पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क, 16 दिसम्बर 22 :
नोटः आज रूक्मिणी अष्टमी, अष्टका श्राद्ध।
तिथिः अष्टमी, रात्रि 03.03 तक है।
विक्रमी संवत्ः 2079
शक संवत्ः 1944
मासः पौष
पक्षः कृष्ण पक्ष
वारः शुक्रवार
नक्षत्रः पूर्वाफाल्गुनी (की वृद्धि है जो कि शुक्रवार को प्रातः 07.34 तक है,)
योगः प्रीति प्रातः काल 07.45 तक
करणः बालव
राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक,
सूर्य राशिः धनु चंद्र राशिः सिंह,
सूर्योदयः 07.11, सूर्यास्तः 05.22 बजे।