संदीप सैनी ,डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला – 15 दिसंबर :
आज एक निजी विद्यालय में आयोजित एक कार्यशाला में शिक्षिका वह समाजसेवी प्रियंका पुनिया ने बताया कि किस प्रकार स्टेम एजुकेशन के द्वारा छात्र व छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सकता हैं। जिसके उदाहरण स्वरूप उन्होंने कहा की श्री अल्बर्ट आइंस्टीन ने एक बार कहा था “बुद्धि स्कूली शिक्षा का उत्पाद नहीं है बल्कि इसे प्राप्त करने के लिए आजीवन प्रयास का परिणाम है। शिक्षा अध्ययन करने और अच्छे ग्रेड प्राप्त करने के बारे में नहीं है बल्कि जीवन को समझने का अभ्यास है ।सीमाओं के बिना शिक्षा का अर्थ है अपने शैक्षणिक पाठ्यक्रम से परे कौशल सीखना।
यह सब उन कौशलों को सीखने के बारे में है जो वास्तविक जीवन में सहायक हैं। हम जानते हैं कि स्टैम का अर्थ है विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित है। यह अपनी तरह का शिक्षात्मक अनुशासन है। यह वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के साथ सीखने पर ध्यान केंद्रित करता है। यह रचनात्मकता और 21 वीं सदी के कौशल सहित विभिन्न प्रकार के कौशल सेट विकसित करने में मदद करता है। ये हमारी अर्थव्यवस्था के चार स्तंभ हैं और एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह दैनिक जीवन की समस्याओं को हल करने पर केंद्रित है।
यह छात्रों को आत्मविश्वास बनाने, आलोचनात्मक सोच को सुधारने और समस्या को सुलझाने और सॉफ्ट कौशल विकसित करने में मदद करता है जो उनके वयस्क जीवन में उनके लिए आवश्यक होगा। भविष्य के करियर निश्चित रूप से एसटीईएम क्षेत्रों के आसपास केंद्रित होंगे, जबकि 21 वीं सदी के कौशल जैसे कि महत्वपूर्ण सोच, रचनात्मकता एसटीईएम शिक्षा सांस्कृतिक जागरूकता और समस्या समाधान होगी। यह रचनात्मकता में सुधार करता है, टीम सहयोग बढ़ाता है।
संचार कौशल विकसित करता है, महत्वपूर्ण सोच कौशल को सशक्त बनाता है, जिज्ञासा को बढ़ावा देता है, संज्ञानात्मक कौशल में सुधार करता है, मीडिया साक्षरता को बढ़ाता है और सामाजिक भावनात्मक शिक्षा को बढ़ाता है।यह समय की माँग है कि हमें शिक्षा के क्षेत्र में स्टैम को बढ़ावा देना होगा ।