हिजाब विवाद मामले में दिन भर चली सुनवाई के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने कहा, ‘हम यह स्पष्ट कर रहे हैं कि चाहे वह डिग्री या स्नातक कॉलेज हो, जहां वर्दी निर्धारित है, वहां उसका पालन किया जाना चाहिए। ’ कर्नाटक उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद राज्य के एक कॉलेज ने अमृतधारी सिख लड़की को पगड़ी हटाने के लिए कहा है। … इन लड़कियों ने मांग की कि सिख समुदाय समेत किसी भी धर्म की लड़की को धार्मिक चिह्न धारण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सूत्रों के अनुसार, लड़की के परिवार का कहना है कि उनकी बेटी पगड़ी नहीं हटाएगी और वे कानूनी राय ले रहे हैं, क्योंकि उच्च न्यायालय और सरकार के आदेश में सिख पगड़ी का उल्लेख नहीं है। गौरतलब है कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा था कि यदि किसी शिक्षा संस्थान ने ड्रेस कोड तय किया है, तो स्टूडेंट्स को उसका पालन करना चाहिए।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, बाइङ्ग्लोरु (ब्यूरो) :
कर्नाटक में बुर्के पर चल रहे विवाद के बीच एक सिख छात्रा को पगड़ी उतारने के लिए कहे जाने का मामला सामने आया है। घटना बेंगलुरु के माउंट कार्मेल पीयू कॉलेज की है। रिपोर्टों के अनुसार कॉलेज प्रशासन ने हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए सिख छात्रा से पहली बार 16 फरवरी 2022 को पगड़ी उतारने को कहा गया था। बताया जा रहा है कि छात्रा के पगड़ी पहनने से कॉलेज प्रशासन को कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन हिजाब पहनने वाली छात्राओं के विरोध के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
कॉलेज के अधिकारियों ने कहा कि 16 फरवरी को जब दोबारा शैक्षणिक संस्थान खुले तो उन्होंने छात्रों को अदालत के आदेश के बारे में सूचित किया। हालांकि, पूर्व-विश्वविद्यालय शिक्षा उप निदेशक ने इस सप्ताह के शुरुआत में कॉलेज के अपने दौरे के दौरान, हिजाब में कॉलेज आयी लड़कियों के एक समूह को अदालत के आदेश के बारे में सूचित किया और उनसे इसका पालन करने के लिए कहा। इन लड़कियों ने मांग की कि सिख समुदाय समेत किसी भी धर्म की लड़की को धार्मिक चिह्न धारण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
जिस सिख छात्रा को पगड़ी उतारने को कहा गया, वह छात्र संगठन की अध्यक्ष भी है। छात्रा के परिवार ने अब कर्नाटक सरकार और हाई कोर्ट से निर्देश जारी करने की माँग की है। छात्रा के पिता का नाम गुरचरण सिंह है जो IT कम्पनी में बड़े अधिकारी हैं। उन्होंने पगड़ी हटाने से साफ मना कर दिया है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरी बेटी को अब तक कॉलेज में किसी भी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा है। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब परिस्थितियाँ विषम हैं। कोर्ट के आदेश में कहीं भी सिख पगड़ी का जिक्र नहीं हुआ है। हम इस मामले में सिख समुदाय और वकीलों के सम्पर्क में हैं। हमने कॉलेज प्रशासन से भी बेटी को पगड़ी के साथ पढ़ाई करने की अनुमति देने की माँग की है।”
वहीं कॉलेज प्रशासन ने इस मामले में छात्रा और उनके परिजनों से मिल कर हाई कोर्ट के निर्देशों का हवाला दिया है। कॉलेज के प्रवक्ता ने बताया, “हमने सभी छात्र-छात्राओं को 16 फरवरी को ही कोर्ट के आदेश से अवगत करवा दिया था। इसके बाद गतिविधियाँ सामान्य रहीं। मंगलवार को प्री-यूनिवर्सिटी एजुकेशन (नॉर्थ) के डिप्टी डायरेक्टर कॉलेज आए थे। वहाँ पर हिजाब पहने लड़कियों का समूह खड़ा था। उन्होंने सभी लड़कियों को ऑफिस में बुला कर उच्च न्यायालय से आदेश से अवगत करवाया।”
कॉलेज प्रवक्ता ने आगे कहा, “हमें सिख पगड़ी पहनने वाली छात्रा से कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन हिजाब वाली लड़कियों ने सिख लड़की के पगड़ी पहनने पर आपत्ति जताई। उन्होंने किसी भी लड़की के किसी भी धार्मिक चिन्ह का विरोध किया। ऐसे में हमने लड़की के पिता से फोन पर बात कर के उन्हें ई मेल भी किया। सिख छात्रा के पिता ने पगड़ी को अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बताया, लेकिन जब दूसरी लड़कियों ने सभी को एक जैसे नियम की बात कही तब हमने उन्हें इससे अवगत करवाया।” डिप्टी डायरेक्टर जी श्रीराम के मुताबिक, “हमें इस मामले को और आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। हाई कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। लड़कियाँ अब मान गईं हैं। किसी को कोई दिक्कत नहीं है।”