बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के ने बुधवार को नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षान्त समारोह में कहा था कि ‘रामचरितमानस’ से नफरत फैलती है। उनके इस बयान से संत समाज भी गुस्से में है। अयोध्या के संत जगतगुरु परमहंस आचार्य ने उन्हें पद से हटाने की मांग करते हुए कहा कि उनकी जीभ काटकर लाने वाले को 10 करोड़ का इनाम देंगे। इधर शिक्षा मंत्री अपने बयान पर कायम हैं। उन्हाेंने कहा कि जो लोग मेरी जीभ काटना चाहते हैं काटे, कोई तो अमीर हो जाएगा। हम तो जलने वाले लोग हैं, जब तक जलेंगे नहीं, तब तक निखरेंगे नहीं।
- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने शिक्षामंत्री चन्द्रशेखर को तथ्यों के साथ दिखाया आइना, मुख्यमंत्री नीतीश से पूछा कि क्यों वह ऐसे व्यक्ति के हाथों में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सौंप कर युवाओं के भविष्य को रसातल में पहुंचा देना चाहते हैं?
- शिक्षामंत्री के बयान पर डॉ जायसवाल ने पूछा, समाजिक सद्भाव की माला जपने वाले नीतीश जी को बताना चाहिए कि हिन्दुओं को बार-बार अपमानित करवाने से कौन सा समाजिक सद्भाव बढ़ता है?
- डॉ संजय जायसवाल ने रामचरितमानस प्रकरण पर तथ्यों के साथ शिक्षामंत्री के झूठ का किया भंडाफोड, मुख्यमंत्री नीतीश से की शिक्षामंत्री को बर्खास्त करने की मांग, कहा किसी अन्य धर्मविशेष की धार्मिक किताब पर ऐसी टिप्पणी की होती तो बिहार में गूंज रहे होते सर तन से जुदा के नारे
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :
बिहार के शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर द्वारा रामचरितमानस को नफरत फ़ैलाने वाली किताब बताये जाने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने इंटरनेट मीडिया के जरिए उन्हें तथ्यों के साथ आईना दिखाया है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा कि बिहार के शिक्षामंत्री द्वारा प्रभु श्री राम के जीवन चरित ‘रामचरितमानस’ के खिलाफ दिए गये घृणित बयान पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। यह उसी टोले के हैं जिन्हें आज तक आतंकवादियों का धर्म नहीं दिखायी दिया है लेकिन ‘हिंदू आतंकवाद’ सुनते ही तालियां पीटने लगते हैं। चन्द्रशेखर जी राजद की उसी हिंदू द्रोही परंपरा का निर्वहन करते हुए अब हिंदू धर्मग्रंथों पर विषवमन कर रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि अपने बयान के सहारे इन्होंने एक बार फिर से साबित कर दिया कि भले ही नाम में प्रोफेसर लगा हो लेकिन लाठीधारी पार्टी में जाते ही लोगों की बुद्धि कुंद पड़ जाती है। आधे-अधूरे ज्ञान के सहारे ही यह बुद्धिजीविता की उल्टियां करने लगते हैं। तथ्य देते हुए उन्होंने लिखा कि उत्तरकांड में यह काकभुशुण्डी( कौवा) और गरुड़ (दोनों पक्षी, मानव नहीं) के बीच हुए संवाद का हिस्सा है। जिसमें काकभुशुंडी गरुड से अपने गुरु और अपने बीच के प्रकरण का उल्लेख कर रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि पूरी चौपाई है –
“हर कहुँ हरि सेवक गुर कहेऊ। सुनि खगनाथ हृदय मम दहेऊ॥
अधम जाति मैं बिद्या पाएँ। भयउँ जथा अहि दूध पिआएँ”॥3॥
भावार्थ:-गुरुजी ने शिवजी को हरि का सेवक कहा। यह सुनकर हे पक्षीराज! मेरा हृदय जल उठा। नीच जाति(कौवा) का मैं विद्या पाकर ऐसा हो गया जैसे दूध पिलाने से साँप॥3॥
डॉ जायसवाल ने लिखा कि यहां कौवारुपी काकभुशुंडी अपने को नीच कह रहा है, लेकिन बिहार के शिक्षामंत्री इसका अर्थ हिंदू समाज को बांटने के लिए कर रहे हैं। उन्होंने आगे लिखा कि प्रश्न उठता है कि यदि वह सत्य हैं तो फिर रामायण के जनक ‘वाल्मीकि’ महर्षि कैसे हो गये? क्या उन्होंने बिना शिक्षा ग्रहण किये ही रामायण जैसे महाकाव्य की रचना कर दी थी। माता सीता को आश्रय देने वाले वही थे और लव तथा कुश के गुरु भी वही।
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने आगे लिखा कि मेरे हिसाब से राजद के ‘जातिविशारदों’ को महर्षि वाल्मीकि की जाति पता होगी ही।बहरहाल चन्द्रशेखर जी की ज्ञान की धज्जियां अगली चौपाई ही उड़ा देती है जिसमें काक भुशुंडी कहते हैं कि “मानी कुटिल कुभाग्य कुजाती। गुर कर द्रोह करउँ दिनु राती॥ अति दयाल गुर स्वल्प न क्रोधा। पुनि पुनि मोहि सिखाव सुबोधा”॥4॥ भावार्थ:-अभिमानी, कुटिल, दुर्भाग्य और कुजाति (कौवा)मैं दिन-रात गुरुजी से द्रोह करता। गुरुजी अत्यंत दयालु थे, उनको थोड़ा सा भी क्रोध नहीं आता। (मेरे द्रोह करने पर भी) वे बार-बार मुझे उत्तम ज्ञान की ही शिक्षा देते थे॥4॥
उन्होंने लिखा कि एक साथ लिखे रामचरितमानस इन दोनों चौपाइयों को पढ़कर आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि रामचरितमानस नफरत की किताब है या चन्द्रशेखर और उनकी पार्टी राजद नफरत की दूकान। डॉ जायसवाल ने आगे लिखा कि यह सोचने का विषय है कि जिस व्यक्ति के मन में हिन्दुओं के लिए इतना जहर भरा हो तथा जिसका ज्ञान इतना अल्प हो वह राज्य की शिक्षा व्यवस्था को कैसा जहरीला बना सकता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर नीतीश जी को बताना चाहिए कि क्यों वह ऐसे व्यक्ति के हाथों में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सौंप कर युवाओं के भविष्य को रसातल में पहुंचा देना चाहते हैं? उन्होंने पूछा कि समाजिक सद्भाव की माला जपने वाले नीतीश जी को बताना चाहिए कि हिन्दुओं को बार-बार अपमानित करवाने से कौन सा समाजिक सद्भाव बढ़ता है?
शिक्षामंत्री को बर्खास्त करने की मांग करते हुए उन्होंने लिखा कि नीतीश जी में यदि हिन्दुओं के प्रति थोड़ी सी भी संवेदना होगी तो उन्हें इस शिक्षामंत्री को तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए. लोग जानते हैं कि यदि उन्होंने रामचरितमानस के बजाए किसी अन्य धर्मविशेष की धार्मिक किताब पर ऐसी टिप्पणी की होती तो नीतीश जी कब का चन्द्रशेखर जी को किनारे लगा चुके होते और चंद्रशेखर के खिलाफ सर तन से जुदा के नारे पूरे बिहार में गूंज रहे होते.