पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 20 दिसम्बर 22 :
नोटः आज सुरूप द्वादशी है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए कई विशेष व्रत-उपवास किए जाते हैं। सुरूप द्वादशी (Surup Dwadashi 2022) भी इनमें से एक है। ये व्रत पौष मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस बार ये तिथि 20 दिसंबर, मंगलवार को है। इस व्रत में भगवान विष्णु के नारायण स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस व्रत के बारे में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। इस बार द्वादशी तिथि पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आज के दिन पहले स्वाति नक्षत्र होने से ध्वजा और इसके बाद विशाखा नक्षत्र होने से श्रीवत्स नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं। इनके अलावा इस दिन त्रिपुष्कर, सुकर्मा और धृति नाम के तीन अन्य शुभ योग भी हैं।
विक्रमी संवत्ः 2079, शक संवत्ः 1944, मासः पौष, पक्षः कृष्ण पक्ष, तिथिः द्वादशी, रात्रिः 12.46 तक है, वारः मंगलवार।
विशेषः आज उत्तर की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।
नक्षत्रः स्वाती, प्रातः 09.55 तक है,
योगः सुकृत रात्रि काल 12.40 तक,
करणः कौलव,
सूर्य राशिः धनु, चन्द्र राशि तुला,
राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक,
सूर्योदयः 07.13, सूर्यास्तः 05.24 बजे।