डिम्पल अरोड़ा, डेमोक्रेटिक फ्रंट, कालावाली
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से महाजन धर्मशाला कालावाली मंडी में श्री कृष्ण कथा अमृत का आयोजन किया जा रहा है जिसमे कथा प्रथम दिवस में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्य साध्वी सुश्री जयंती भारती जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का व्यक्तित्व अत्यंत विराट एवं अलौकिक है उनके आदर्श जीवन में शिक्षा ग्रहण करके मानव अपने जीवन को महान बना सकता है
उन्होंने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का चरित्र धर्म स्थापना के लिए संदेश को धारण किए हुए हैं वह हर काल युग से देश की सीमाओं से परे हैं वह वर्तमान युग की समस्त समस्याओं का निवारण प्रस्तुत करता है समाज की वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक मनुष्य का अंतःकरण अंधकार में है अज्ञानता के तब से आच्छादित है जब जब मानव के भीतर अज्ञानता व्याप्त होती है तब जब मानव का समाज मानवता से रिक्त हो जाता है मानव में मानवीय गुणों का हवास होने लगता है समाज में अधर्म अत्याचार अनाचार भ्रष्टाचार व्यभिचार आदि कुरीतियां अपना सिर उठाने लगती है यही कारण है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने उस परम तत्व के समक्ष से प्रार्थना की है हे प्रभु हमारे भीतर के अंधकार को दूर कीजिए ताकि ज्ञान प्रकाश को पाकर हम अपने जीवन को सुंदर बना सके जब तक मानव अज्ञानता के गहन अंधकार से त्रस्त रहेगा तब तक उसका विकास संभव नहीं है अंधेरा हमें भ्रमित भी करता है और भयभीत भी करता है। प्रकाश में सब कुछ स्पष्ट दिखता है ना कोई भ्रम रहता है ना ही भय।
श्री कृष्ण कथा का प्रारंभ भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रभु की पावन ज्योति प्रज्वलित कर किया गया जिसमें जिसमें शहर के मुख्य अतिथि श्री नरेश सिंगला(शशि) प्रधान श्री प्राचीन दुर्गा माता मंदिर कालावाली , सनिल बिला प्रदान जय मां चिंतपूर्णी सेवा समिति ,चरणजीत चन्नी प्रमुख समाज सेवी , लावनीश शिवा इलेक्ट्रॉनिक ,गिरधारी लाल झोरडा वाले ,कृष्ण जिंदल ,रोहित जैन, शेखर रोड़ी वाले दर्शन एम सी ,अमित गुप्ता मंडी डबवाली अभय सिंगला मंडी डबवाली, रमेश कुमार मित्तल ,मुकेश अरोड़ा , सतबीर जी ,श्री भोला सिंगला ,श्रीमती दीपिका जैन ,श्रीमती विनोद सिंगला ,श्रीमती रिचा सिंगला, श्रीमती वीना मित्तल शामिल थे और कथा का समापन प्रभु की पावन आरती से विधि पूर्वक किया गया आरती विशेष रूप से जय मां चिंतपूर्णी सेवा समिति मंडी कालावाली के सभी सदस्य की और से एवं प्राचीन दुर्गा माता मंदिर के सभी सदस्य की और से उतारी गई।
जिस प्रकार बाहर के प्रकाश से अंधकार दूर होता है उसी प्रकार आंतरिक ज्ञान प्रकाश से आंतरिक अज्ञान तमस नष्ट होता है ज्ञान की प्राप्ति किसी पूर्ण गुरु की शरण में जाकर ही होगी जो मानव के भीतर उस ईश्वरीय प्रकाश को प्रकट कर देते हैं यही कारण है कि शास्त्रों में जब भी इस ज्ञान प्रकाश के लिए मानव जाति को प्रेरित किया तो इसकी प्राप्ति हेतु गुरु के सानिध्य में जाने का उपदेश दिया कथा प्रवचन ओं में नारी की महिमा पर विचार देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय नारी ऐतिहासिक एवं पौराणिक दृष्टि से अपना एक विशिष्ट स्थान बनाए हुए हैं वैदिक काल में भारतीय नारी का स्थान बहुत ऊंचा रहा है विद्या का आदर्श सरस्वती में ,धन का आदर्श लक्ष्मी में, पराक्रम का दुर्गा में ,पवित्रता का गंगा में पाया जाता था उन्होंने कहा कि नारी को अबला समझ कर उससे जीने का अधिकार भी छीना जा रहा है परंतु नारी अबला नहीं सबला है आज के परिवेश में कन्याओं को जन्म लेने से पहले ही मार रहे हैं आज दुर्गा के भारत की हालत देखिए जहां नारी देवी की भांति पूजी जाती थी आज जन्म लेने से पहले ही मार दी जाती है आज दुर्गा के भारत की हालत देखिए नारी भला किस क्षेत्र में पीछे है हमें अपनी बीमार मानसिकता को बदलना होगा तभी एक सुसंस्कृत समाज की कल्पना की जा सकती हैं क्योंकि सुसंस्कृत एवं सुशिक्षित समाज का आधार संस्कृत एवं सुशिक्षित नारी ही होती है