Sunday, December 22

राकेश शाह

डेमोक्रेटिक फ्रंट  चंडीगढ़

15 साल बाद

एक बार फिर से नगर निगम में इतिहास दोहराने जा रहा है। साल 2008 की तरह नव वर्ष के शुरूआती महीने में होने वाले मेयर चुनाव का मुकाबला त्रिकोणीय होगा। भाजपा और आम आदमी पार्टी की तरह कांग्रेस भी मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में खड़ा करने जा रही है। इससे पहले मेयर पद के लिए मुकाबला दो उम्मीदवारों के बीच ही होता रहा है।

भाजपा पर लगातार 7वें वर्ष मेयर बनाए जाने का दबाव, नई सदन गठन में लगातार दूसरी बार कुर्सी बचाए जाने की चुनौती 

सत्ता पक्ष भाजपा वर्ष 2016 से अभी तक अपना मेयर बनाए जाने में सफल रही है। अब पार्टी पर लगातार 7वें वर्ष मेयर बनाए जाने का दबाव है।  नई सदन गठन में पार्टी पर लगातार दूसरी बार मेयर की कुर्सी बचाने की दिशा में इसे बरकरार  रखे जाने की चुनौती है। त्रिंशकु सदन में कांग्रेस-अकाली के पिछले वर्ष चुनाव में हटने के बाद तो भाजपा किसी तरह से अपना मेयर बनाए जाने में सफल रही थी। हालांकि इस बार चुनावी रण में कांग्रेस के भी आप के साथ कूद जाने के ऐलान से 14 पार्षदों की भाजपा के रास्ते में गतिरोध पैदा हो सकता है।

किंग मेकर होने के बाद 8 वें वर्ष में भी कांग्रेस के मूकदर्शक रहने की सम्भावना अधिक 

किंग मेकर होने के बाद 8वें वर्ष में भी कांग्रेस के मूकदर्शक रहने की संभावना है। अंतिम बार वर्ष 2015 में पूनम शर्मा के तौर पर कांग्रेस का कोई मेयर रहा था। अब वह भाजपा की नेत्री बन चुकी हैं। 2015 के बाद से कांग्रेस का अपना मेयर बनाने का सुखा बरकरार है। इसके अगले वर्ष 2016 के निगम चुनाव में पार्टी की महज 4 सीटे ही आई थी। जबकि 2021 निगम चुनाव में पार्टी की 8 सीटे आई भी तो दो पार्षद भाजपा में चले गए । इन आठ वर्षो के अंतराल के बीच तब से अब तक कांग्रेस अपना मेयर बनाए जाने के लिए तरसती आ रही है। महज 6 पार्षदों की पार्टी के इस बार भी ऐसी ही संभावना है। कांग्रेस को यह भली भांति पता है कि केवल अनुभव से काम नहीं चलने वाला । चुनावी रण में उतरने के लिए 19 वोट के जादुई आंकड़े की सीमा तक पहुंचना जरूरी है।

पहली बार मेयर की कुर्सी हासिल करने उतरेगी आप, विजन को लेकर कर रही प्रचार 

वहीं, निगम सदन में 14 पार्षदों की आप पहली बार मेयर की कुर्सी हासिल करने के इरादे से उतरेगी। पिछली बार एक वोट अमान्य करार होने से आप की उम्मीदों पर पानी फिर गया था। 2021 निगम चुनाव की तर्ज पर आप ने फिर से प्रत्येक घर निशुक्ल 20 हजार लीटर पानी मुहिया कराए जाने का प्रोपेगेंडा भी शुरू कर दिया है बल्कि  विकास कार्यो से जुड़े विजन को लेकर प्रचार भी करना शुरू कर दिया है। इस तरह का प्रचार सीधे मुकाबले वाली भाजपा को चिंता में डाल सकती है।

नेताओं की नजरे चुनाव पर गढ़ी, राजनीतिज्ञ सफर को दे सकता है दिशा  

पहले नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा ही मुख्य दल थे, लेकिन अब नगर निगम में तीन प्रमुख दल हो गए हैं। इस साल हुए मेयर चुनाव का कांग्रेस ने बहिष्कार किया था। लेकिन इस बार कांग्रेस का दावा है कि वह मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में शामिल होकर मतदान करेंगे। गुजरात और हिमाचल विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अब नेताओं की नजर नए साल मेयर चुनाव पर आ गढ़ी है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि मेयर चुनाव से ही नेताओं के आगे के राजनीतिज्ञ सफर को नई दिशा देगा। वैसे, मेयर चुनाव के लिए आने वाले दिनों में शहर का सियासी पारा चढ़ता जाएगा।  इसके साथ ही जोड़-तोड़ और दल बदल की राजनीति भी सक्रिय रहने की उम्मीद है।

चुनावी प्रक्रिया को करवाने में भी नगर निगम को करनी पड़ सकती है खासी कसरत 

मेयर चुनाव में तीन उम्मीदवार मैदान में होने से पार्षद दो बार मतदान करेंगे। पहले तीनों उम्मीदवारों को वोट डाले जाएंगे। गिनती में जिस उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिलेंगे वह मैदान से बाहर हो जाएगा। उसके बाद पहले और दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होगा। ऐसे में यह चुनाव करवाना भी नगर निगम के कसरत भरी प्रक्रिया है। इस समय भाजपा के 14, कांग्रेस के छह, आम आदमी पार्टी के 14 और अकाली दल का एक पार्षद है। तीन उम्मीदवार मैदान में होने के कारण कांग्रेस के पास जीत का आकड़ा नहीं है। ऐसे में वह पहली बार मतदान होने पर सबसे कम वोट कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है। इस कारण दूसरी बार आम आदमी पार्टी और भाजपा का उम्मीदवार के बीच मुकाबला होगा। ऐसी सूरत में क्रास वोटिंग की काफी उम्मीद है।