Year: 2022

अनिल दुबे ने प्रशासक के सलाहकार को पत्र लिखा चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 14 जुलाई : पूर्व उप…

Koral ‘Purnoor’ Demokretic Front,Chandigarh July 14, 2022 आज दिनांक 14.07.2022 (गुरुवार) को संस्कृत विभाग द्वारा संस्कृत विभाग का “स्थापना दिवस” मनाया गया। पंजाब विश्वविद्यालय के कुलगीत से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. वीरेन्द्र कुमार अलंकार ने विभाग के इतिहास पर चर्चा करते हुए बताया कि इस विभाग की एक समृद्ध परम्परा रही है। इस विभाग का प्रारम्भ ए.सी. वुलनर तथा लक्ष्मण स्वरुप जैसे प्रख्यात विद्वानों से हुआ है, जो बाद में लाहौर के कुलपति भी बने। विभाग के बार-बार स्थानान्तरण होने के उपरान्त कुलपति प्रो. ए.सी. जोशी के निर्देशानुसार सभी परास्नातक कोर्स पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ में स्थापित हुए। इस प्रकार सन् 1959, 14 जुलाई को संस्कृत विभाग की स्थापना हुई।  इस विभाग के धुरन्धर विद्वानों में प्रो. सूर्यकान्त जो वैदिक देवशास्त्र के विद्वान्, प्रो. डी.एन. शुक्ला जो वास्तुशास्त्र व शिल्पशास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान्, प्रो. रामगोपाल जो वैदिक व्याकरण, भाषा विज्ञान व कल्पसूत्रों के मर्मज्ञ तथा महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक के कुलपति भी बने,  प्रो. डी.डी. शर्मा दर्शन शास्त्र के सिद्धहस्त विद्वान्, प्रो. राममूर्ति शर्मा भारतीय दर्शन के जाने माने विद्वान् जो बाद में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे, प्रो. धनराज शर्मा, प्रो. रमाकान्त अंगिरस, प्रो. अनिरुद्ध जोशी,            प्रो. वेदप्रकाश उपाध्याय, प्रो. विक्रम कुमार, प्रो. शंकर जी झा आदि सभी ने अपने परिश्रम से विभाग को सम्पूर्ण विश्व में उच्चस्तर पर पहुँचाया।  विभागाध्यक्ष ने यह भी बताया कि “संस्कृत विभाग पंजाब विश्वविद्यालय का मुख की तरह है”, पी.जी.आई की ओर से जब कोई प्रवेश करे तो सबसे पहले आर्टस् ब्लक 1 में संस्कृत विभाग ही है। इस दौरान विभाग के शोधच्छात्र भी उपस्थित रहे।  विभाग के शोधच्छात्र विजय भारद्वाज ने अपने विचार रखते हुए बताया कि पहले की भाँति आज भी संस्कृत विभाग की समृद्ध परम्परा का निर्वहन प्रो. वी.के अलंकार कर रहे हैं। प्रो. अलंकार को अनेक अकादमी तथा पंजाब सरकार द्वारा उनके संस्कृत साहित्य के योगदान के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है। इन्होंने आज तक वेद, व्याकरण, दर्शन तथा पालि साहित्य से सम्बन्धित 18 काव्य संस्कृत जगत को प्रदान किया है।  शोधच्छात्र प्रकाश ने इस उत्सव पर संस्कृत संगीत सुनाया। इस मौके पर गुरुकुल करतारपुर के प्राचार्य डा. उदयन आर्य भी उपस्थित रहे। अन्त में विभागाध्यक्ष ने उपस्थित सभी विद्यार्थियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। 

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