Sunday, December 22
  • स्वस्थ भोजन, व्यायाम, तनाव कम कर और धूम्रपान छोड़ कर दिल से जुड़ी बीमारियों से बचें: डॉ. बाली
  • एक्यूट हार्ट अटैक वाले मरीजों का 90 मिनट के अंदर प्राथमिक एंजियोप्लास्टी से इलाज किया जाना चाहिए: डॉ. बाली
  • ‘संरक्षित पीसीआई उपचार हृदय रोगियों के लिए दुनिया भर में अनुशंसित है जहां सर्जरी और एनेस्थीसिया नहीं किया जा सकता’: डॉ. एचके बाली


डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ – 26 दिसंबर:

            सुस्त जीवनशैलीके कारण भारत में हृदय रोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है, विशेष रूप से युवाओं में। हालांकि, अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर दिल से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है, जिसमें स्वस्थ भोजन करना, व्यायाम करना, तनाव कम करना और धूम्रपान छोडऩा शामिल है’, यह कहना है हृदय रोग विशेषज्ञ व चेयरमैन, कार्डिएक साइंसेज, पारस हॉस्पिटल डा. एच.के. बाली का जो की हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एचसीसीआई) द्वारा ‘टेकिंग केयर ऑफ योर हार्ट’ विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।


            ‘लगभग 25 साल पहले, यह देखा गया था कि पीजीआईचंडीगढ़ में दिल का दौरा पडऩे पर दाखिल होने वाले 10 प्रतिशत लोग 40 साल से कम उम्र के थे। हालांकि, अब यह प्रतिशत तेजी से बढ़ रहा है और अधिक से अधिक युवाओं को हृदय रोग हो रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग एक सुस्त जीवनशैलीजी रहे हैं, जो उनमें उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा जैसी जीवन शैली की बीमारियों को बढ़ा रहा है’, डॉ बाली ने कहा।


            हृदय से संबंधित बीमारियों से बचने के उपायों के बारे में बताते हुए, डॉ. बाली ने आगे कहा कि स्वस्थ हृदय और स्वस्थ जीवन के लिए जीवनशैली से जुड़ी इन बीमारियों के साथ-साथ दिल से संबंधित बीमारियों के कारणों को भी नियंत्रित किया जाना चाहिए। ‘लोगों को संतुलित आहार खाना चाहिए और ट्रांस-फैट से बचना चाहिए। लोगों को रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम या जॉगिंग या योग करना चाहिए। इसके अलावा, दैनिक जीवन में तनाव को कम किया जाना चाहिए ताकि हृदय से संबंधित बीमारियाँ जो जि़ंदगी में लंबा समय तंग कर सकती हैं उनसे बच जा सके’।


            डॉ बाली ने आगे कहा कि 35 साल की उम्र के बाद लोगों को पूरे शरीर की व्यापक स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए, ताकि अगर कोई बीमारी पकड़ में आती है तो उसए तुरंत ठीक किया जा सके।


            डॉ बाली ने कहा कि इन दिनों मरीजों के इलाज के लिए नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है जो तेजी से ठीक होने और मृत्यु दर को कम करने में मदद करता है। च्च्जिन रोगियों को हृदय की कोरोनरी धमनी का गंभीर रोगहै, एक साथ कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं और उनके बाएं वेंट्रिकुलर गंभीर डिसफंक्शन हैं, उनका भी अब सुरक्षित रूप से इलाज किया जा सकता है। अधिक बीमारियों के कारण ऐसे रोगी पहले सर्जरी या एंजियोप्लास्टी नहीं करवा सकते थे। इन रोगियों, जिनके पास कोई विकल्प नहीं था, अब इम्पेला नाम का एक बहुत ही छोटा सा एक पंप का उपयोग करके सुरक्षित रूप से इलाज किया जा सकता है। यह पंप गैर-सर्जिकल तरीके से ग्रोइन आर्टरी से डाला जाता है और इन गंभीर रूप से बीमार रोगियों में एंजियोप्लास्टी प्रक्रिया को पूरी तरह से सुरक्षित बनाता है। हमने पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई अत्यधिक उच्च जोखिम वाले रोगियों का सुरक्षित इलाज किया है।

 
            डॉ बाली ने आगे कहा कि एक्यूट हार्ट अटैक वाले रोगी का प्राथमिक एंजियोप्लास्टी के साथ इलाज किया जाना चाहिए और अवरुद्ध धमनी को 90 मिनट के भीतर खोला जाना चाहिए क्योंकि प्रत्येक गुजरते मिनट के साथ हृदय की अधिक मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ‘यदि एक दम कम समय में प्राथमिक एंजियोप्लास्टी नहीं की जा सकती है, तो थ्रोम्बोलाइटिक उपचार का उपयोग करना उचित है और दिल का दौरा पडऩे के बाद पहले घंटे में इन ‘क्लॉट बस्टर्स’ दिवाईओं का उपयोग करने पर सबसे अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।’


            डॉ बाली ने आगे कहा कि बुजुर्ग और जिन्हे एक से अधिक गंभीर रोग हैं उनके लिएवाल्व रिप्लेसमेंट के लिए ओपन हार्ट सर्जरी उपयुक्त नहीं है, लेकिन अब, एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट की नवीनतम गैर-सर्जिकल तकनीक – टीएवीआई (ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन) उपचार उपलब्ध है जिसमें सर्जरी कर रोगी की छाती को खोलने की आवश्यकता नहीं है।