पंचांग, 21 दिसम्बर 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 21 दिसम्बर 22 :
नोटः आज प्रदोष व्रत, मासशिवरात्रि व्रत। सायन मकर तथा शिशिर ऋतु प्रारम्भ।
प्रदोष व्रत : हिंदू धर्म में किए जाने वाले अनेकों व्रत में से एक व्रत है प्रदोष व्रत। प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का विधान बताया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र मास के 13वें दिन यानी त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। आज साल 2022 का आखिरी प्रदोष व्रत है।
मासशिवरात्रि व्रत : हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मास शिवरात्रि व्रत किया जाता है। इस बार मास शिवरात्रि व्रत 21 दिसंबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शंकर की पूजा-अर्चना का विधान है। मास शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर को बेलपत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जप किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान भी निकलता है।
शिशिर ऋतु : भारत की छ: ऋतुओं में से एक ऋतु है। विक्रमी संवत के अनुसार माघ और फाल्गुन ‘शिशिर‘ अर्थात पतझड़ के मास हैं। इसका आरम्भ मकर संक्रांति से भी माना जाता है। शिशिर में कड़ाके की ठंड पड़ती है।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः पौष,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः त्रयोदशी, रात्रिकालः 10.17 तक है,
वारः बुधवार।
विशेषः आज उत्तर की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः विशाखा, प्रातः कालः 08.33 तक है,
योगः धृति रात्रि काल 21.25 तक,
करणः गर,
सूर्य राशिः धनु, चन्द्र राशि : वृश्चिक,
राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 07.14, सूर्यास्तः 05.25 बजे।