रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 23 दिसम्बर :
भारतीय व्यापार मंडल के प्रदेेशाध्यक्ष राजीव गोयल बिट्टू बादल, प्रांतीय उपाध्यक्ष राजेश मरवाहा व प्रांतीय सचिव बुदीश अग्रवाल ने एक संयुक्त वक्तव्य मे मुख्यमंत्री भगवंत मान से आग्रह यदि वह कृषि और व्यापार को प्रोत्साहित करें तो प्रदेश की कई समस्याओं का हल हो सकता है।
उन्हे कृषि संबंधित नए उद्योग स्थापित करने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए उन्हें भी पड़ोसी प्रदेशों के अनुसार सुविधाएं उपलब्ध करवाएं।भारत में यदि रामराज्य की बात होती हैं तो उसका विशेष कारण यह हैं कि भगवान श्री राम के राज में हर नागरिक सुखी तथा खुशहाल था वैसा ही राज महाराजा रंजीत सिंह के कार्यकाल में स्थापित हुआ जिसे खालसा राज के नाम से भी जाना गया उसी खालसा राज को पुनः स्थापित करने के सब्जबाग दिखाकर खालसा राज की बातें होने लगी जिसे ही शायद तोड़ मरोड़ कर खालिस्तान का नाम दे दिया गया लेकिन आज पंजाब के हालात देखकर यह लगता है यहां पर खालसा राज या खालिस्तान कभी स्थापित हो या न हो, परंतु जिस रफ्तार से यहां से लोग पलायन कर रहे हैं उससे तो यही लगता हैं कि यहां जल्द ही खाली स्थान हो जाएगा। नई जनरेशन का विदेशों की ओर पलायन करना तथा व्यापारियों का अपने आप को असुरक्षित महसूस करना हमारी बात रखने की ठोस वजह है।
पंजाब में बैठे छोटे व्यापारी तथा छोटे उद्योगपति जिनका जन्म यहां पर हुआ है उन्हें यहां की मिट्टी से आज भी लगाव है वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे विदेशों की ओर अग्रसर हो परंतु राज्य में बढ़ रही है असुरक्षा की भावना से प्रेरित होकर वह अपने बच्चों को ना चाहते हुए भी विदेश भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से अपील है कि वह बड़े उद्योगपतियों को पंजाब में लाने के प्रयास छोड़कर यहां पहले से ही बैठे छोटे उद्योगपतियों व व्यापारियों को जहां से जाने से रोकने की ओर कदम बढ़ाएं यह छोटे व्यापारी तथा उद्योगपति आपकी सरकार को कर एकत्रित करके देते हैं तथा स्वयं भी उपभोक्ता के तौर पर आपको टैक्स देते हैं। आपके द्वारा आमंत्रित बड़े उद्योगपति बड़े बड़े उद्योग लगाकर उत्पादन तो कर लेंगे तथा आपको टैक्स भी पे कर देंगे लेकिन जब यहां पर उपभोक्ता ही नहीं होगा तो वह यह सामान किसे बेचेंगे। दूसरा बड़े उद्योगपति आपको अपने मन मुताबिक चलाएंगे और यह छोटे व्यापारी तथा छोटे उद्योगपति सरकार के मुताबिक चलने वाले हैं यह तो केवल सुरक्षा चाहते हैं अपनी तथा अपने परिवार की।
पुरातन समय में एक कहावत मशहूर थी “उत्तम खेती मध्यम बान, नीच चाकरी कुक्कर निदान” इसका अर्थ कुछ इस तरह समझाया जाता है की खेती सबसे उत्तम कार्य है और व्यापार मध्यम इस कहावत में नौकरी करने को भीख मांगने के समान बताया गया है परंतु इसके विपरीत ना ही खेती में भविष्य नजर आ रहा है और ना ही व्यापार में, आज तो सरकारी नौकरी ही सबसे उत्तम कार्य दिख रहा है क्योंकि उसी में भविष्य सुनिश्चित नजर आता है। आज तो रिश्ते के लिए लड़का देख रहे परिवार भी अच्छे उद्योगपति वह व्यापारी को छोड़कर अच्छी सरकारी नौकरी वाले को पहल देते हैं।
विदेशों की तरह हर बूढ़े व्यक्ति के लिए पेंशन लागू होनी चाहिए, खासकर व्यापारियों और किसानों के लिए क्योंकि वे जीवन भर देश के लिए काम करते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के बाद भी उन्हें एक आरामदायक जीवन जीने का मौका नहीं मिलता है। यह भी नौजवान पीढ़ी का विदेशों की तरफ झुकाव होने का एक मुख्य कारण है।