कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों के अध्यापकों के लिए यू.जी.सी. 7वां वेतन आयोग लागू किया
पंजाबी भाषा को बनता सत्कार देने के लिए बोर्डों पर मातृभाषा को प्राथमिकता देने का फ़ैसला
पंजाबी माह दौरान नामी साहित्यकारों को याद किया गया
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ : उच्च शिक्षा क्षेत्र में सरकार ने गठन के बाद बड़ा वादा पूरा करते हुए कॉलेज-यूनिवर्सिटियों के अध्यापकों की पिछले छह वर्षों से लम्बित माँग को पूरा किया।
उच्च शिक्षा और भाषा विभाग के मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर ने कहा कि पहले ही वर्ष भगवंत मान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए पंजाब के कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों के अध्यापकों के लिए यू.जी.सी. 7वां वेतन आयोग को लागू करने का फ़ैसला किया। अक्तूबर महीने में लागू किये इस फ़ैसले से सरकारी खजाने में से अध्यापकों को 280 करोड़ रुपए का वित्तीय लाभ मिलेगा। इसके साथ ही कॉलेजों में काम करते गैस्ट फेकल्टी और पार्ट टाईम अध्यापकों के वेतन में वृद्धि की गई और उनको कई प्रकार की छुट्टियों की सुविधा दी गई।
पंजाबी भाषा को बनता मान-सत्कार देने के लिए भाषा विभाग की तरफ से पंजाबी मातृभाषा को समर्पित नवंबर महीने को पंजाबी माह के तौर पर मनाया गया। इस माह के दौरान अमृतसर में एक राज्य स्तरीय समारोह के दौरान मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बड़ा फ़ैसला करते हुए राज्यभर में 21 फरवरी 2023 तक सभी बोर्डों पर पंजाबी भाषा को प्रमुख प्राथमिकता देने का ऐलान किया। कोई भी सरकारी, प्राईवेट या अन्य बोर्ड पर सबसे ऊपर पंजाबी भाषा लिखना अनिवार्य होगा, इसके बाद कोई भी भाषा लिखी जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी के बाद इन आदेशों का पालन न करने पर जुर्माने किये जाएंगे।
पंजाबी माह की शुरुआत भाषा भवन में सर्वाेत्तम पुस्तकों के लिए चुने गए लेखकों को इनाम दिए गए। इसके अलावा पूरा महीने बड़े साहित्यकारों को समर्पित समारोह करवाए गए। वारिश शाह, भाई वीर सिंह, बलवंत गार्गी, नानक सिंह, संत राम उदासी, अजमेर औलख को अलग-अलग समारोहों के द्वारा याद किया गया। नए ज़िला पुस्तकालयों के लिए 30 करोड़ रुपए का बजट रखा गया। इस वर्ष कहानीकार सुखजीत को ‘मैं अयनघोष नहीं’ और भूपिन्दर कौर प्रीत को आदिवासी कविता पुस्तक ‘नगारेे वांग वजदे शब्द’ के अनुवाद के लिए भारतीय साहित्य अकादमी पुरुस्कार के लिए चुना गया जोकि पंजाब के लिए गर्व की बात रही।
राज्य के कॉलेजों हेतु खेल के लिए 5 करोड़ रुपए, ई-कंटेंट वाले डिजिटल क्लास रूमों के लिए 10 करोड़ रुपए, लड़कियों के लिए 5.39 करोड़ रुपए के सेनेटरी नेपकिन की व्यवस्था, 11.50 करोड़ रुपए के साथ सोलर प्रणाली की व्यवस्था रखी गई। राज्य के एन.सी.सी. यूनिटों और प्रशिक्षण केन्द्रों में 5 करोड़ रुपए के साथ बुनियादी ढांचे में सुधार और सुविधाएं मुहैया करवाना प्रमुख काम रहे।