षक को साथ लेकर करीब साल पहले कुछ वार्डों घूमे और कुछ सफाई स्टाफ पर कार्यवाही भी हुई थी।

  यह घोषणाएं हुई थी कि अब यह लगातार निरीक्षण हर वार्ड में जारी रहेगा।  नगरपालिका से इनके प्रेसनोट भी जारी हुए थे। ये सचित्र समाचार भी छपे थे। यह घोषणा बाद में लुप्त हो गई। चार पांच वार्डों में निरीक्षण के बाद में चेयरमैन साहब को फुर्सत ही नहीं थी कि वे इस कार्यक्रम को आगे चलाते। अब चाहे स्टाफ को दोष देते रहे नोट डालते रहें लेकिन असलियत यह है कि उन्होंने खुद ने यह निरीक्षण बंद कर दिया।

  अब बात आती है पट्टोकी 9 जनवरी 2023 को करणी प्रेस इंडिया पर एक बहुत बड़ा समाचार लगा कि खुद चेयरमैन साहब के वार्ड नंबर 26 के पट्टे नहीं बने।  यह समाचार निश्चित रूप से विचलित करने वाला हो सकता है। सीधा चेयरमैन पर सवाल उठाया गया था कि जब आपके खुद के वार्ड के पट्टे नहीं बन रहे तो शहर का क्या हाल हो सकता है। चेयरमैन को  खुद के वार्ड के लिए ही समय नहीं हैं। 

इसके बाद में अर्जेंट ऑफिस नोट जारी करते हैं के पट्टे की फाइलें पेंडिंग पड़ी है। 

  अध्यक्ष को यह मालूम होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी के ही पार्षद बसंत कुमार बोहरा ने कनस्तर बजाकर के आपको जगाने की कोशिश की थी। पट्टे बनाओ की मांग की थी। आपने उस पर ध्यान नहीं दिया।अब कह रहे हैं कि पट्टे बन नहीं रहे हैं फाइलें पेंडिंग पड़ी है। बसंत कुमार ने दो दफा कनस्तर बजाया और पता नहीं कितने ही पत्र लिख लिख कर के दिए।आप तो उस पार्षद का तिरस्कार कर नीचा दिखा रहे थे। क्योंकि उसने कनस्तर आपके सामने बजाया था।

पूर्व विधायक गंगाजल मील भी एक पट्टा वितरण कार्यक्रम में मौजूद थे तब भी कनस्तर बजाया गया था। गंगाजल मील को भी भ्रमित किया जाता रहा।

  कनस्तर बजाए गए उस समय कहते कि पट्टे तुरंत बनाए जाएं लेकिन एक बार भी नहीं कहा।

   बसंत कुमार के वार्ड के पट्टे जिनमें विधवाओं और वृद्धों के पट्टे थे जिनके लिए मुझे ( करणीदानसिंह राजपूत ) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखना पड़ा और वहां से कार्यवाही होने के बाद में उन विधवाओं और वृद्धों को पट्टे दिए गए।

  अध्यक्ष को जगाने के लिए समाचार पत्रों में लगातार जनता की पीड़ाएं छपती रही लेकिन कोई गौर नहीं किया गया।

  अब बात आती है नामांतरण की फाइलें पेंडिंग पड़ी होने की। कांग्रेस पार्टी के नेता गुरदर्शन सिंह सोढ़ी को नामांतरण के लिए कई चक्कर कटवाए गए। उन्होंने नगर पालिका कार्यालय में धरना दिया तब उनके नामांतरण का कार्य पूरा किया गया।यह प्रदर्शन कई महीने पहले हुआ था। उस समय भी पता नहीं लगा नहीं की फाइलें पेंडिंग चल रही है। 

  अब इतने महीने बाद में 3 साल के बाद में काम नहीं होने का दोष नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी और कर्मचारियों पर डालना चाहते हैं,लेकिन जनता को मालूम है की असलियत क्या है? 

  नगर पालिका प्रशासन जिसमें अधिशासी अधिकारी के साथ में अन्य कर्मचारी और अधिकारी हैं, उन्होंने नगरपालिका की करोड़ों रुपए की जमीन अतिक्रमण हटाकर भू माफिया से मुक्त करवाई हैं और यह कार्य अभी रोजाना भयानक सर्दी में भी चल रहा है,उसके लिए कहीं भी सराहना नहीं की गई। 

  जब-जब अतिक्रमण हटाए गए तब तब स्टाफ को धन्यवाद दिया जाता।  चैयरमैन खुद मुक्त हो गई जमीनें देखने जाते।जब नगरपालिका का स्टाफ भू माफिया के अतिक्रमण हटवा रहा था तो कभी भी मौके पर हौसला बढाने नहीं गए। 

भू माफिया नगरपालिका के अंदर आते जाते रहे हैं 

  अध्यक्ष की तरफ से सराहना नहीं हुई। आप किन कारणों  विचलित रहे कि स्टाफ की सराहना करना भी आवश्यक नहीं समझा। असल में अतिक्रमण हटाने की सूचना अध्यक्ष को नहीं देकर अतिक्रमण हटाए गए और सरकार की जमीनें मुक्त हो गई। अतिक्रमण हटाने की मांगे जब पार्षदों की तरफ से हुई तब महीनों तक कार्यवाही ही नहीं हुई।

  आपने कभी भी नगर पालिका स्टाफ को अच्छे कार्य के लिए बधाई नहीं दी। करोड़ों रुपए की जमीन भू माफिया से मुक्त हुई उसके लिए आपने कभी मीडिया को भी आमंत्रित करके बताने की कोशिश नहीं की।

  कुछ महीनों पहले आपने अध्यक्ष ने  प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूर्व विधायक गंगाजल मील की मौजूदगी में 30 सूत्री कार्यक्रम घोषित किया कि शहर में बहुत बड़ा विकास कार्य किया जाएगा। आपने पूर्व विधायक को भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद रखा और भ्रमित किया। मील को भी उस समय अंदाजा नहीं था कि यह सब झूठी फिल्म की घोषणा हो रही है।** उसमें से कितने काम करवाएं यह अच्छे तरीके से जानते हैं। 30 सूत्री कार्यक्रम घोषणाएं चौपट हो करके रह गई। पीसीसी सदस्य हनुमान मील और गंगाजल मील की समझ में अब आया कि जनता के साथ क्या हो रहा है और नगरपालिका में अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा क्या कर रहे हैं? नगरपालिका में बहुमत का बोर्ड है और अध्यक्ष भी कांग्रेस का है जिसकी कार्य नीति ने यहां इस पार्टी को गड्ढे में धकेल दिया है।

  अब जनता के बीच में बताना कि कर्मचारी काम नहीं करते उनका कहना चल नहीं रहा है। जनता इसे चेयरमैन की कमजोरी समझती है।  जब स्टाफ ही चैयरमैन के कहने से काम नहीं करता तो उस चेयरमैन को काम के लिए जनता कहे भी कैसे। 

  वैसे आज सारा काम कंप्यूटराइज्ड है। चेयरमैन नगर पालिका में एक एक फाइल सिग्गे से मतलब संबंधित शाखा से मंगा कर के खुद तुरंत देख सकते हैं गिन सकते हैं कि कितनी फाइलें पेंडिंग पड़ी है। कितनी में काम पूरा हो चुका है? 

  यह प्रतिदिन की प्रक्रिया है और चैयरमेन  करते रहे हैं। चैयरमैन के पास में काम करने के लिए समय होना चाहिए जो कक्ष में गप्पों में व्यस्त होता है। 

  यदि चेयरमैन अपनी सीट पर बैठकर रिकॉर्ड मंगाए तो ऐसा कभी नहीं हुआ कि चेयरमैन मंगाए और स्टाफ वह सामने पुट नहीं करें।

  सच्चाई यह है कि जब पिछले कुछ दिनों से मीडिया में सोशल मीडिया में जो आलोचना हो रही है। वे विचलित कर रही है। इसलिए अपनी हालत साफ करने के लिए कह रहे हैं। सही स्थिति यह होती कि अर्जेट नोट के बजाय काम करवाते लेकिन इससे उल्टा हो गया।

  स्टाफ मेरे कहने से काम नहीं कर रहा। 

  श्रीमान जी जब जनता का काम आपके अध्यक्ष के कहने से नहीं हो रहा है तो आप इस पद पर क्यों बैठे हैं? कुर्सी खाली करें ताकि कोई नया चैयरमैन बने और जनता के काम हो सकें। 

जनता से अपील. चलते चलते।

  किसी ने भी किसी को, बिचौलियों को दलालों को हजारों लाखों काम कराने के लिए दिए हैं तो वापस मांग लें। काम हो गया है तो भी हिम्मत कर मांग लें। दलालों को भी नेक सलाह है कि आफत आए उससे पहले दो चार दिनों में रूपये लौटा दें।