पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 09 जनवरी 23 :
नोटः आज गंडमूल प्रातः 6.05 से। ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य जीवन पर ग्रह और नक्षत्र का प्रभाव जरुर पड़ता है। आकाश में मौजूद तारा-समूह को नक्षत्र कहते हैं। चंद्रमा 360 डिग्री पर पृथ्वी की परिक्रमा 27.3 दिनों में पूरी करता है इस परिक्रमा के दौरान चंद्रमा सितारों के 27 समूहों के बीच से गुजरता है। चंद्रमा और सितारों के समूहों का यही तालमेल नक्षत्र कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार कुछ नक्षत्र शुभ तो कुछ अशुभ माने गए हैं। इन्हीं में से है गंड मूल नक्षत्र जिसे बेहद अशुभ माना जाता है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः माघ,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः द्वितीया (तिथि की वृद्धि है, जो कि सोमवार को प्रातः प्रातः 9.40 तक है),
वारः सोमवार,।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः आश्लेषा (की वृद्धि है जो कि मंगलवार को प्रातः कालः 09.01 तक है),
योगः विष्कुम्भक प्रातः काल 10.31 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः धनु, चंद्र राशिः कर्क,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 07.19, सूर्यास्तः 05.38 बजे।