कांग्रेस और आ॰आ॰पा॰ के लिए मेयर चुनाव में खुल कर गठबंधन करना आसान नहीं होगा। आ॰आ॰पा॰ पर पहले भी कांग्रेस की ‘B’ टीम होने के आरोप भाजपा लगाती रही है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर दोनों पार्टियों की विचारधारा में भी अंतर है। ऐसे में यदि गुप्त रूप से दोनों में कोई तालमेल नहीं बनता तो एक बार फिर इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। आ॰आ॰पा वर्ष 2022 के मेयर चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें होने के बावजूद तीनों पोस्ट में से एक भी नहीं जीत पाई थी। वहीं मेयर चुनाव में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था।
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 03 जनवरी :
नगर निगम में इस समय किसी भी दल के पास मेयर चुनाव जीतने के लिए स्पष्ट बहुमत नहीं है। आप के 14, भाजपा के 14, कांग्रेस के छह और अकाली दल का एक पार्षद है। इसके अलावा मेयर चुनाव में एक वोट सांसद किरण खेर का है, इसलिए भाजपा के पास 15 वोट हैं लेकिन चुनाव में बहुमत का आंकड़ा 19 है।
अब कांग्रेस सिर्फ आ॰आ॰पा॰ और BJP के समीकरण ही बिगाड़ सकती है। हाउस में आ॰आ॰पा॰ और भाजपा की 14- 14 सीटें हैं। भाजपा के पास सांसद खेर का एक वोट अलग से है। वहीं शिरोमणि अकाली दल का एक वोट भी निर्णायक साबित हो सकता है। मेयर पोस्ट के लिए 19 वोट बहुमत साबित करने के लिए चाहिए।
वर्ष 2015 के बाद से कांग्रेस का कोई भी मेयर नहीं बन पाया है। वहीं वर्ष 2016 से लगातार भाजपा का मेयर बनता आ रहा है। ऐसे में सत्ताधारी भाजपा के लिए एक बार फिर अपना मेयर बनाना प्रतिष्ठा का सवाल है। वहीं कांग्रेस भी कुछ सियासी दाव खेल सकती है।
अभी तक भाजपा ने अपने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पदों के लिए उम्मीदवारों के नाम तय नहीं किए हैं। वहीं सूत्र बताते हैं कि पार्टी सौरभ जोशी, महेश इंद्र सिंह सिद्धू, हरप्रीत कौर बबला और जसमनप्रीत सिंह को इस बार मौका दे सकती है। वहीं कंवर राणा, अनूप गुप्ता और दिलीप शर्मा के नाम पर भी सहमति बन सकती है। इस बार मेयर के लिए महिला सीट रिजर्व नहीं है।
वहीं दूसरी ओर आ॰आ॰पा॰ में नेता प्रतिपक्ष योगेश ढींगरा, तरुणा मेहता और जसबीर सिंह लाडी को मौका मिल सकता है। कांग्रेस के पास भले ही नंबर नहीं है मगर फिर भी अगर कांग्रेस के गुरप्रीत सिंह और गुरबक्श रावत पर पार्टी दांव खेल सकती है। पिछली बार कांग्रेस वोटिंग से दूर रही थी। 12 जनवरी को उम्मीदवारों को अपना नामांकन भरना है।
कांग्रेस और आ॰आ॰पा॰ के लिए मेयर चुनाव में खुल कर गठबंधन करना आसान नहीं होगा। आ॰आ॰पा॰ पर पहले भी कांग्रेस की ‘B’ टीम होने के आरोप भाजपा लगाती रही है। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर दोनों पार्टियों की विचारधारा में भी अंतर है। ऐसे में यदि गुप्त रूप से दोनों में कोई तालमेल नहीं बनता तो एक बार फिर इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। आ॰आ॰पा वर्ष 2022 के मेयर चुनावों में सबसे ज्यादा सीटें होने के बावजूद तीनों पोस्ट में से एक भी नहीं जीत पाई थी। वहीं मेयर चुनाव में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था।